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Eating disorder : भोजन संबंधी विकार क्या है?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/04/2021

Eating disorder : भोजन संबंधी विकार क्या है?

परिचय

भोजन संबंधी विकार यानी इटिंग डिसऑर्डर लगातार भोजन की गड़बड़ी के कारण व्यवहार में होने वाली गंभीर स्थितियां हैं जो रोगी के स्वास्थ्य, भावनाओं और जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य करने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। सबसे आम भोजन संबंधी विकार हैं एनोरेक्सिया नर्वोसा, बुलिमिया नर्वोसा और बिंज इटिंग डिसऑर्डर। इससे रोगी का मानसिक स्वास्थ्य और खाने संबंधी व्यवहार प्रभावित भी हो सकता है। इस रोग के कारण रोगी जरूरत से अधिक या कम खाने लगते हैं। इटिंग डिसऑर्डर एक मेडिकल स्थिति है, इससे शरीर की सही पोषक तत्व पाने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। जिससे स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे दिल, पाचन तंत्र, हड्डियां, दांत, मुंह या किडनी संबंधी बीमारियां। यही नहीं, कई बार यह जानलेवा भी हो सकता है। लेकिन, सही उपचार इसमें आपकी मदद कर सकता है। यह विकार हालांकि किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन किशोरों और वयस्कों में यह परेशानी अधिक देखी जा सकती हैं।

भोजन संबंधी विकार के प्रकार

भोजन संबंधी विकार तीन प्रकार है होते हैं:

  • बिंज इटिंग विकार : इस तरह के विकार में प्रभावित व्यक्ति पेट भरने के बाद भी खाते रहते हैं। वो तब तक खाते रहते हैं, जब तक उन्हें अजीब सा न महसूस होने लगे। बहुत अधिक खाने से लोगों को वजन का बढ़ना और मोटापा जैसी समस्याएं होती हैं।
  • एनोरेक्सिया नर्वोसा : एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित लोगों में बिंज इटिंग विकार की झलक देखने को मिलती है लेकिन खाने के बाद वो लैक्सेटिव या अन्य तरीकों से अपने पेट को साफ़ कर लेते हैं। इसके लिए वो अधिक व्यायाम करते हैं या व्रत भी रख सकते हैं। इस विकार के लोग कम वजन, सामान्य वजन या अधिक वजन के हो सकते हैं।
  • बुलिमिया नर्वोसा : बुलिमिया नर्वोसा से ग्रस्त लोग खाना खाने से बचते हैं या बहुत कम मात्रा में खाते हैं। अगर उनका वजन जरूरत ने कम भी हो तब भी उन्हें ऐसा लगता है कि उनका वजन बहुत अधिक है। हालांकि, यह विकार अन्य दो विकारों की तुलना में कम समय है लेकिन, यह सबसे अधिक गंभीर है। किसी भी अन्य दिमागी विकार के मुकाबले इस विकार से मृत्यु की दर अधिक है।
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    लक्षण

    भोजन संबंधी विकार के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि विकार का प्रकार कौन सा है। यह लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं, जैसे:

    1) बिंज इटिंग विकार के लक्षण

    बिंज इटिंग विकार के लक्षण इस प्रकार हैं:

    • बिना किसी मतलब के बार-बार भोजन करना।
    • अगर आपको भूख नहीं भी है तब भी खाना।
    • तब तक खाना जब तक आप बैचेन महसूस न करने लगे।
    • लोग मज़ाक न बनाये, इसलिए अकेले में या लोगों को बिना बताएं खाना।
    • अपने खाने की आदत को लेकर परेशान होना, शर्मिंदा या दोषी महसूस करना।
    • संभवतः वजन घटाए बिना परहेज करना।

    2) बुलिमिया नर्वोसा के लक्षण

    बुलिमिया नर्वोसा के लक्षण बिंज इटिंग डिसऑर्डर का जैसे ही होते हैं, लेकिन इसमें रोगी खाने के बाद पेट साफ़ करने और अपने बढ़ते वजन को कम करने की कोशिश करते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

    • अपने पेट को साफ़ करने के लिए लैक्सटिव या एनीमा का सहारा लेना।
    • गंभीर या बहुत अधिक व्यायाम करना।
    • व्रत रखना

    लेकिन, यह विकार कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण भी बन सकता है।

    3) एनोरेक्सिया नर्वोसा के लक्षण

    • बहुत कम खाना या अपने आपको भूखा रखना।
    • बहुत अधिक व्यायाम करना।
    • शरीर का बहुत अधिक पतला होना 
    • वजन अधिक होने का डर।
    • वजन बहुत कम होने के बावजूद ऐसा लगना जैसे वजन बहुत अधिक है।

    समय के साथ यह विकार भी कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है जैसे एनीमिया, हड्डियों का कमजोर होना, बाल या नाखूनों का कमजोर होना, त्वचा का रुखा या पीला होना, कब्ज, दिमागी परेशानी आदि।

    और पढ़ें  : Hypersomnia disorder : हाइपरसोम्निया डिसऑर्डर क्या है?

    कारण

    भोजन संबंधी विकार के कारण के बारे में सही जानकारी नहीं है। अन्य दिमागी बीमारियों के साथ इसके  कई अन्य कारण हो सकते हैं, जैसे: 

    • आनुवंशिकी और बायोलॉजी : कुछ लोगों में यह विकार अनुवांशिक होते हैं जिसके कारण वो इटिंग डिसऑर्डर का शिकार बनते हैं। बायोलॉजिकल फैक्टर जैसे ब्रेन केमिकल भी इटिंग डिसऑर्डर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
    • मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक स्वास्थ्य : जिन लोगों को इटिंग डिसऑर्डर हैं, उनमें उसका कारण मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक स्वास्थ्य हो सकता है। मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के सही न होने के कारण लौ आत्मसम्मान, पेरफ़ेक्शनिज़्म, आवेगी व्यवहार और रिश्तों में समस्या आदि हो सकते हैं।

    और पढ़ें  : Social Anxiety Disorder : सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर क्या है?

    जोखिम

    ऐसा माना जाता है कि भोजन संबंधी विकार पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होते हैं। अन्य आनुवंशिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारक भी इस समस्या को बढ़ाने में प्रभावी है। इन स्थितियों में भोजन संबंधी विकार का जोखिम बढ़ जाता है:

    • अधिक उम्र
    • पारिवारिक इतिहास
    • अधिक डाइटिंग करना या भूखा रहना
    • मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य
    • जीवन परिवर्तन
    • अतिरिक्त गतिविधियां करना
    • तनाव

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    उपचार

    भोजन संबंधी विकार गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में अगर किसी को यह समस्या है, तो उसे तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए। इस रोग के निदान के लिए डॉक्टर आपसे आपके मेडिकल इतिहास के बारे में जानेंगे। रोगी को सही-सही खाने संबंधी आदतों, व्यायाम और अन्य चीज़ों के बारे में डॉक्टर को बताया चाहिए। इसके बाद डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच कर सकते हैं।

    भोजन संबंधी विकार के टेस्ट

    • आपके लक्षणों के अन्य कारणों खारिज करने के लिए डॉक्टर आपका ब्लड या यूरिन टेस्ट करा सकते हैं।
    • इटिंग डिसऑर्डर के कारण होने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानने के लिए आपके अन्य टेस्ट भी कराये जा सकते हैं। इसमें किडनी फंक्शन टेस्ट और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम भी शामिल हैं।

    भोजन संबंधी विकार के उपचार के लिए आपको डॉक्टर के साथ-साथ नूट्रिशनिस्ट, नर्स और थेरेपिस्ट्स की मदद की आवश्यकता होगी। इसका उपचार इस प्रकार हैं:

    • व्यक्तिगत, सामूहिक, या पारिवारिक मनोचिकित्सा : इस थेरेपी से रोगी के नकारात्मक और अनपेक्षित विचारों को पहचानने और बदलने में मदद मिलती है।
    • मेडिकल केयर और मॉनिटरिंग : मेडिकल केयर और मॉनिटरिंग में इटिंग डिसऑर्डर के कारण होने वाली समस्याओं की देखभाल शामिल है।
    • नुट्रिशन काउन्सलिंग: डॉक्टर, नर्स और काउंसलर सही वजन बनाये रखने के लिए कैसा आहार खाना चाहिए, इस बात को निर्धारित करते हैं
    • दवाइयां : दवाइयां जैसे एंटीडेप्रेसेंट्स, मनोविकार नाशक या मूड स्टैबिलिज़ेर्स इस विकार के उपचार के लिए प्रयोग में लायी जाती हैं। तनाव के लक्षणों को दूर करने के लिए दवाईयों का भी प्रयोग किया जाता है।गंभीर भोजन संबंधी विकार वाले लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

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    घरेलू उपाय

    • डाइटिशन की सलाह के बिना डाइटिंग न करें। बच्चों को बचपन से ही पौष्टिक आहार का महत्व समझाएं। खुद भी संतुलित आहार खाएं और अपने परिवार में अन्य लोगों को भी इसकी सलाह दें।
    • अगर आपके परिवार में किसी को यह समस्या है तो उसका मज़ाक उड़ाने की जगह उससे बात करें। सही समय पर डॉक्टर की सलाह और उपचार कराने से पीछे न हटें।
    • रोगी के आत्मविश्वास को कम न होने दें। तनाव आदि के कारण भी यह समस्या हो सकती है। कई लोगों को यह समस्या अपने बहुत कमजोर या मोटे होने पर भी हो सकती है। अगर आपके जान-पहचान के किसी व्यक्ति को यह समस्या है तो उसे खुद से प्यार करना और सम्मान करना सिखाएं।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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