पर्जिंग डिसऑर्डर (Purging disorder) एक ईटिंग डिसऑर्डर (Eating disorder) है। जिससे प्रभावित व्यक्ति खाने के बाद उसे बाहर निकालने का प्रयास करता है। जिसके लिए वह उल्टी करता है या एक्सेसिव बॉवेल मूवमेंट्स का सहारा लेता है। कई लोग अत्यधिक एक्सरसाइज और फास्टिंग का भी सहारा देते हैं। अक्सर लोग ऐसा वेट लॉस या बॉडी शेप की चिंता के कारण करते हैं।
इस डिसऑर्डर से प्रभावित लोग अक्सर अपने वजन, शरीर की छवि और स्वास्थ्य के बारे में गलत धारणाएं रखते हैं। इन भ्रांतियों के कारण वे भोजन और खाने के बारे में नकारात्मक भावनाओं को विकसित करते हैं। पर्जिंग डिसऑर्डर वाले लोग अक्सर अपने शरीर के बारे में अवास्तविक लक्ष्य रखते हैं। स्वस्थ होने के बावजूद, वे इन गलत धारणाओं के कारण अपना वजन कम करने या अपने शरीर के आकार को बदलने के लिए पर्ज कर सकते हैं।
यह अधिक पाया जाने वाला और हानिकारक ईटिंग डिसऑर्डर है। यह एनोरेक्सिया (Anorexia) और बुलिमिया डिसऑर्डर (Bulimia disorder) की तरह ही है, लेकिन इस ईटिंग डिसऑर्डर के बारे में अधिक लोग नहीं जानते हैं। यह याद रखना जरूरी है कि ईटिंग डिसऑर्डर्स को खतरनाक मेंटल हेल्थ कंडिशन्स के रूप में जाना जाता है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस लेख पर्जिंग डिसऑर्डर (Purging disorder) से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है।
पर्जिंग डिसऑर्डर बनाम बूलिमिया (Purging Disorder vs Bulimia)
बुलिमिया एक गंभीर ईटिंग डिसऑर्डर है जिसमें बिंज ईटिंग के साइकल के बाद पर्जिंग बिहेवियर प्रभावित व्यक्ति करता है। चूंकि बुलिमिया और पर्जिंग डिसऑर्डर दोनों में पर्जिंग बिहेवियर व्यक्ति अपनाता है फिर भी दोनों के बीच एक अंतर है जो है बिंज ईटिंग जो कि बुलिमिया डिसऑर्डर में रहता है। जबकि पर्जिंग डिसऑर्डर (Purging disorder) में व्यक्ति बिंज ईटिंग एपिसोड के बिना ही पर्जिंग बिहेवियर करता है।
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पर्जिंग डिसऑर्डर के लक्षण (Purging disorder symptoms)
पर्जिंग डिसऑर्डर (Purging disorder) के लक्षण किसी अन्य ईटिंग डिसऑर्डर की तरह ही होते हैं। जिसमें निम्न शामिल हो सकते हैं।
- खुद से उल्टी करना
- लैक्सेटिव या डायूरेटिक का मिसयूज
- एनिमा का मिसयूज
- लगातार व्रत करना
- बहुत अधिक एक्सरसाइज करने में लगे रहना
- महत्वपूर्ण इमोशनल डिस्ट्रेस या सामाजिक, व्यक्तिगत जीवन में व्यवधान
- वजन बढ़ने का डर या वजन कम करने का जुनून
- आत्म सम्मान के मुद्दे जो शरीर के शेप और वेट से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं
व्यक्ति किसी भी साइज या शेप का हो उसे ईटिंग डिसऑर्डर हो सकता है। अगर किसी को डर है कि उसे ईटिंग डिसऑर्डर तो नहीं तो वह ऑनलाइन सेल्फ एसेसमेंट ले सकता है। यह व्यक्ति में इस प्रकार के किसी बिहेवियर का पता लगाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि इन टेस्ट तो डायग्नोसिस के समक्ष नहीं माना जाता है इसलिए डॉक्टर से संपर्क करना ही सबसे सही होगा।
पर्जिंग डिसऑर्डर के कारण (Purging disorder causes)
ये जान लेना कि कोई व्यक्ति पर्ज क्यों करता है, यह आवश्यक रूप से स्पष्ट नहीं करता है कि इस डिसऑर्डर के कारण क्या हैं। इसके कुछ संदिग्ध कारणों में निम्न हो सकते हैं।
- आनुवंशिकी
- न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन
- घर पर महत्वपूर्ण तनाव
- यौन शोषण
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पर्जिंग डिसऑर्डर किन्हें सबसे अधिक प्रभावित करता है? (Who does Purging Disorder affect the most?)
ईटिंग डिसऑर्डर किसी भी एज, सेक्स, रेस, सेक्शुएल ओरिएंटेशन वाले व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। यह एक पुरानी धारणा है कि टीनएजर लड़कियों को पर्जिंग डिसऑर्डर (Purging disorder) प्रभावित करता है। इस गलत धारणा की वजह से कई बार प्रभावित लोग ट्रीटमेंट नहीं लेते जो कंडिशन को बिगाड़ देता है।
क्या कहती है स्टडी?
