परिचय
रेटिनल डिटैचमेंट क्या हैं?
रेटिनल डिटैचमेंट एक ऐसी समस्या है जिसमें तुरंत इलाज की जरूरत होती है। रेटाइनल डिटैचमेंट तब होता है जब ऊतक की पतली परत यानी रेटिना आंख को पीछे की तरफ खींचने लगती है। रेटिना आंख के पीछे तंत्रिका कोशिकाओं की एक पतली परत होती है। एक स्वस्थ रेटिना होने की वजह से हम आंखों द्वारा साफ चीजें देखने में सक्षम होते हैं। पहले यह रेटिना के छोटे से पार्ट को प्रभावित करता है। लकिन अगर इलाज नहीं हुआ तो यह पूरे रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे मरीज की आंखों की रोशनी खो सकती है।
रेटिना ऑप्टिक तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क को संकेत भेजता है। रेटिना सामान्य दृष्टि उत्पन्न करने के लिए कॉर्निया, लेंस, आंख के अन्य हिस्सों और मस्तिष्क के साथ काम करता है। रेटाइनल डिटैचमेंट ज्यादातर एक आंख को ही प्रभावित करता है। यह उन लोगों को होता है जिन्हें डायबिटीज हो, जिनकी मोतियाबिंद की सर्जरी हुई हो या आंख में किसी तरह की चोट लगी हो। अगर आपको देखने में कुछ समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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कारण
रेटिनल डिटैचमेंट का कारण क्या है?
रेटिनल डिटैचमेंट के तीन प्रकार हैं:
- रिमेटोजिनस
- ट्रैक्शनल
- एग्ज्युडेटिव
रिमेटोजिनस रेटिनल डिटैचमेंट
यदि आपको रिमेटोजिनस रेटिनल डिटैचमेंट होता है तो रेटिना में छेद हो जाता है जिससे रेटिना पीछे की ओर जाने लगता है। इससे रेटिना पिगमेंट एपिथेलियम को भी नुकसान पहुंचता है। यह एक झिल्ली होती है और रेटिना तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती है। इस झिल्ली से रेटिना अलग हो जाता है। यह रेटाइनल डिटैचमेंट का सबसे आम प्रकार है।
ट्रैक्शनल रेटिनल डिटैचमेंट
ट्रैक्शनल रेटिनल डिटैचमेंट तब होता है जब रेटिना के ऊतक की सतह पर निशान बन जाते हैं और आपके रेटिना को पीछे की ओर खींचते हैं। यह बीमारी आम नहीं है। डायबिटीज के मरीजों को ये समस्या हो सकती है।
एग्ज्युडेटिव डिटैचमेंट
एग्ज्युडेटिव डिटैचमेंट में आंखों के रेटिना पर छेद नहीं होता है। रेटाइनल डिटैचमेंट निम्न कारणों से होता है:
- आंखों में सूजन के कारण रेटिना में एक तरल पदार्थ जमा होने लगता है।
- रेटिनल डिटैचमेंट होने की एक वजह रेटिना में कैंसर होना भी हो सकता है।
- आंखों में सूजन होने पर कुछ तरल पदार्थ रिसते हैं और आंखों के पीछे जमा हो जाते हैं जिससे रेटिना को नुकसान पहुंचता है।
- रेटिना में कैंसर होना भी रेटिनल डिटैचमेंट का कारण हो सकता है।
- रेटिना में रक्त वाहिकाओं का असमान्य रूप से बढ़ना भी रेटिनल डिटैचमेंट होने की वजह है। इससे प्रोटीन का रिसाव होता है और यह रेटिना के पीछे जमा हो जाता है।
- रेटिना ऊतक की ऐसी परत है जो आंख के अंदर की रेखाओं को दिखाती है। इसका काम ऑप्टिक तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क को चित्र के संकेत भेजना है।
- जब हम देखते हैं, प्रकाश आंख की ऑप्टिकल प्रणाली से गुजरता है और रेटिना को हिट करता है, तो एक छवि बनाता है और ऑप्टिक तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क को भेजा जाता है।
- अगर रेटिना में कोई चोट लगती है तो व्यक्ति की देखने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
- रेटिनल डिटैचमेंट होने से कुछ अन्य खतरे भी बढ़ जाते हैं। उनके बारे में भी जानकारी लेना जरूरी है:
- पोस्टीरियर वाइटरस डिटैचमेंट हो जाता है। ये ज्यादातर 40-50 की उम्र वाले लोगों में देखा गया है।
- दूर की चीजें पास दिखती हैं जिससे आंखों पर दबाव पड़ता है।
- परिवार में किसी अन्य को भी ये बीमारी हो सकती है।
- 50 वर्ष से अधिक लोगों में रेटिनल डिटैचमेंट की समस्या ज्यादा देखी गई है।
- पहले अगर रेटिनल डिटैचमेंट हो चुका है तो ये दोबारा भी हो सकता है।
- मोतियाबिंद का इलाज हुआ है तो ये रेटाइनल डिटैचमेंट को जन्म दे सकता है।
- डायबिटीज के मरीजों में भी रेटाइनल डिटैचमेंट देखा गया है।
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लक्षण
रेटिनल डिटैचमेंट के लक्षण क्या हैं?
