बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश (Non-blanching rash in adults and children) की होना आम बात है। ये प्रेशर में भी फीके नहीं पड़ते हैं। ऐसा स्किन के अंदर खून बहने के कारण हो सकता है। बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश की समस्या आमतौर पर सीरियस नहीं मानी जाती है। वहीं कुछ मामलों में ये गंभीर कंडीशन की ओर भी इशारा कर सकते हैं। कुछ लोगों में नॉन ब्लेंचिंग रैश की समस्या मेनिन्जाइटिस या सेप्सिस ( Meningitis or sepsis) रोग की ओर भी इशारा कर सकती है। आइए जानते हैं बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश (Non-blanching rash in adults and children) की समस्या किस कारण से होती है और इस कारण से किन लक्षणों का सामना कर सकता है।
और पढ़ें: How To Manage Thin Skin: त्वचा को पतला होने से बचाएं, इन तरीकों को अपनाएं
बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश (Non-blanching rash in adults and children)
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश की समस्या कई मामलों में सीरियस नहीं होती है। वहीं कुछ मामलों में यह गंभीर कंडीशन का संकेत भी हो सकती है। इस कारण से व्यक्ति को इमरजेंसी मेडिकल अटेंशन की भी जरूरत पड़ सकती है। अगर व्यक्ति को निम्नलिखित लक्षण आ रहे हैं, तो ऐसे में उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- बुखार आना
- उल्टी
- भयानक सिरदर्द
- मसल्स या मांसपेशियों में दर्द
- शरीर कांपना
- पैर या हाथों का ठंडा होना
- मौत का अचानक डर सताना
- पीली या धब्बेदार त्वचा
- गर्दन में अकड़न होना
- तेज रोशनी के प्रति सेंसिटीविटी
- नींद ज्यादा आना
- उलझन का एहसास
अगर आपको उपरोक्त दिए गए लक्षण नजर आते हैं, तो आपको देरी नहीं करनी चाहिए और तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
और पढ़ें: त्वचा पर ब्लीच (Bleach On Skin) कब हो सकता है खतरनाक?
बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश : नॉन ब्लेंचिंग रैश के वयस्कों में क्या होते हैं कारण?
नॉन ब्लेंचिंग रैश वयस्कों में एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। कुछ लोगों में तो इस कंडीशन के किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कुछ बीमारियां जैसे कि ऑटोइम्यून डिजीज वैस्क्युलाइटिस (Vasculitis) के कारण भी शरीर में न होने लगते हैं। जिसके कारण फीवर की समस्या, हार्ट बीट का अचानक से बढ़ जाना, जॉइंट्स में सूजन आ जाना, थकान का अधिक होना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बीमारी के लक्षण बीमारी के कम या फिर ज्यादा बढ़ने के कारण बढ़ सकते हैं।
इडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (Idiopathic thrombocytopenia) के कारण भी नॉन ब्लेंचिंग रैश की समस्या का सामना वयस्कों को करना पड़ सकता है। ये प्रकार का ब्लीडिंग डिसऑर्डर है, जो ब्लड को क्लॉट नहीं होने देते है या फिर ब्लड को जमने से रोकने का काम करता है। यह शरीर के अंदर और त्वचा के नीचे ब्लीडिंग का कारण बनता है, जो बिना ब्लैंचिंग रैशेज का कारण बन सकता है।ये चकत्ते छोटे लाल या बैंगनी डॉट्स या बड़े लाल या भूरे रंग के निशान के समान दिख सकते हैं। इनके साथ ही कुछ लक्षण जैसे कि नोजब्लीड, गमब्लीड और अधिक से कम मात्रा में माहवारी होती है।
और पढ़ें: चेहरे की त्वचा का पील होना जब बन जाए मुसीबत, तो ये उपाय आ सकते हैं काम!