कुछ फैक्टर्स हैं जो कुछ लोगों में ईटिंग डिसऑर्डर के रिक्स को बढ़ाने में मदद करते हैं। सेक्शुअल और फिजिकल एब्यूस, वजन केन्द्रित स्पोर्ट या कॉम्प्टिशन में हिस्सा लेना संभावित रिस्क फैक्टर्स हैं। हालांकि ईटिंग डिसऑर्डर बचपन में किशोरावस्था में होना अधिक आम है लेकिन यह उम्र के किसी भी पड़ाव पर हो सकता है।
पुरुषों में भी ईटिंग डिसऑडर्स होने का रिस्क रहता है। एनसीबीआई में छपी एक हाल की ही स्टडी के अनुसार ईटिंग डिसऑर्डर से प्रभावित 25 प्रतिशत लोग पुरुष होते हैं। वहीं पर्जिंग डिसऑर्डर जैसे ईटिंग डिसऑर्डर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में तेजी से बढ़ रहे हैं। जिन लोगों को ईटिंग डिसऑर्डर है, उनमें भी उसी समय एक और मूड डिसऑर्डर होने की संभावना अधिक होती है।
एनसीबीआई के एक अध्ययन से निष्कर्ष निकला है कि खाने के विकार वाले 89 प्रतिशत व्यक्तियों में अक्सर मूड डिसऑर्डर होते हैं, जैसे:
- चिंता
- डिप्रेशन
- इंप्लस कंट्रोल ईशूज
- सब्सटेंस यूज
खाने के विकार एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है। मदद लेने में कभी कोई शर्म नहीं करनी चाहिए।
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पर्जिंग डिसऑर्डर का इलाज कैसे होता है? (Purging Disorder treatment)
पर्जिंग डिसऑर्डर का इलाज प्रत्येक व्यक्ति के आधार पर भिन्न हो सकता है। कुछ लोगों को अधिक गहन इनपेशेंट ट्रीटमेंट से लाभ हो सकता है, जबकि अन्य को आउट पेशेंट थेरेपी विकल्प फायदा पहुंचा सकते हैं। इनपेशेंट उपचार उन मामलों में अधिक आम है जिनमें चिकित्सा निगरानी या दैनिक मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। आउट पेशेंट उपचार में मनोचिकित्सा और पोषण परामर्श शामिल हो सकते हैं।
पर्जिंग डिसऑर्डर (Purging disorder) के इलाज के लिए दवाओं का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके बजाय, मूड डिसऑर्डर के इलाज के लिए इनको र्निधारित किया जा सकता है जो अतिरिक्त तनाव का कारण बन सकते हैं या रिकवरी को कठिन बना सकते हैं। मेडिकेशन ऑप्शन्स के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। साथ ही याद रखें किसी भी दवा का उपयोग चाहे वह ईटिंग डिसऑर्डर के लिए हो या मूड डिसऑर्डर के लिए डॉक्टर से पूछे बिना ना करें।
पर्जिंग डिसऑर्डर (Purging disorder) ओवरऑल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है?
यह डिसऑर्डर कई गंभीर साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है जिसमें निम्न शामिल हो सकते हैं।
- चक्कर आना
- दांतों में सड़न
- गले में सूजन
- चेहरे पर सूजन
- मूड स्विंग्स
- अनियमित दिल की धड़कन और दिल की अन्य समस्याएं
- हाथ में चोट लगना
- गर्भावस्था की जटिलताएं
- किडनी खराब होना
- पाचन संबंधी समस्याएं या कब्ज
- डीहायड्रेश्सन
- पोषक तत्वों की कमी
- इलेक्ट्रोलाइट या रासायनिक असंतुलन
एनसीबीआई (NCBI) की स्टडी के अनुसार खुद से उल्टी करना भी गंभीर क्षति का कारण बन सकता है। जिसमें दांत, इसोफेगस, डायजेस्टिव सिस्टम, कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम शामिल हैं।
क्या इस डिसऑर्डर से रिकवरी होना संभव है?
ईटिंग डिसऑर्डर से रिकवरी होना संभव है, लेकिन इसमें समय लगता है। मरीज को खुद को और ट्रीटमेंट को समय देना होगा। हर व्यक्ति अलग है और हीलिंग एक लगातार चलने वाली प्रॉसेस है। ठीक होने में मदद के लिए निरंतर चिकित्सा या सहायता समूह में शामिल होने पर विचार करें। रिलैप्स हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह ठीक नहीं होगा। आपको वापस पटरी पर लाने के लिए डॉक्टर, हॉस्पिटल, फैमिली मेम्बर्स की मदद हमेशा मौजूद रहती है।
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उम्मीद करते हैं कि आपको पर्जिंग डिसऑर्डर (Purging disorder) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।