4. सिजेरियन डिलिवरी के बाद अधिक मात्रा में ब्लीडिंग, जलन, इंफेक्शन और कई महीनों तक स्टीचिस में दर्द की समस्या रहती है। वहीं नॉर्मल डिलिवरी में महिला इन सिजेरियन डिलिवरी के खतरों से महफूज रहती है। यह भी नॉर्मल और सिजेरियन डिलिवरी में अंतर है।
5. नार्मल और सिजेरियन डिलिवरी में अंतर है कि नॉर्मल डिलिवरी करने के तुरंत बाद महिला शिशु को स्तनपान करा सकती है, लेकिन सिजेरियन डिलिवरी के तुरंत बाद शिशु को स्तनपान कराना बहुत तकलीफदेह हो सकता है। सिजेरियन के बाद कुछ दिनों तक महिला के लिए शिशु को ब्रेस्टफीडिंग करवा पाना मुश्किल होता है।
6. सिजेरियन डिलिवरी की अपेक्षा नॉर्मल डिलिवरी में शिशु को मां से प्रारंभिक संपर्क पहले मिल जाता है। यह भी नॉर्मल और सिजेरियन डिलिवरी में अंतर है।
7. योनि मार्ग से प्रसव के दौरान, इस बात की संभावना रहती है कि योनीमार्ग के चारों ओर की मांसपेशियां नवजात शिशु के फेफड़ों में पाए जाने वाले द्रव को निचोड़ने का काम करेंगे।
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क्या नॉर्मल डिलिवरी में जान को कोई खतरा हो सकता है?
शिशु का जन्म होना एक नैचुरल शारीरिक प्रक्रिया है। महिलाओं के शरीर की संरचना इस तरह बनाई गई है कि वह शिशु को सुरक्षित जन्म दे सकती हैं। नॉर्मल डिलिवरी में ज्यादातर जान को कोई खतरा नहीं होता।
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क्या सिजेरियन डिलिवरी में जान को खतरा हो सकता है?
एक स्टडी के अनुसार भारत में करीब 45,000 महिलाओं की मौत सिजेरियन डिलिवरी के दौरान होती है। सिजेरियन ऑपरेशन के बाद साफ-सफाई की भी खास ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि इससे इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। इसे सेप्सिस कहते हैं। कई शोध से इस बात की पुष्टि हुई है कि भारत में डिलिवरी के दौरान होने वालर मौतों में सेप्सिस तीसरा सबसे बड़ा कारण है।
अगर नॉर्मल और सिजेरियन डिलिवरी में अंतर को देखा जाए तो नॉर्मल डिलिवरी ज्यादा सुरक्षित है। सिजेरियन के मदद से शिशु को जन्म देने के दौरान अगर सफाई पर ध्यान दिया जाए तो सिजेरियन डिलिवरी भी सेफ प्रॉसेस है।
नॉर्मल और सिजेरियन डिलिवरी में अंतर को समझने के बाद अब हम इन दोनों के फायदे भी जान लेते हैं।
सिजेरियन डिलिवरी के फायदे
- युनाइटेड किंग्डम की यूनिवर्सिटी ऑफ इडनबर्ग में एमआरसी सेंटर फोर रिप्रोडक्टिव हेल्थ के सारह स्टॉक ने सिजेरियन पर उपलब्ध तमाम शोध का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि सिजेरियन डिलिवरी पेल्विक प्रोलेप्स और यूरिनरी इनकोन्टिनेंट के खतरे को कम करती है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर ही सिजेरियन डिलिवरी की जानी चाहिए।
- ब्रीच पुजिशन और जुड़वां बच्चे के जन्म में भी सिजेरियन डिलिवरी का ही सहारा लिया जाता है ताकि नॉर्मल डिलिवरी के समय होने वाले कॉम्प्लिकेशन से बचा जा सके।
नॉर्मल डिलिवरी के फायदे
- सामान्य डिलिवरी में बच्चा बर्थ केनाल से होकर गुजरता है। इस दौरान अच्छे बैक्टीरिया उसके अंदर जाते हैं। इन बैक्टीरिया को माइक्रोबायोम कहा जाता है। यह बच्चे की सेहत और रोग रोधी क्षमता को मजबूत करते हैं। जोकि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
- प्लोस मेडिसिन में प्रकाशित 80 अध्ययनों की समीक्षा में यह पाया गया कि सामान्य डिलिवरी में बच्चे को जन्मजात दमा और मोटापे की समस्या का खतरा नहीं रहता है। वहीं, सिजेरियन में दमे का 21% और मोटापे का 59% खतरा बढ़ जाता है।