परिचय
डिसमेनोरिया (पीरियड में दर्द) क्या है?
पीरियड महिलाओं के जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया है। हर महीने गर्भाशय की परत टूटकर योनि से बाहर निकलती है जिसे मासिक धर्म कहते हैं। इस दौरान महिला के पेट के निचले हिस्से में दर्द, ऐंठन और बेचैनी होना बहुत आम है। लेकिन कई बार मासिक धर्म के दौरान सामान्य से अधिक दर्द होता है जिसे डिसमेनोरिया कहा जाता है। कुछ महिलाओं को पीरियड शुरु होने से पहले और पीरियड के दौरान काफी दर्द होता है। इसके कारण हर महीने कुछ दिनों तक रोजमर्रा के कार्य प्रभावित होते हैं। मासिक धर्म के दौरान पेट में तेज दर्द एंडोमेट्रियोसिस या यूटेरिन फाइब्रॉयड के कारण होता है। हालांकि उपचार से दर्द को कम किया जा सकता है।
डिसमेनोरिया दो प्रकार का होता है। जिन महिलाओं को पीरियड से पहले और पीरियड के दौरान दर्द होता है उसे प्राइमरी डिसमेनोरिया और जिन महिलाओं का मासिक धर्म सामान्य रुप से शुरु होता है लेकिन कुछ सालों बाद माहवारी के दौरान दर्द होता है उसे सेकेंडरी डिसमेनोरिया कहा जाता है। यह समस्या गर्भाशय और अन्य पेल्विक अंगों को प्रभावित करती है। अगर समस्या की जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
कितना सामान्य है डिसमेनोरिया होना?
डिसमेनोरिया महिलाओं को होने वाली एक आम समस्या है। आमतौर पर पीरियड्स शुरु होने के कुछ समय बाद यह समस्या प्रभावित करती है। पूरी दुनिया में लाखों महिलाएं डिसमेनोरिया से पीड़ित हैं। 20 वर्ष की उम्र के बाद लड़कियों और महिलाओं में डिसमेनोरिया का असर देखा जाता है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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लक्षण
डिसमेनोरिया के क्या लक्षण है?
डिसमेनोरिया शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। डिसमेनोरिया से पीड़ित महिला के शरीर में प्रायः मासिक धर्म से 1 या 3 दिन पहले दर्द शुरु होता है और पीरियड शुरु होने के 24 घंटे बाद या 2 से 3 दिनों में खत्म हो जाता है। जिसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
- पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द
- पेट में दबाव
- कूल्हों, जांघों और कमर में दर्द
- पेट में मरोड़
- मितली और उल्टी
- पतला मल
- सिरदर्द
- कमजोरी और चक्कर
कभी-कभी कुछ महिलाओं में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से कुछ समय के लिए चिड़चिड़ापन, बेचैनी, कमजोरी और घबराहट होने लगती है।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी नजर आते हैं:
- बुखार
- पेल्विक में दर्द
- पेट में अचानक असामान्य दर्द होना
- दुर्गंध युक्त योनि स्राव
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर डिसमेनोरिया अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। यदि मासिक धर्म के दौरान दर्द से आपके रोजमर्रा के कार्य प्रभावित हो रहे हों और आईयूडी प्लेसमेंट के बाद लगातार दर्द, पीरियड में रक्त का थक्का आना, डायरिया, मितली, पेल्विक में दर्द, ऐंठन, मासिक धर्म के दौरान बुखार जैसे लक्षण नजर आने पर तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए।
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कारण
डिसमेनोरिया होने के कारण क्या है?
पीरियड के दौरान दर्द आमतौर पर गर्भाशय या कोख की मांसपेशियों में संकुचन के कारण होता है। मासिक धर्म के दौरान जब गर्भाशय बहुत अधिक सिकुड़ जाता है तो रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है जिससे गर्भाशय में ऑक्सीजन की सप्लाई सही तरीके से नहीं हो पाता है। इसके कारण पेट में दर्द और ऐंठन शुरु हो जाता है। इसके अलावा हार्मोनल पदार्थ प्रोस्टेग्लैंडिन की उच्च स्तर के कारण भी मासिक धर्म के दौरान पेट में सूजन और दर्द होता है।
सिर्फ इतना ही नहीं एंडोमेट्रियोसिस, यूटेरिन फाइब्रॉइड्स, एडिनोमायोसिस, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, सर्वाइकल स्टेनोसिस के कारण भी मासिक धर्म शुरु होने से पहले और पीरियड के दौरान पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है।
इसके साथ ही 20 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों, धूम्रपान करने, पीरियड के दौरान तेज ब्लीडिंग, पारिवारिक इतिहास, अनियमित पीरियड, 11 वर्ष से पहले ही मासिक धर्म शुरु होने के कारण भी डिसमेनोरिया हो सकता है।
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जोखिम
डिसमेनोरिया के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
मासिक धर्म के दौरान दर्द होने से अन्य स्वास्थ्य समस्याएं नहीं होती हैं लेकिन रोजमर्रा के कार्य और सामाजिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। हालांकि पीरियड के दौरान तेज दर्द होने पर एंडोमेट्रियोसिस के कारण बांझपन और पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के कारण फेलोपियन ट्यूब में समस्या हो सकती है। इसके साथ ही फर्टिलाइज अंडा गर्भाशय से बाहर प्रत्यारोपित हो सकता है जिससे एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
डिसमेनोरिया का निदान कैसे किया जाता है?
डिसमेनोरिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
- अल्ट्रासाउंड-इसमें यूटेरस, गर्भाशय ग्रीवा, फैलोपियन ट्यूब और ओवरी का स्पष्ट चित्र लेने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
- इमेजिंग टेस्ट- सीटी स्कैन और एमआरआई से गर्भाशय में असामान्यताओं का पता लगाया जाता है। सीटी स्कैन से शरीर के अंदर हड्डियों, विभिन्न अंगों और अन्य कोमल ऊतकों की क्रॉस सेक्शनल इमेज ली जाती है।
- लेप्रोस्कोपी- यह एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉयड, ओवेरियन सिस्ट, एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगाने के लिए किया जाता है। पेट में एक छोटा सा चीरा लगाकर डॉक्टर कैमरे के साथ फाइबर ऑप्टिक ट्यूब डालते हैं और पेट की कैविटी में असामान्यता का पता लगाते हैं।
कुछ मरीजों से डॉक्टर समस्या से संबंधित लक्षणों के बारे में पूछते हैं। इसके साथ ही जीवनशैली, खानपान और आदतों से जुड़े कुछ सवाल भी पूछते हैं जिससे डिसमेनोरिया का निदान करने में आसानी होती है।
डिसमेनोरिया का इलाज कैसे होता है?
डिसमेनोरिया का इलाज संभव है। हालांकि दर्द की गंभीरता के आधार पर इस समस्या का उपचार किया जाता है। कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में डिसमेनोरिया के असर को कम किया जाता है। डिसमेनोरिया के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
- पीरियड्स के दर्द को कम करने के लिए दर्द निवारक दवाएं जैसे इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सेन सोडियम,एसिटामिनोफेन पीरियड शुरु होने के कुछ दिन पहले दिया जाता है।
- नॉन स्टीरॉइडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं भी पेट में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती हैं।
- बर्थ कंट्रोल पिल्स में हार्मोन्स होते हैं जो ओव्यूलेशन को रोकते हैं और मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है। ये हार्मोन इंजेक्शन, पिल्स, स्किन पैच, वेजाइल रिंग, इंप्लांट और आईयूडी के रुप में दिए जाते हैं।
- मासिक धर्म के दौरान मूड स्विंग और तनाव को कम करने के लिए एंटी डिप्रेसेंट दवाएं दी जाती हैं।
- शरीर में कई जगह एक्युप्रेशर प्वाइंट होते हैं। एक्युप्रेशर प्वाइंट को दवाने से मासिक धर्म का दर्द कम होता है।
- ट्रांस क्यूटेनियस इलेक्ट्रिक नर्व स्टीमूलेशन डिवाइस को स्किन से जोड़कर इलेक्ट्रोड से पैच दिया जाता है। इलेक्ट्रोड से इलेक्ट्रिक करेंट देकर तंत्रिका को उत्तेजित किया जाता है।
- हर्बल मेडिसिन जैसे पाइकोजेनोल और सौंफ जैसी आयुर्वेदिक दवाएं पीरियड के दर्द को कम करने में मदद करती है।
इसके अलावा यदि मासिक धर्म के दौरान दर्द का कारण एंडोमेट्रियोसिस या फाइब्रॉयड हो तो सर्जरी से दर्द को कम किया जाता है। स्थिति गंभीर होने पर ऑपरेशन से गर्भाशय को बाहर निकाला जाता है। हालांकि यह विकल्प उन्हीं महिलाओं के लिए है जो भविष्य में बच्चे पैदा करना नहीं चाहती हैं।
घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे डिसमेनोरिया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
अगर आपको डिसमेनोरिया है तो आपके डॉक्टर मासिक धर्म के दौरान पेट पर गर्म पानी की बोतल से सिंकाई करने के लिए बताएंगे। इसके साथ पेट के निचले हिस्से पर हीटिंग पैड रखना चाहिए। इससे दर्द का असर कम होता है। इसके साथ ही भारी काम नहीं करना चाहिए और कैफीन एवं नमक का सेवन करने से बचना चाहिए। डिसमेनोरिया के असर को कम करने के लिए टोबैको और एल्कोहल से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। सिर्फ इतना ही नहीं पेट के निचले हिस्से पर अच्छी तरह मसाज भी करनी चाहिए। इसके साथ ही आहार और जीवनशैली में बदलाव करने से भी पीरियड के दर्द को कम किया जा सकता है। दर्द के असर को कम करने के लिए आहार में विटामिन ई, ओमेगा 3 फैटी एसिड, विटामिन बी-1,कैल्शियम, मैग्नीशियम शामिल करना चाहिए। डिसमेनोरिया के प्रभाव को कम करने के लिए निम्न फूड्स का सेवन करना चाहिए:
डिसमेनोरिया से बचने के लिए सोते समय कुछ देर तक पैरों को ऊपर उठाना चाहिए या घुटनों के बल 5 मिनट तक झुके रहना चाहिए। नियमित रुप से योग और एक्सरसाइज करने से भी पीरियड के दर्द में राहत मिलती है। इसके साथ ही गुनगने पानी से स्नान करना चाहिए और हल्का एवं पौष्टिक भोजन लेना चाहिए। इसके अलावा तनाव को कम करने के लिए म्यूजिक सुनना चाहिए और ज्यादा चटपटा, तैलीय एवं मसालेदार भोजन करने से परहेज करना चाहिए।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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