हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन होते रहते हैं। इन्हीं परिवर्तनों में एक है शरीर में अचानक के सेल्स या कोशिकाओं का बढ़ने लग जाना। जब शरीर के किसी हिस्से में तेजी सेल्स बढ़ने लगती हैं, तो उनमें बहुत तेजी से ग्रोथ होती है और ट्यूमर भी बनने लगता है, जिस कारण से कैंसर की बीमारी हो जाती है। वही लिपोमा (lipoma) एक प्रकार का लंप है, जो स्किन के अंदर पाया जाता है। यह फैट सेल्स की ग्रोथ के कारण बनता है। डॉक्टर का मानना है कि लिपोमा के नॉन कैंसरस ट्यूमर के रूप में जन्म लेते हैं। इस कारण से व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब शरीर के किसी हिस्से में लिपोमा (Lipoma) आ जाता है, तो क्या परेशानी हो सकती है, इसके क्या लक्षण होते हैं और साथ ही इससे क्या रिस्क फैक्टर जुड़े हुए हैं, इस बारे में आज हम आपको आर्टिकल की मदद से जानकारी देंगे।
लिपोमा (Lipoma) क्या है?
जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया कि लिपोमा नॉन कैंसरस होता है। यानी कि इसका कैंसर से संबंध नहीं है लेकिन शरीर में कई समस्याएं हो आ जाने के कारण लोग इससे छुटकारा पाना चाहते हैं।लिपोमा शरीर के किसी भी हिस्से में पाया जा सकता है, जहां पर फैट सेल्स मौजूद होती हैं। लेकिन यह कंधे छाती, धड़ और बगल में अधिक दिखाई देता है। कुछ मामलों में यह इंटरनल ऑर्गन, बोंस, मसल्स में भी बन सकते हैं। वैसे तो ये नरम महसूस होते हैं लेकिन जब इन्हें छुआ जाता है, तो यह थोड़ा हिल जाते हैं। यह धीमे-धीमे बढ़ते रहते हैं जिसमें वर्षों लग जाते हैं। यह आमतौर पर 2 से 3 सेंटीमीटर के आकार के हो सकते हैं लेकिन कुछ लोगों में यह 10 सेंटीमीटर तक भी हो सकते हैं, जो कि बड़ा आकार होता है। ये किस कारण से होते हैं और कैसे इसे डायग्नोज किया जाता है, आइए जानते हैं इसके बारे में।
लिपोमा किस कारण से हो सकता है?
आपके मन में यह सवाल जरूर हो आ रहा होगा कि आखिरकार लिपोमा की समस्या क्यों होती है? हम आपको बताते चलें कि यह आपको ये जीन विरासत के रूप में मिल सकते हैं। यह रेयर होते हैं और फैमिलियल मल्टीपल लिपोमैटोसिस के रूप में भी जाना जाता है। कुछ लोगों में ऐसी मेडिकल कंडीशन होती है, जिनमें लिपोमा के होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसी मेडिकल कंडीशन निम्नलिखित है।
- गार्डनर सिंड्रोम (Gardner’s syndrome)
- काउडेन सिंड्रोम (Cowden syndrome)
- मैडेलुंग की बीमारी (Madelung’s disease)
- एडिपोसिस डोलोरोसा (Adiposis dolorosa)
शोधकर्ताओं की मानें तो कुछ लिपोमा चोट के बाद भी पैदा हो सकते हैं, जिसमें उस स्थान पर काफी प्रभाव पड़ता है। अगर आपको किसी स्थान में चोट लगी है, तो संभावना है कि उस स्थान पर उभार आ जाए। ये लिपोमा हो सकता है।
लिपोमा होने पर क्या दिखते हैं लक्षण?
