हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, इसी तरह हर चीज की अच्छा और बुरा होता है। ये हम पर निर्भर करता है कि हम लोग क्या स्वीकार करना चाहते हैं। सोशल मीडिया का असर सकारात्मक भी होता है और नकारात्मक भी। अपने देश या अपनी फैमिली से दूर रह रहे लोगों को सोशल मीडिया अपनेपन का एहसास कराता है, वहीं फैमिली के साथ रहने वाले लोगों को परिवार से दूर भी कर सकता है। आपने एक ही घर में रहने वाले पांच लोगों को एक ही जगह में अपने मोबाइल से चिपके हुए देखा होगा। भले ही हम टेक्नोलॉजी के युग में जी रहे हो, लेकिन किसी भी चीज की अति बुरी ही होती है। सोशल मीडिया के साथ भी ठीक ऐसा ही। कई बार सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल व्यक्ति के अकेलापन का कारण बन सकता है। ऐसे व्यक्ति समाज से दूर होने लगते हैं।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस तकनीक को लोगों को साथ लाने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन इस पर अधिक समय बिताने से वास्तव में लोग अकेलापन महसूस कर रहे हैं और और चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हो रहे हैं।
पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि फेसबुक, स्नैपचैट और इंस्टाग्राम का ज्यादा यूज करने से अकेलेपन की भावना बढ़ जाती है। स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि जो लोग सोशल मीडिया का यूज कम कर देते हैं, उन लोगों के बिहेवियर में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है।
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सोशल मीडिया का असर : लाइमलाइट में रहने का प्रेशर
सोशल मीडिया में रोजाना कई नई अपडेट्स आते हैं जिसमें सक्सेस, न्यू जॉब, पार्टी, ट्रैवलिंग या फिर रिलेशनशिप से जुड़ी स्टोरीज नजर आती है। ऐसे में जिस भी व्यक्ति के पास सेलिब्रेशन के लिए कोई मौका नहीं होता है, उसे मेंटल प्रेशर फील होने लगता है। व्यक्ति कुछ नया अचीव करने के लिए प्रेशर में भी आसानी से आ सकता है। कई बार तो लड़कियों को अच्छे लुक के लिए ढेरों उपाय करने पड़ते हैं। महंगी ड्रेस, मेकअप से लेकर और बहुत कुछ, जो उन्हें सोशल मीडिया में अच्छा दिखा सके। यानी वर्चुअल लाइफ में कुछ अचीव करने के लिए बहुत से जतन करने पड़ते हैं जो मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डालता है।
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सोशल मीडिया का असर : बढ़ जाती है दूसरों पर डिपेंडेंसी