क्या है मेथेमोग्लोबिनेमिया?
मेथेमोग्लोबिन हीमोग्लोबिन का एक रूप है, जो खून की कोशिकाओं में होता है। यह शरीर में ऑक्सिजन पहुंचाने का कार्य करता है। मेथेमोग्लोबिन कोशिकाओं में ही होता है लेकिन, यह ऑक्सिजन नहीं ले पाता है। अगर खून में इसकी मात्रा बढ़ जाए, तो यह घुटन का कारण बन सकता है। मेथेमोग्लोबिन गहरे भूरे रंग का होता है, जिसके कारण खून का रंग नीला हो सकता है।
हालांकि, मेथेमोग्लोबिन खून में ऑक्सीजन की मात्रा में किसी तरह का रूकावट नहीं करता है। लेकिन अगर खून में मेथेमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ने लगे तो यह ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचने में बाधा खड़ा कर सकता है और कोशिकाओं को ऑक्सीजन देने के लिए विशिष्ट हीमोग्लोबिन का निर्माण करने में भी परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, शरीर में इस पदार्थ की बहुत अधिक मात्रा घुटन का भी कारण बन सकती है, इसलिए शरीर एंजाइमों का उत्पादन करता है जो मेथेमोग्लोबिन को वापस हीमोग्लोबिन में परिवर्तित करते हैं। इसके अलावा, यह स्थिति दुर्लभ होती है और आनुवंशिक उत्परिवर्तन वाले लोगों को प्रभावित कर सकती है। मेथेमोग्लोबिन गहरे भूरे रंग का होता है, जिसकी मात्रा अधिक होने के कारण खून का रंग नीला हो सकता है।
क्या है एनेस्थीसिया?
एनेस्थीसिया शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘an’ और ‘aethesis’ से मिलकर बना है, जिसमें An का अर्थ है ‘बिना’ और aethesis का अर्थ है ‘संवेदना’, जिसका मतलब हुआ ‘संवेदना के बिना’। एनेस्थीसिया का इस्तेमला चिकित्सा की दुनिया में बेहोशी या किसी अंग को सुन्न करने के लिए किया जाता है।
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कब किया जाता है एनेस्थीसिया का इस्तेमाल?
एनेस्थीसिया का इस्तेमाल सर्जरी या ऑपरेशन के दौरान किया जाता है ताकि, मरीज को दर्द के अनुभव न हो। इस प्रक्रिया में मरीज होश में रहकर ऑपरेशन देख भी सकता है, वो भी बिना दर्द का एहसास किए। एनेस्थीसिया के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ को सीधा कांउटर से भी खरीदा जा सकता है।
जानिए एनेस्थीसिया के प्रकार