एंजायटी दोनों स्थितियों में भूमिका निभा सकती है। जब कुछ स्थितियों में शक्तिहीन महसूस होता है, तो ईटिंग नियंत्रण हासिल करने का एक तरीका लग सकता है। वहीं पर्जिंग, जो नियंत्रण की भावना भी प्रदान कर सकता है, वजन बढ़ने या एक परिवर्तित शारीरिक उपस्थिति के बारे में चिंता के जवाब में हो सकता है।
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एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज (Anxiety and eating disorder treatment)
एंजायटी और ईटिंग डिअऑर्डर दोनों का इलाज संभव है जो इनके लक्षणों में सुधार के साथ ही स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है। ट्रीटमेंट ऑप्शन में निम्न शामिल हैं।
कॉनग्निटिव बिहेवियरल थेरिपी (Cognitive behavioral therapy)
यह थेरिपी मरीज को अन्य भय और चिंताओं के साथ-साथ भोजन और खाने से संबंधित अवांछित और अनुपयोगी भावनाओं, व्यवहारों को पहचानना और उन्हें संबोधित करना सीखने में मदद करती है। विशेषज्ञ एक्सपोजर थेरिपी जो कि सीबीटी का एक उपप्रकार है को एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर दोनों के लिए एक प्रभावी मानते हैं।
फैमिली बेस्ड थेरिपी (Family based therapy)
चिकित्सक आमतौर पर परिवार के सदस्यों को उपचार में शामिल करने की सलाह देते हैं। एआरएफआईडी वाले बच्चों के माता-पिता के लिए, एक परिवार-केंद्रित कार्यक्रम माता-पिता और बच्चों को खाने के विकार की जटिलताओं को कम करने में मदद कर सकता है।
दवाएं (Medications)
दवाएं ईटिंग डिसऑर्डर से लड़ने में मदद कर सकती हैं। इसके साथ ही होने वाली एंजायटी के लिए भी दवाओं का उपयोग प्रभावी। डॉक्टर मरीज की स्थिति के हिसाब से इन दवाओं को लिख सकते हैं। हालांकि इनके उपयोग से इनकी लत लगने का खतरा रहता है। ध्यान रखें किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। दवा को डोज वैसा ही रखें जैसा कि डॉक्टर ने बताया है।
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उम्मीद करते हैं कि आपको एंजायटी और ईटिंग डिसऑर्डर (Anxiety and eating disorders) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।