लिपोमा की समस्या होने पर आपको उस स्थान में नरम या गांठ जैसा महसूस हो सकता है। वैसे तो लिपोमा होने पर दर्द की समस्या नहीं होती है लेकिन जब भी किसी को लिपोमा जोड़ों, अंगों, नसों या ब्लड वैसल्स में हो जाते हैं, तो दर्द भी पैदा कर सकते हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि लोगों को लिपोमा होने पर किसी प्रकार के लक्षण नजर नहीं आते हैं। लिपोमा की समस्या स्किन के अंदर होती है, जिसे महसूस नहीं किया जा सकता है। लिपोमा इंटरनल ऑर्गन पर होने पर भी परेशान पैदा होती हैं। जिन लोगों के आंतों के आसपास लिपोमा होते हैं, उन्हें उल्टी के साथ ही
कब्ज समस्या (constipation problem) भी हो सकती है
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि लिपोमा फैट सेल्स का मास होता है। एक्सपर्ट यह बात मानते हैं कि लिपोमा कैंसरस नहीं होता है लेकिन इसकी संभावना हो भी सकती है। यह बहुत रेयर माना जाता है। फैट सेल्स के एक कैंसरयुक्त मास को लिपोसारकोमा (Liposarcoma) के रूप में जाना जाता है। लिपोसारकोमा लिपोमा से डेवलप नहीं होते हैं, लेकिन वास्तव में यह एक अलग प्रकार के ट्यूमर हैं। डॉक्टर कभी-कभी लिपोसारकोमा (Liposarcoma) को लिपोमा समझ लेते हैं। लिपोमा में कैंसर और प्री कैंसरस, दोनों कोशिकाएं हो सकती हैं।
लिपोमा से जुड़े रिस्क फैक्टर (Risk factors related with lipoma)
लिपोमा की समस्या किसी भी व्यक्ति में हो सकती है। वैसे तो यह समस्या लगभग 1% लोगों में ही होता है लेकिन जिन परिवारों में लिपोमा की समस्या होती है, उनमें इसका खतरा बढ़ जाता है। करीब 40 से 60 वर्ष की आयु के लोगों में लिपोमा होने का खतरा अधिक होता है। इसके साथ ही कुछ रिस्क फैक्टर भी हैं, जो लिपोमा की संभावना को बढ़ाते हैं। इसमें मोटापा,
डायबिटीज की समस्या (Problem of diabetes),
लिवर से संबंधित बीमारी, ग्लूकोस टॉलरेंस आदि समस्याएं जुड़ी हुई है। अगर आपको निम्नलिखित में से कोई भी समस्या हो, तो बेहतर होगा कि उसका उपाय करें क्योंकि इन समस्याओं के कारण आपके शरीर में कई नई बीमारियां जन्म ले सकती हैं।
लिपोमा का डायग्नोसिस (Diagnosis of lipoma)
अगर आपको शरीर में किसी भी प्रकार की गांठ महसूस होती है या फिर उभार होता है, तो ऐसे मैं आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर शारीरिक परीक्षण के माध्यम से इसे जांचने की कोशिश करते हैं। अगर लिपोमा बड़ा है या फिर उस में दर्द हो रहा है, तो ऐसे में डॉक्टर बॉयोप्सी की भी सलाह दे सकते हैं।
कैंसर की जांच के लिए बायोप्सी कराई जाती है ताकि कैंसर के होने या ना होने की जानकारी मिल सके। साथ ही में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन आदि कराने की सलाह दे सकते हैं।
लिपोमा का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?
अगर लिपोमा कैंसरस नहीं है, तो ऐसे में डॉक्टर इसे हटाने की सलाह दे सकते हैं। उसके लिए छोटा सा कट लगाया जाता है। इस दौरान व्यक्ति को अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। व्यक्ति एक ही दिन में घर वापस जा सकता है। डॉक्टर लिपोमा को हटाने के साथ ही साथ फैट सेल्स को भी हटा देते हैं ताकि बाद में समस्या का सामना ना करना पड़े। लिपोमा को निकालने के बाद डॉक्टर लिपोमा के कुछ हिस्से को लेबोरेटरी में भी भेज सकते हैं। लिपोमा हटाने के बाद आपको उस स्थान पर दाग की समस्या हो सकती है।
इस आर्टिकल में हमने आपको लिपोमा (lipoma) के बारे में अहम जानकारी दी है। उम्मीद है आपको
हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको स्किन के संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हैलो हेल्थ की वेबसाइट में आपको अधिक जानकारी मिल जाएगी।