वैज्ञानिकों ने एचआईवी (HIV) को हटाने के लिए ‘किल स्विच’ (kill switch) नाम का मॉलिक्यूल (molecule) खोजा है। इससे संक्रमित सेल (cell) को बढ़ने से रोका जा सकता है। अभी तक यही माना जाता था कि जिंदगी भर यदि दवा ली जाए तो, एड्स होने वाली स्थिति से बचा जा सकता है। जब तक दवा ली जाती है, तब तक एचआईवी (HIV) वायरस निष्क्रिय रहता है। थेरेपी के बंद होते ही वायरस दोबारा एक्टिव हो जाता है। अब अमेरिका के वैज्ञानिकों का मानना है एचआईवी के क्षेत्र में तीन दशकों से जिस खोज की जरूरत थी वह खोज उन्होंने कर ली है।
ड्रग से वायरस नहीं पनप पाता
किसी व्यक्ति को एचआईवी होने का पता चलता है तो, डॉक्टर एंटिरेट्रोवायरल (antiretroviral) से उसका उपचार करते हैं। एक ही टैबलेट में तीन ड्रग होने से वायरस का बढ़ना बंद हो जाता है। ऐसा करने से खून में मौजूद एचआईवी की मात्रा कम हो जाती है। यह वायरस एक निश्चित मात्रा से जब कम हो जाता है तो, माना जाता है कि यह अनडिटेक्टएबल (undetectable) हो गया है। यानी बिना किसी प्रोटेक्शन के सेक्स करने पर भी उस व्यक्ति के पार्टनर को एचआईवी नहीं होगा। हालांकि यह उपचार कारगर है पर इससे पूर्ण बचाव की संभावना नहीं होती। थोड़े कम स्तर पर ही सही यह वायरस हमेशा एक्टिव रहता है। एंटिरेट्रोवायरल थैरेपी (antiretroviral therapy) के बंद करते ही एचआईवी दोबारा जाग जाता है।
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सफलता के पहुंचे करीब
यूनिवर्सिटी आॅफ कैलिफॉर्निया सेन डिएगो (University of California San Diego) की नई खोज ने सफलता की ओर वैज्ञानिकों की उम्मीदों को बढ़ा दिया है। इम्यून सेल में एचआईवी को बढ़ाने वाले कारण का पता वैज्ञानिकों को चल गया है। लैब टेस्ट से पता चला कि जब आरएनए मॉलिक्यूल (RNA) डब्ब्ड हील (dubbed heal) को रोका गया या हटाया गया तो, उसने निष्क्रिय एचआईवी को हटा दिया। । इस स्टडी के आॅथर डॉ तारीक राणा ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया। इसमें एंटिरेट्रोवायरल उपचार (antiretroviral treatment) को रोककर जब एक नॉनकोडिंग आरएनए (non-coding RNA) को जैनेटिकली मॉडिफाई (genetically modify) किया गया तो, टी सेल (immune cells) में एचआईवी का बढ़ना रुक गया। इससे पता चला कि थेरोप्यूटिक टार्गेट (therapeutic target) से एचआईवी को रोका जा सकता है।
एचआईवी और एड्स में अंतर
एचआईवी (HIV) को ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency virus) कहते हैं। इसी वायरस की वजह से एक्वायर्ड इम्यून-डिफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immune Deficiency Syndrome) की बीमारी होती है। या आप यह भी कह सकते हैं की HIV एक वायरस है जिससे, AIDS जैसी गंभीर बीमारी होती है।
एचआईवी के लक्षण
- थकावट महसूस करना।
- तेज सिर दर्द होना।
- तेज बुखार आना।
- लगातार शारीरिक तौर पर बीमार रहने के कारण वजन घटने लगना।
- किसी भी काम में मन नहीं लगना।
- जोड़ों में दर्द की शिकायत बढ़ जाना।
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HIV पॉसिटिव से बचने के उपाय
- असुरक्षित शारीरिक संबंध न बनाएं।
- कंडोम का इस्तेमाल करें।
- यह ध्यान रखना चाहिए कि आपका पार्टनर HIV संक्रमित न हो।
- HIV पॉजिटिव व्यक्ति के ब्लड के संपर्क में न आएं।
दुनिया भर में 350 लाख लोग एचआईवी (HIV) से ग्रसित हैं। एंटिरेट्रोवायरल उपचार और आधुनिक मेडिसिन की बदौलत लोग एचआईवी (HIV) के आखिरी स्टेज में होने वाली दिक्कतों से बचे रहते हैं। शुरू में ही यदि एचआईवी (HIV) का पता चल जाए और उपचार शुरू हो जाए तो, यह लोग भी अन्य सामान्य लोगों की तरह जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
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