कुछ लोगों के छींकने की आवाज इतनी तेज होती है कि दूसरे के कान के तोते उड़ा देते हैं। लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि नाक से नहीं बल्कि वो तेज आवाज मुंह से आती है। जब तेजी से हवा का दबाव बाहर निकलता है तो हमारे मुंह से ‘आछू’ की आवाज आती है। लेकिन ये आछू भाषा के हिसाब से अलग-अलग होता है। फ्रेंच में एट्कम, इटैलियन में हप्सू, जापानी में हाकुशॉन और स्वीडिश में अट्जो कहते हैं। जबकि आछू इंग्लिश शब्द है।
छींकते समय आछू (ACHOO) क्यों बोल पड़ते हैं लोग?
जान कर हैरानी होगी कि सूरज की रोशनी या तेज रोशनी भी आपके छींकने की वजह बन सकती है। इस स्थिति को ऑटोसोमल डॉमिनेंट कॉम्पेलिंग हेलियोऑफ्थैल्मिक आउटबर्स्ट सिंड्रोम कहते हैं [ Dominant Compelling Helio-Ophthalmic Outburst (ACHOO) Syndrome]। जिसका संक्षिप्त रूप ACHOO (Autosomal Compelling Helio-Ophthalmic Outburst (ACHOO) syndrome) लोगों के समझने के लिए बनाया गया है, यहीं से छींकते समय आछू कहने का सिलसिला शुरू हुआ।
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क्या सोते समय भी छींक आ सकती है?
मन में कभी सवाल आया ही होगा कि क्या सोते समय भी छींक आ सकती है? इसका जवाब है, नहीं। सोते समय खर्राटे आ सकते हैं, लेकिन छींक नहीं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आपके छींक के लिए जिम्मेदार नसें सोते समय रिलैक्स फॉर्म में होती हैं। अगर कोई भी चीज आपको सोते समय अगर आपकी नाक में चली जाती है तो आपकी नींद खुलती है और फिर आपको छींक आती है।
एक बार में इंसान को कितने बार छींक आती है?
अमूमन इंसान को लगातार एक या दो बार छींक आती है। लेकिन कभी-कभी लगातार पांच से छह बार भी छींक आ सकती है। इतनी बार छींकना बहुत सामान्य बात है। वहीं, छींकने में एक महिला ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। इंग्लैंड की रहने वाली एक महिला को जोना ग्रिफिथ्स ढाई साल तक लगातार छींकती रहीं। जब डोना साल की थीं तभी उन्हें 13 जनवरी, 1981 से 16 सितंबर 1983 तक लगातार छींकें आती रहीं। इसके बाद अचानक से उनकी छींकें आनी बंद हो गई। लेकिन किसी भी वैज्ञानिक को ये समझ में नहीं आया कि उन्हें लगातार छींकें आने का कारण क्या था।