रेटिनल डिटैचमेंट से प्रभावित लोगों की आंखों में कोई दर्द नहीं होता है। इस बीमारी में कई अलग प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं:
- आंखों से धुंधला दिखना
- कुछ समय के लिए आंखों की रोशनी जा सकती है। ऐसा लगता है कि आंखों के सामने अंधेरा छा गया हो।
- प्रकाश की अचानक चमक से आंखों में परेशानी होना।
- आंखों से बुलबुले या पतले तार जैसा दिखता है।
- आंख में भारीपन
- कोई देखते समय वह छाया जैसी दिखनी शुरू हो जाती है।
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इलाज
रेटिनल डिटैचमेंट का इलाज क्या है?
डॉक्टर रेटिनल डिटैचमेंट के ज्यादातर मामलों में सर्जरी करते हैं। अगर समस्या ज्यादा गंभीर नहीं है तो डॉक्टर कुछ सरल प्रक्रिया भी अपना सकते हैं। ये प्रक्रियाएं इस प्रकार हैं:
फोटोकॉग्यूलेशन
अगर आपके रेटिना में छेद है और वह जुड़ा हुआ है तो डॉक्टर लेजर टेक्नोलॉजी के साथ फोटोकॉग्यूलेशन का इस्तेमाल कर आपका इलाज कर सकते हैं। रेटिना में हुए छेद को चारों ओर लेजर की मदद से भर दिया जाता है।
क्रायोपेक्सी
रेटिनल डिटैचमेंट का इलाज क्रायोपेक्सी से भी किया जाता है। इस उपचार के लिए डॉक्टर आंख के बार फ्रीजिंग प्रोब का सहारा लेंगे। इसी के जरिए रेटिना को अपनी सही जगह पर रखने में मदद मिलेगी।
रेटिनोपेक्सी
रेटिनल डिटैचमेंट को ठीक करने का यह तीसरा विकल्प है। बहुत मामूली डिटैचमेंट के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए डॉक्टर आपकी आंख की दीवार के विपरीत एक गैस बुलबुला डाल देगा, जो रेटिना को वापस ऊपर ले जाने में मदद करेगा। एक बार जब आपका रेटिना वापस अपनी जगह पर जाता है, तो डॉक्टर छेद को बंद करने के लिए एक लेजर या फ्रीजिंग प्रोब का सहारा लेंगे।
स्केरल बकलिंग
रेटिनल डिटैचमेंट के ज्यादा गंभीर मामलों के लिए डॉक्टर अस्पताल में सर्जरी करते हैं। इसके लिए वे स्केरल बकलिंग का सहारा लेते हैं। इसमें रेटिना को वापस अपनी जगह पर पहुंचाने के लिए आंख के बाहर चारों ओर एक बैंडनुमा चीज लगाते हैं। जिससे रेटिना फिर से आंख की दीवार से चिपक जाए। स्केरल बकलिंग को विट्रेकटॉमी के साथ मिलाकर किया जा सकता है। क्रायोपेक्सी या रेटिनोपेक्सी को स्क्लेरल बकलिंग प्रक्रिया के दौरान किया जाता है।
विट्रेकटॉमी
रेटिनल डिटैचमेंट के इलाज का एक अन्य विकल्प विट्रेकटॉमी भी है। इसका उपयोग रेटिना में हुए बड़े छेद के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में आपको एनेस्थीसिया भी दिया जाता है। इसे अक्सर आउटपेशेंट प्रक्रिया के रूप में किया जाता है। इस प्रकिया में मरीज को करीब एक-दो दिन तक अस्पताल में ही रहना पड़ता है। डॉक्टर आपके रेटिना से एक जेल जैसा तरल पदार्थ निकालने के लिए छोटे उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं। फिर वे आपके रेटिना को वापस उसके सही स्थान पर रख देंगे। आमतौर पर रेटिना को सही स्थान पर रखने की प्रक्रिया गैस के बुलबुले के साथ की जाती है। क्रायोपेक्सी या रेटिनोपेक्सी को विट्रेकटॉमी प्रक्रिया के दौरान किया जाता है।