मेनिन्जाइटिस (Meningitis) इंफेक्शन के कारण होने वाली समस्या है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की सूजन पैदा करती है।इस स्थिति के मुख्य प्रकार वायरल मैनिंजाइटिस और बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस हो सकते हैं। इस कारण से कुछ लक्षण जैसे कि नॉन ब्लेंचिंग रैश, बुखार
सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, उलझन आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।मेनिनजाइटिस एक बहुत ही गंभीर हेल्थ कंडीशन है। कोई व्यक्ति उपरोक्त लक्षणों का अनुभव कर रहा है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
सेप्सिस की समस्या भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। जब शरीर का इम्यून सिस्टम इंफेक्शन के प्रति बॉडी को रिस्पॉन्स करता है, तो नॉन ब्लेंचिंग रैश के साथ ही कई अन्य लक्षण भी पैदा हो सकते हैं। इनमें बुखार, ठंड लगना और कंपकंपी, तेज नाड़ी हो जाना, जिसे टैचीकार्डिया के रूप में जाना जाता है, चक्कर आना, भ्रम, कॉन्सियशनेस में कमी आदि लक्षण जिख सकते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
और पढ़ें: एचआईवी में त्वचा के घाव कैसे दिखते हैं और उनका इलाज कैसे करें
बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश : नॉन ब्लेंचिंग रैश के बच्चों में क्या होते हैं कारण?
नॉन ब्लेंचिंग रैश की समस्या वयस्कों के साथ ही बच्चों को भी परेशान कर सकती है। बच्चों में भी नॉन ब्लेंचिंग रैश होने के एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। एचएसपी (HSP) बच्चों में वास्कुलिटिस का सबसे आम रूप है। एचएसपी (HSP) के अधिकांश मामले 3-15 वर्ष की आयु के बच्चों में होते हैं, और यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा बार डेवलप होने के चांसेज होते हैं। बच्चों में एचएसपी के अधिकांश मामले हल्के होते हैं और अपने आप ठीक हो जाते हैं।
वास्कुलिटिस के कई अन्य रूप भी बच्चों को प्रभावित कर सकते हैं। वे एचएसपी से कम आम हैं, लेकिन वे अधिक गंभीर हो सकते हैं। इनमें कावासाकी डिजीज (Kawasaki disease), पॉलीआर्थराइटिस नोडोसा (Polyarteritis nodosa), ताकायासु आर्टरीज (Takayasu’s arteritis) आदि के कारण भी बच्चों में नॉन ब्लेंचिंग रैश की समस्या हो सकती है।
और पढ़ें: त्वचा के लिए गुलाब जल के फायदे एक नहीं, अनेक है, जानिए यहां
आईटीपी (ITP) की समस्या वयस्कों और बच्चों, दोनों में विकसित हो सकती है। बच्चे इस कंडीशन को कुछ समय के लिए अनुभव कर सकते हैं। यह आमतौर पर कुछ हफ्तों के भीतर दूर हो जाता है। इस समस्या के कारण बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश (Non-blanching rash in adults and children) की संभावना बढ़ जाती है। आपको इस बारे में डॉक्टर से पूछना चाहिए।
बीमारी को डायग्नोज और ट्रीट कैसे किया जाता है?
बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश (Non-blanching rash in adults and children) की समस्या डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर पहले बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेते हैं। इसके बाद डॉक्टर कुछ टेस्ट जैसे कि ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, मेडिकल इमेजिंग टेस्ट जैसे की सीटी स्कैन, ब्लड वेसल्स का एक्सरे, बायोप्सी जिसमें टिशू का एग्जामिनेशन करते हैं आदी कराने की सलाह दी जा सकती है। व्यक्ति को जिस प्रकार की बीमारी है, उसके हिसाब से ही डॉक्टर ट्रीटमेंट कराने की सलाह देते हैं। अगर ट्रीटमेंट सही समय पर करा लिया जाए, तो समस्या से राहत आसानी से मिल जाती है। अगर आपको किसी भी प्रकार की जानकारी चाहिए, तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
इस आर्टिकल में हमने आपको बच्चों और वयस्कों में नॉन ब्लेंचिंग रैश (Non-blanching rash in adults and children) से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।