दरअसल आंवला सर्दियों का सुपरफूड है जिसमें फायबर होते हैं जो पाचन में सुधार करने में मदद करते हैं और मेटाबॉलिज्म को स्ट्रॉन्ग करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह पित्तशामक है और इसलिए यह शरीर में अतिरिक्त पित्त के उत्पादन को नियंत्रित करता है। जीरा लिवर में बाइल एसिड प्रोडक्शन की प्रक्रिया को तेज करता है और फैट के पाचन में मदद करता है। अजवाइन के बीज में मौजूद थायमोल पेट में गैस्ट्रिक जूस को छोड़ने में मदद करता है, जिससे पाचन प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है। धनिया आंत को उत्तेजित करता है और पेट के एसिड के प्रोडक्शन को बढ़ाता है जिससे एसिडिटी को कम करने में मदद मिलती है। हींग में फायबर प्रचुर मात्रा में होते हैं जो पाचन में सहायता करते हैं और समग्र पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। हींग को ‘देवताओं के भोजन’ के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन जैसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो न केवल पाचन में सहायक हैं बल्कि पूरे डायजेस्टिव हेल्थ को बेहतर बनाते हैं।
आपके पास इन आयुर्वेदिक हर्ब और स्पाइस को आजमाने का समय नहीं है तो कपिवा का डायजेस्टी केयर जूस आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। इसका उपयोग करना भी बेहद आसान है। 30ml डायजेस्टी केयर जूस को एक गिलास पानी में मिलाएं और दिन में दो बार खाने के बाद लें। आयुर्वेद के अनुसार सर्दियों में पाचन को बेहतर बनाने के लिए मौसमी सब्जियों का भी सेवन करना चाहिए जो फायबर का अच्छा सोर्स होती हैं। इसमें जड़ वाली सब्जियां जैसे गाजर, आलू, शकरकंद, चुकंदर, शलजम और सर्दियों के साग जैसे केल, सरसों का साग, पालक, मेंथी और चौलाई शामिल हैं, लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिनका उपयोग सर्दी के मौसम नहीं किया जाना चाहिए।
इनके बारे में जानकारी देते हुए कपिवा एकेडमी के डॉक्टर द्विवेदी कहते हैं कि, आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में ठंडे और सूखे भोजन करने से बचना चाहिए। इसे आयुर्वेद में काल विरुद्ध (Climatic antagonism) कहा गया है। हमें गर्म भोजन का सेवन करना चाहिए। साथ ही ठंडे पानी, आइसक्रीम और अन्य ठंडे खाद्य पदार्थों से बचें जो कफ और वात को बढ़ाएंगे। कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड फूड्स, कैन्ड फूड्स और फ्रोजन फूड्स के सेवन से बचें। ये पचने में मुश्किल होते हैं।
इन नियमों को अपनाने के बाद भी अगर आपको पाचन से संबंधित कोई परेशानी हो गई है तो आप डाॅ द्विवेदी की बताई गई आयुर्वेदिक रेमेडीज अपना सकते हैं। इनके बारे में जानकारी देते हएु वे कहते हैं, ‘’आयुर्वेद के अनुसार समान प्रकार का वात पेट और आंतों की सामान्य गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होता है। समान वात में खराबी होने से सामान्य गतिविधियों में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे पाचन क्रिया में गड़बड़ी, पेट फूलना और गैस बनने लगती है। पाचन में सुधार कर हम ऐसी समस्याओं से बच सकते हैं।’’
इसके लिए निम्न टिप्स अपनाएं जा सकते हैं।

आधा चम्मच जीरा को तब तक चबाएं जब तक कि उसका मुंह में पेस्ट न बन जाए, फिर एक गिलास गर्म पानी के साथ निगल लें।
- एक गिलास उबले हुए पानी में एक चम्मच पिसी हुई इलायची और सौंफ को बराबर मात्रा में लेकर पिएं।
- भोजन से पांच से दस मिनट पहले ताजा अदरक का एक पतला टुकड़ा और चुटकी भर सेंधा नमक चबाने की कोशिश करें ताकि पाचन को प्रोत्साहित करने और पेट फूलने या गैस से बचने में मदद मिल सके।
- सफेद कद्दू (Ash gourd) गुड़ के साथ उबालकर खाने से पेट फूलने या गैस से राहत मिलती है।
- उपयोगी मसाले: दालचीनी, इलायची, जीरा, अदरक, लौंग कम मात्रा में उपयोग करें।
इस प्रकार आयुर्वेद का दामन थामकर आप सर्दियों में आप अपने पाचन तंत्र का ख्याल रख सकते हैं। याद रखें बेहतर पाचन के लिए हेल्दी और फायबर युक्त डायट, एक्सरसाइज, खुद को हायड्रेट रखना बेहद जरूरी है। इनके साथ ही कपिवा का डायजेस्टी केयर जूस आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकता। यह एक आयुर्वेदिक औषधि की तरह है क्योंकि इसे प्राकृतिक जड़ी बूटियों की मदद से तैयार किया गया है।