जब भी प्रसव के बाद के समय की बात की जाती है, तो हम इसे एक संतुष्टि से भरा, बच्चे के साथ बिताया जाने वाला समय मानते हैं। लेकिन असल में ये समय हर मां को चुनौतीपूर्ण और मुश्किल महसूस होता है। जिन भी महिलाओं ने अपनी प्रेग्नेंसी की चौथी तिमाही देखी है, उन्हें इस बात का अहसास है कि ये किसी भी नयी मां के लिए कितना थका देने वाला समय होता है। यहां तक हम में से 22 प्रतिशत महिलाऐं ऐसी होती हैं, जिन्हे प्रसव के बाद पोस्टपार्टम मूड डिसऑर्डर की समस्या झेलनी पड़ती है। आज हम एक ऐसे ही पोस्टपार्टम मूड डिसऑर्डर की बात करेंगे, जिसे हम पोस्टपार्टम रेज यानी प्रसव के बाद आनेवाले गुस्से के नाम से जानते हैं। आइये जानते हैं आखिर क्या होता है ये पोस्टपार्टम रेज।
क्या है पोस्टपार्टम रेज?
आपने अक्सर प्रसव के बाद होने वाले मूड डिसऑर्डर, पोस्टपार्टम डिप्रेशन और एंग्जायटी के बारे में सुना होगा। लेकिन पोस्टपार्टम रेज नयी मां में होनेवाली एक ऐसी समस्या है, जो उसके लिए तकलीफदेह साबित हो सकती है। पोस्टपार्टम रेज की समस्या अलग अलग महिला में अलग अलग तरीके से हो सकती हैं। यह नई मां की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। आमतौर पर महिलाओं को जिन बातों पर गुस्सा नहीं आता, ऐसी स्थितियों को लेकर वे फिजिकली और वर्बलि गुस्सा कर जाती हैं। ऐसी स्थिति में नई मां को कई तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें –
- गुस्से को कंट्रोल करने में परेशानी
- गुस्से में चिल्लाना
- गुस्से में चीजों को फेंकना और मारना
- परिवारजनों और स्पाउस के प्रति क्रोधित रवैया
- गुस्से से बाहर निकलने में परेशानी का सामना
- गुस्से के बाद इमोशन से सराबोर हो जाना
इस तरह की समस्या महिलाओं को पोस्टपार्टम रेज में भुगतनी पड़ सकती है। जहां एक और पोस्टपार्टम डिप्रेशन के अंदर ही पोस्टपार्टम रेज भी घर करता है, कुछ महिलाओं में जहां वे लेथार्जिक और दुख फील करती हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाएं इन इमोशंस को गुस्से के जरिए व्यक्त करती हैं। दोनों ही स्थितियां अलग अलग तरीके से महिलाओं को ही नुकसान पहुंचाती है।
यह तकलीफ महिला को लंबे समय तक परेशान कर सकती है, इसीलिए समय रहते इसका इलाज कराना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं पोस्टमार्टम रेज के इलाज के लिए क्या किया जा सकता है।
कैसे करें पोस्टपार्टम रेज का इलाज?
जहां एक और पोस्टपार्टम रेज और पोस्टपार्टम डिप्रेशन अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग तरीके से देखे जा सकते हैं, इसीलिए अपने डॉक्टर से बात करके इसके लिए ट्रीटमेंट लेना आपके लिए एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है। पोस्टपार्टम रेज से निकलने के लिए आपको तीन चीजों की जरूरत पड़ सकती है।
सपोर्ट
इस स्थिति से निकलने के लिए आपको सपोर्ट ग्रुप या आपके करीबी किसी व्यक्ति की मदद की जरूरत पड़ती है। जिसमें आप अपनी भावनाओं को उस व्यक्ति के साथ व्यक्त करके यह महसूस कर सकें कि आप अकेले नहीं हैं।
थेरेपी
इस समस्या से निपटने के लिए कोपिंग स्ट्रैटेजिस का पता होना बेहद जरूरी है। यह आपकी भावनाओं को संभालने और आपके बिहेवियर को ठीक करने में मदद करेगी।
मेडिकेशन
कुछ मामलों में आपको मेडिकेशन की जरूरत भी पढ़ सकती हैं, जो कुछ समय के लिए नयी मां को दिए जाते हैं। हालांकि आप साथ-साथ थेरेपी और परिवार जनों का सपोर्ट भी ले सकती हैं। लेकिन दवाओं के इस्तेमाल से आप लंबे समय तक सुकून महसूस कर सकती हैं।
इसके अलावा आप अपनी तकलीफों को एक डायरी में लिख सकती हैं, जो आप को समझने में मदद करेगी की पोस्टपार्टम रेज के दौरान आपका स्वभाव कैसा होता है और कौन सी ऐसी चीजें हैं, जो आपके इस तकलीफ को ट्रिगर करती हैं। इससे आप पोस्टपार्टम रेज के पैटर्न और इसे ट्रिगर करने वाली स्थितियों को समझ सकती हैं।
इसके अलावा लाइफ़स्टाइल चेंजेज भी आपके लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं। हेल्दी डायट, एक्सरसाइज, मेडिटेशन और खुद को अपने पसंदीदा कामों में व्यस्त रखने से आप पोस्टपार्टम रेज की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। ऐसी स्थिति में पोस्टमार्टम के ट्रिगर करने वाली स्थितियों से भी आप बच सकते हैं ।
पोस्टपार्टम रेज की स्थिति कब तक महसूस होती है?
यह बताना बेहद मुश्किल है। कुछ लोगों को थेरेपी, मेडिकेशन से तुरंत आराम होता है, वहीं कुछ लोगों को सामान्य स्थिति में आने के लिए लंबा समय लग सकता है। यह आपकी आसपास की स्थितियों और परिवारजनों के सपोर्ट पर निर्भर करता है। पोस्टपार्टम एंगर लंबे समय तक रहने के अन्य कई कारण हो सकते हैं जैसे –
- अन्य मानसिक विकार
- डिप्रेशन की हिस्ट्री
- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मुश्किल
- मेडिकल और डेवलपमेंटल चेंजेज के साथ बच्चे की परवरिश
- मुश्किलों से भरी, स्ट्रेसफुल और ट्रॉमेटिक डिलीवरी
- सपोर्ट की कमी
- पोस्टपार्टम पीरियड में लाइफ़स्टाइल चेंजेज, जैसे किसी की मृत्यु या जॉब का चले जाना
- पहले भी पोस्टपार्टम मूड डिसऑर्डर होना
इस तरह की सभी स्थितियां लंबे समय तक आपको पोस्टपार्टम एंगर की गिरफ्त में रखने के लिए काफी मानी जाती हैं। हालांकि इसमें रिकवरी की कोई टाइमलाइन मौजूद नहीं है, लेकिन पोस्टमार्टम एंगर थोड़े समय के लिए ही आपको परेशान कर सकता है। जितना जल्दी आप ट्रीटमेंट और मदद लेंगे, उतना जल्दी ही आप बेहतर महसूस कर सकेंगे, इसीलिए जल्द से जल्द ट्रीटमेंट लेने की सलाह इस स्थिति में दी जाती है। जिससे आप जल्द से जल्द पोस्टमार्टम रेज से रिकवर हो सके।
किन बातों का रखें ध्यान?
पोस्टपार्टम रेज की स्थिति में आप को सबसे पहली बात समझने की कोशिश करनी चाहिए कि इस स्थिति को एक्सपीरियंस करने वाली आप अकेली महिला नहीं है। यह किसी भी तरह का मेंटल डिसऑर्डर नहीं है और इसका इलाज थेरेपी और अन्य तरह की मदद से किया जा सकता है। यह एक तरह का मूड डिसऑर्डर कहलाता है, जिसे बाहर निकलना आसान है।
पोस्टपार्टम रेज को महसूस करने वाली महिलाओं को पोस्टपार्टम डिप्रेशन और एंजाइटी भी हो सकती है, ऐसी स्थिति को परिपार्टम ऑन सेट के साथ मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर का नाम दिया गया है, जिसे DSM 5 के नाम से जाना जाता है।
कई बार महिलाओं में पोस्टमार्टम रेज को नजरअंदाज किया जा सकता है, जिसकी वजह से महिला लंबे समय तक इस स्थिति से परेशान रह सकती हैं। कई बार महिला के गुस्से के कारण उसे अन्य परिवार जनों द्वारा हतोत्साहित किया जाता है, ऐसी स्थिति में पोस्टपार्टम रेज ठीक होने की बजाय बढ़ सकता हैं। इसीलिए प्रसव के बाद महिलाओं में आने वाले गुस्से को ध्यान में रखा जाना बेहद जरूरी है।उन्हें सुरक्षित महसूस करवाना बेहद जरूरी होता है और समय रहते उनका ट्रीटमेंट करवाना जरूरी हो जाता है।
लंबे समय तक गुस्से के कारण पोस्टपार्टम मूड डिसऑर्डर हो सकते हैं, इसीलिए मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से इसके बारे में मदद लेना बेहद जरूरी माना जाता है। बच्चे की वजह से फ्रस्ट्रेशन महसूस करना एक आम बात है, लेकिन लंबे समय तक तेज गुस्सा आना आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा गुस्सा आने पर आपको इसे एक लक्षण की तरह मानना चाहिए और हेल्थ प्रोफेशनल से मदद लेनी चाहिए। जल्द इलाज के साथ इस स्थिति से बाहर निकलना आपके लिए आसान बन सकता है।
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