backup og meta

पोस्टपार्टम एंग्जायटी : नयी मां के लिए खड़ी कर सकती है परेशानी!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    पोस्टपार्टम एंग्जायटी : नयी मां के लिए खड़ी कर सकती है परेशानी!

    बच्चे को पैदा करके हर मां खुद में सुकून महसूस करती है। जब बच्चा उसकी आंखों के सामने आता है, तो वह अपने सारे दर्द भूल जाती है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान जिस तरह महिलाओं के शरीर में हॉर्मोनल चेंज होते हैं, उसी तरह डिलीवरी के बाद भी हॉर्मोन्स में बदलाव (Changes in hormones) होता रहता है। डिलीवरी के बाद चिंता करना हर मां के नेचर का हिस्सा बन जाता है। मां को अलग-अलग तरह से चिंता लगी रहती है, खाने की, सोने की और अपने बच्चे और बच्चे से जुड़ी हर बात की। जो एक नैचुरल और आम बात है। लेकिन जब यह चिंता या कहें एंग्जायटी (Anxiety) जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है, तो इससे पोस्टपार्टम एंग्जायटी के नाम से जाना जाता है। पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) आपके कंट्रोल से बाहर होती है और यह आपको रात में सोने नहीं देती। आपने अक्सर पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum depression) के बारे में सुना होगा, लेकिन पोस्टपार्टम एंग्जायटी भी उतनी ही परेशान करने वाली अवस्था है। आइए जानते हैं पोस्टपार्टम एंग्जायटी से जुड़ी यह जरूरी बातें, जो हर मां को पता होनी चाहिए।

    और पढ़ें : प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस का असर पड़ सकता है भ्रूण के मष्तिष्क विकास पर

    क्या है पोस्टपार्टम एंग्जायटी के लक्षण? (Symptoms of Postpartum anxiety)

    जैसा कि हम पहले बता चुके हैं, पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Anxiety) आपको चैन से बैठने नहीं देती। पोस्टपार्टम एंग्जायटीन न सिर्फ़ मां, बल्कि पिता भी महसूस कर सकते हैं। खासतौर पर उन महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी गई है, जो पहले से ही एंग्जायटी डिसऑर्डर की शिकार रही हैं। पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) के लक्षण महिला में आसानी से दिखाई दे सकते हैं, जो इस प्रकार हैं –

    • लगातार चिंता करना
    • चिंता को लेकर खुद पर कंट्रोल ना रहना
    • हमेशा मन में डर लगा रहना
    • ठीक से नींद ना ले पाना
    • लगातार विचारों का आना-जाना

    यह सारे लक्षण पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) की तरफ इशारा करते हैं। लेकिन इसके अलावा आपको कुछ फिजिकल सिम्टम्स भी दिखाई दे सकते हैं, जो इस तरह है –

    • फटीग होना
    • हार्ट पैल्पिटेशन होना
    • हाइपरवेंटिलेशन होना
    • पसीना आना
    • उल्टी जैसा महसूस होना
    • कंपकंपी छूटना

    आपको जानकर हैरानी होगी कि पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) के और भी सटीक प्रकार होते हैं, जिन्हें इस तरह जाना जा सकता है –

    • पोस्टपार्टम पैनिक डिसऑर्डर (Postpartum panic disorder)
    • पोस्टपार्टम ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD)

    पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety)

    और पढ़ें: गर्भावस्था में खुश कैसे रहें?

    इन दोनों समस्याओं के लक्षण ऊपर दिए गए लक्षणों से मिलते जुलते हो सकते हैं, जो आपकी एंग्जायटी (Anxiety) के अनुसार बदल सकते हैं। पोस्टपार्टम ओसीडी (OCD) में आपको अक्सर माएं ओबसेसिव हो जाती हैं। इसके अलावा उसे लगातार अलग-अलग तरह के डरावने ख्याल आते हैं, यह ख्याल बच्चे के से जुड़े होते हैं। पोस्टपार्टम पैनिक डिसऑर्डर के कारण आपको अचानक पैनिक अटैक आ सकता है, जिसकी वजह से आप परेशानी में पड़ सकती हैं। पोस्टपार्टम पैनिक अटैक के लक्षण इस तरह हो सकते हैं –

    • शॉर्टनेस आफ ब्रेथ
    • घुटन
    • बच्चे की मौत का डर
    • छाती में दर्द
    • कमजोरी
    • दिल का तेजी से धड़कना

    यह सभी लक्षण मां के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो सकते हैं, इसलिए इन लक्षणों को समझ कर इसका सही इलाज करने की जरूरत पड़ती है। आइए अब जानते हैं पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) और पोस्टपार्टम डिप्रेशन में क्या फर्क है।

    और पढ़ें: गर्भावस्था में ओरल केयर न की गई तो शिशु को हो सकता है नुकसान

    क्या फर्क है पोस्टपार्टम एंग्जायटी और पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum depression) में?

    नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक स्टडी के मुताबिक करीब 4000 महिलाओं पर एक रिसर्च की गई, जिसमें से 18% महिलाएं एंग्जायटी (Anxiety) की शिकार पाई गई। वहीं 35% महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या से जूझ रही थीं। इसका साफ मतलब है कि कई बार महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के साथ-साथ पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) की भी शिकार होती हैं। आपको यह दोनों समस्याएं एक साथ या अलग-अलग भी हो सकती है। तो किस तरह इन दोनों को अलग-अलग पहचाना जा सकता है? तो बता दें कि इन दोनों समस्याओं के फिजिकल लक्षण एक जैसे हो सकते हैं, वहीं  इसके मानसिक लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum depression) के दौरान आपको असहनीय दुख और खुद को और बच्चे को चोट पहुंचाने जैसे विचार आ सकते हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय पर पोस्टपार्टम डिप्रेशन या पोस्टपार्टम एंग्जायटी का इलाज न कराने पर यह आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। आइए अब जानते हैं पोस्टपार्टम एंग्जायटी के क्या कारण हो सकते हैं।

    और पढ़ें: गर्भावस्था में इंफेक्शन से कैसे बचें?

    पोस्टपार्टम एंग्जायटी के ये हो सकते हैं कारण! (Causes of Postpartum anxiety)

    यह बात बिल्कुल सच है कि बच्चे की डिलीवरी किसी भी व्यक्ति के लिए चिंता का विषय बन सकती है। माएं अपने बच्चे को लेकर इसलिए चिंतित रहती हैं कि बच्चे को किसी भी तरह की तकलीफ ना हो। लेकिन पोस्टमार्टम एंग्जायटी (Anxiety) के कारण क्या है, यह भी जानना बेहद जरूरी है। दरअसल जब आप कंसीव करती हैं, तो प्रेग्नेंसी के दौरान आपके शरीर में हॉर्मोन का स्त्राव जीरो से 60% बढ़ जाता है। वहीं डिलीवरी के बाद यह 60 से दोबारा जीरो पर आ जाता है। यही हॉर्मोनल बदलाव एंग्जायटी का कारण बनते हैं।

    लेकिन क्यों कुछ ही महिलाओं को पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) की समस्या होती है और अन्य महिलाओं को नहीं। यह सवाल भी लोगों के जहन में आता है। दरअसल जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले किसी तरह की एंग्जायटी की समस्या है या उनके परिवार में किसी को एंग्जायटी की समस्या होती है, तो महिला को पोस्टमार्टम एंग्जायटी होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। वहीं कुछ महिलाओं को ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder) की भी समस्या हो सकती है। यह कुछ अन्य फैक्टर हैं जो पोस्टपार्टम एंग्जायटी की वजह बनते हैं –

    • ईटिंग डिसऑर्डर का होना
    • पहली प्रेग्नेंसी में बच्चे की मौत होना
    • प्रेग्नेंसी से पहले मूड स्विंग्स की समस्या होना

    इन तकलीफों के चलते महिलाओं में एंग्जायटी (Anxiety) की समस्या देखी जा सकती है। आइए अब जानते हैं पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) का इलाज कैसे किया जा सकता है।

    पोस्टपार्टम एंग्जायटी के इलाज का पहला चरण है इसका निदान! (Treatment of Postpartum anxiety)

    पोस्टपार्टम एंग्जायटी के इलाज का सबसे बड़ा चरण है इसका निदान। जब महिला अपने लक्षणों को नजरअंदाज करती है या उसके लक्षणों को पहचाना नहीं जा पाता, तो ऐसी स्थिति में महिला में पोस्टमार्टम एंग्जायटी (Anxiety) बढ़ सकती है। ध्यान रखें कि डिलीवरी के बाद डॉक्टर से हर 6 सप्ताह में पोस्टपार्टम चेकअप जरूर करवाएं। ध्यान रखें कि यह पोस्टपार्टम चेकअप आप हर 6 सप्ताह में लें, जिससे डॉक्टर आपके बदलते मूड, आपके शरीर में बदलाव और आपकी जरूरतों का ध्यान रखकर आपको जरूरी सलाह दे सकें। पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) और पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum depression) दोनों ही स्थितियां बच्चे और आपके बॉन्ड के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, इसलिए आपको जल्द से जल्द इस समस्या से छुटकारा पाना होगा।

    डॉक्टर से बात करने के बाद आपको जरूरत पड़ने पर मेडिसिन लेनी पड़ सकती है। वहीं आपको मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट के पास जाना पड़ सकता है। आप चाहें तो इससे जुड़ी थेरेपी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इसके अलावा आपको कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है, जैसे कि रोजाना एक्सरसाइज करना, अपने विचारों पर नजर बनाए रखना और रिलैक्सेशन के लिए रिलैक्सेशन टेक्निक का इस्तेमाल करना।

    और पढ़ें- पहली बार प्रेग्नेंसी चेकअप के दौरान आपके साथ क्या-क्या होता है?

    पोस्टपार्टम एंग्जायटी (Postpartum anxiety) किसी भी मां के लिए खतरनाक साबित हो सकती है, जो आपके बच्चे और आपके रिश्ते पर सीधा असर डालती है। लेकिन यदि समय पर इसका निदान कर लिया जाए, तो इसका इलाज संभव है। साथ ही साथ एंग्जायटी (Anxiety) की स्थिति बेहद डरा देने वाली होती है, इसलिए इस स्थिति से बाहर निकलना आपके लिए बेहद जरूरी है। जरूरत पड़ने पर आपको लंबे समय तक थेरेपी का सहारा लेना पड़ सकता है। लेकिन इससे घबराने की बजाय आपको डॉक्टर की मदद से इसे ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Sayali Chaudhari

    फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement