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C-section: सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/10/2020

C-section: सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) क्या है?

परिचय

सी-सेक्शन (C-section) क्या है?

सिजेरियन डिलीवरी (Cesarean delivery) को सी-सेक्शन (C-section) कहा जाता है। सी-सेक्शन के दौरान महिला के पेट और गर्भाशय को काट कर बच्चे का प्रसव किया जाता है।

अगर आपकी गर्भावस्था में किसी तरह की मुश्किल आ रही है या आप पिछले बच्चे के जन्म के दौरान सी-सेक्शन से गुजर चुकी हैं या आप सामान्य प्रसव यानी योनि के माध्यम से बच्चे का जन्म नहीं करना चाहती हैं, तो समय से पहले ही सी-सेक्शन या सिजेरियन डिलीवरी की योजना बना सकती हैं। हालांकि, पहली बार सी-सेक्शन की आवश्यकता तब तक साफ नहीं होती है जब तक कि लेबर पेन नहीं होता है।

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सी-सेक्शन की जरूरत कब होती है?

सिजेरियन डिलीवरी आमतौर पर तब की जाती है जब प्रेग्नेंसी से होने वाली समस्याएं नॉर्मल डिलीवरी के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हों या प्रसव के दौरान मां या शिशु को खतरा हो सकता है। कभी-कभी प्रेग्नेंसी में सिजेरियन डिलीवरी की योजना बनाई जाती है, लेकिन जब वे प्रसव के दौरान समस्याएं पैदा करते हैं, तो समय से पहले भी सी-सेक्शन की जरूरत हो सकती है।

इन स्थितियों में हो सकती है सी-सेक्शन की जरूरतः

  • बच्चे का सिर बहुत बड़ा हो, जो योनि के माध्यम से बाहर नहीं आ सकता है
  • जन्म के दौरान बच्चे का पैर पहले बाहर आए (breech birth)
  • प्रेग्नेंसी के शुरूआत में समस्याएं
  • मां की स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे- हाई ब्लड प्रेशर या अस्थिर ह्रदय रोग
  • मां के पास जननांगों में दाद होना, जो बच्चे में फैल सकता है
  • पिछला सिजेरियन डिलीवरी
  • प्लेसेंटा के साथ समस्याएं, जैसे- प्लेसेंटा एब्स्ट्रक्शन या प्लेसेंटा प्रीविया
  • गर्भनाल के साथ समस्याएं
  • बच्चे को कम ऑक्सीजन की आपूर्ति
  • जन्म के दौरान बच्चे का कंधा पहले बाहर आए (transverse labor)

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जोखिम

सी-सेक्शन से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?

सी-सेक्शन डिलीवरी के कुछ जोखिम हो सकते हैं। निम्न परिस्थितियां होने पर आपका डॉक्टर आपको सिजेरियन डिलीवरी से मना करा सकते हैंः

सी-सेक्शन के क्या साइड इफेक्ट्स और समस्याएं हो सकती हैं?

अन्य गंभीर और बड़ी सर्जरी की तरह है, इस सर्जरी के भी कुछ जोखिम हो सकते हैं।

सी-सेक्शसन के कारण बच्चे को होने वाले जोखिमः

  • सांस लेने से जुड़ी समस्याएं- सी-सेक्शन के दौरान बच्चे का जन्म प्राकृतिक रूप से पहले या बाद में हो सकता है। जिसके कारण बच्चे में सांस लेने से जुड़ी समस्याएं हो सकती है, जन्म के कुछ समय बात वो बहुत तेज सांसें ले सकता है।
  • सर्जिकल इंजरी- यह बहुत ही कम मामलों में देखा जाता है। कुछ मामलों में ऑपरेशन के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले औजार बच्चे की त्वचा में घाव कर सकते हैं।

मां को होने वाले जोखिम:

  • सी-सेक्शन के बाद, मां को गर्भाशय के स्तर (एंडोमेट्रैटिस) में इंफेक्शन होने का खतरा हो सकता है।
  • सी-सेक्शन के बाद बहुत ज्यादा खून बह सकता है।
  • एनेस्थीसिया के इस्तेमाल से रिएक्शन हो सकता है।
  • नसो में खून के थक्के जम सकते हैं। अगर खून के थक्के फेफड़ों में प्रवाह करते हैं, तो यह जानलेवा हो सकता है।
  • चीरे के स्थान पर घाव या इंफेक्शन हो सकता है।
  • ब्लैडर या बाउल में सर्जिकल इंजरी हो सकती है। जिसके उपचार के लिए अन्य सर्जरी जरूरत हो सकती है।
  • भविष्य की प्रेग्नेंसी में होने वाले खतरों को बढ़ा सकती है।

इसलिए यह सर्जरी करवाने से पहले इससे होने वाले लाभ और संभावित जोखिमों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर या सर्जन से इसके बारे में अधिक जानकारी लें।

और पढ़ें : किन परिस्थितियों में तुरंत की जाती है सिजेरियन डिलिवरी?

प्रक्रिया

सी-सेक्शन के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?

अगर आपके प्रसव के लिए डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प चुनते हैं, तो इससे जुड़े जोखिम को कम करने के लिए आपका डॉक्टर आपको कुछ जरूरी निर्देश दे सकते हैं।

सिजेरियन डिलीवरी आपके लिए कितनी सुरक्षित हो सकती है, यह तय करने के लिए डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे।

ऑपरेशन करने से पहले डॉक्टर आपके खून का नमूना लेंगे। ताकि, ऑपरेशन के दौरान या बाद में जरूरत पड़ने पर वो इसका इस्तेमाल कर सकें।

कई बार कुछ स्थितियों में सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत आपातकाल चिकित्सा के तौर पर भी हो सकती है। फिर चाहे आप इसकी योजना बना रहें हो या नहीं। इससे जुड़े जोखिमों और संभावनाओं के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

अगर तय तारीख से पहले ही आपको सी-सेक्शन की जरूरत हो, तो ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए इसके बारे में भी अपने डॉक्टर से बात करें।

नॉर्मल बर्थ की तुलना में सिजेरियन डिलीवरी को रिकवर होने में अधिक समय लगता है। इसलिए, ऑपरेशन के बाद मां को किसी भी तरह के शारीरिक काम को करने से बचना चाहिए। साथ ही, शिशु की देखरेख के लिए भी मां के साथ किसी दूसरे व्यक्ति का होना बहुत जरूरी होता है।

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सी-सेक्शन में होने वाली प्रक्रिया क्या है?

इस ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर आपके पेट और गर्भाशय में चीरा लगाते हैं, ताकि बच्चे को आपके गर्भ से बाहर निकाल सकें।

  • पेट का चीरा (Abdominal incision)- डॉक्टर आपके पेट के ऊपर एक चीरा लगाएंगे। आमतौर पर चीरा आड़ा होता है जो प्यूबिक हेयरलाइन के पास होता है। इसके अलावा, डॉक्टर नाभि के नीचे जांघ की हड्डी के ऊपर एक सीधा चीरा लगा सकते हैं। इस दौरान डॉक्टर आपके गर्भाशय तक पहुंचने के लिए कई परतों में चीरा लगा सकते हैं।
  • गर्भाशय का चीरा (Uterine incision)- आमतौर पर गर्भाशय के निचले हिस्से में आड़ा चीरा लगाया जाता है। गर्भाशय के अंदर शिशु की स्थिति के आधार पर अन्य प्रकार के गर्भाशय चीरों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
  • जिसके बाद चीरों के जरिए शिशु को मां की गर्भ से बाहर निकाला जाता है। डॉक्टर आपके बच्चे शरीर पर लगे तरल पदार्थों को साफ करेंगे, फिर शिशु के गर्भनाल को काटेंगे। इसके बाद नाल आपके गर्भाशय से हटा दी जाएगी और चीरों को बंद कर दिया जाएगा।

अगर आपको ऑपरेशन के बाद रिजनल एनेस्थीसिया की खुराक दी गई थी, तो आप जन्म के दौरान शिशु का रोना सुन सकेंगी।

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सी-सेक्शन के बाद क्या होता है?

सी-सेक्शन के बाद, आपको अगले कुछ दिनों तक अस्पताल में रहना होगा। जहां डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की देखरेख करेंगे।

जब आपके शरीर से एनेस्थीसिया का प्रभाव खत्म हो जाएगा उसके बाद आप शिशु को ब्रेस्टफीडिंग करा सकेंगी। जिसके लिए आपको तरल पदार्थों को पीना होगा और थोड़ा बहुत टहलने की भी जरूरत हो सकती है। इससे आपको कब्ज जैसी समस्याएं नहीं होंगी। इस दौरान डॉक्टर आपके स्वास्थ्य में होने वाले बदलावओं और संक्रमण के संकेतों के लिए आपके टांके की देखरेख करेंगे। अगर आपको ब्लैडर कैथेटर की समस्या होगी, तो जल्द से जल्द इसका उपचार किया जाएगा।

आपको शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कैसे करानी चाहिए, इसके लिए आप नर्स या परिवार के सदस्यों की मदद ले सकेंगी। सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को कम करने के लिए आपको दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ेगा। इस दौरान इन दवाओं का असर ब्रेस्टफीडिंज पर न हो, इसके लिए डॉक्टर इसकी खुराक तय करेंगे।

अस्पताल से जाने से पहले, अपने डॉक्टर से बात करें आपको या आपके शिशु को किस तरह के टीके की जरूरत हो सकती है।

अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर या सर्जन से इसके बारे में बात करें।

और पढ़ें : मां और बच्चे के लिए क्यों होता है स्तनपान जरुरी, जानें यहां

रिकवरी

सी-सेक्शन के बाद मुझे खुद का ख्याल कैसे रखना चाहिए?

सर्जरी के बाद घर जाने पर आपको किस तरह से खुद का और शिशु का ख्याल रखना चाहिए, इसके लिए आपका डॉक्टर आपको निर्देश दे सकते हैंः

  • सर्जरी के शुरूआती पहले हफ्ते जितना हो सके उतना आराम करें।
  • सोने या लेटने को दौरान सही पुजिशन में रहें, ताकि टाकें खुले नहीं।
  • तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें।
  • कम से कम छह हफ्ते तक सेक्स न करें।
  • जरूरत होने पर ही दर्द निवारक दवाओं का सेवन करें।
  • अगर प्रसव के बाद आपको अवसाद के लक्षणों का अनुभव होता है, जैसे- गंभीर मिजाज या अत्यधिक थकान, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

इन लक्षणों के होने पर अपने डॉक्टर को कॉल करें:

  • बुखार के साथ स्तनों में दर्द
  • योनि से होने वाले ब्लीडिंग में खून थक्के आने, बदबू आना
  • पेशाब करते समय दर्द होना
  •  संक्रमण के लक्षण- जैसे,  से अधिक बुखार, लालिमा, सूजन, या चीरा से तरल पदार्थ बहना।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/10/2020

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