और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore
करेला एक फल है जिसकी सब्जी भी बनाई जाती है। करेला में कई औषधीय तत्व मौजूद होते हैं जो कई बीमारियों के लिए दवा के रूप में काम आते हैं। मिनरल्स, विटमिन्स, फाइबर और ऐंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर करेला स्वाद में बहुत कड़वा होता है। इसका पत्तियों का इस्तेमाल भी दवा में किया जाता है। करेला को कड़वा तरबूज या मोमोर्डिका चरैन्टिया (Momordica charantia) के रूप में भी जाना जाता है। करेला एक उष्णकटिबंधीय फल है, जो लौकी जैसा होता है और कई प्रकार के लाभ प्रदान करता है। करेले का सेवन भोजन के रूप में किया जा सकता है, जैसे कि करेला का रस या चाय।
करेले में ऐसे यौगिक होते हैं जो डायबिटीज (मधुमेह) जैसी स्थितियों के उपचार में सहायता करते हैं। करेले का अर्क भी स्वास्थ्य के लिहाज से काफी लाभकारी होता है।
इसका उपयोग इन स्थितियों में होता है:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में 382 लाख से अधिक लोग डायबिटीज (मधुमेह) से पीड़ित हैं। करेला में एक इंसुलिन जैसा यौगिक होता है जिसे पॉलीपेप्टाइड-पी या पी-इंसुलिन कहा जाता है जो स्वाभाविक रूप से मधुमेह को नियंत्रित करने में सक्षण होता है। साल 2011 में किए गए एक अध्ययन में टाइप-2 डायबिटीज और टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों को शामिल किया गया है। जिन्रहें इस अध्ययन के दौरान 2,000 मिलीग्राम करेले की खुराक दी गई। जिसके में पाया गया कि टाइप -2 मधुमेह से पीड़ित रोगियों में ब्लड शुगर का लेवल काफी कम हुआ है। अध्ययन से पता चला कि करेले के पौधे में पाया जाना वाला इंसुलिन टाइप -1 मधुमेह के रोगियों के लिए भी मदद होता है।
जर्नल ऑफ केमिस्ट्री एंड बायोलॉजी में जारी एक अन्य रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है कि करेले के सेवन से शरीर में ग्लूकोज का लेवल तेज से बढ़ता है और ग्लाइसेमिक को नियंत्रण करता है।
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यूएसडीए के मुताबिक, 100 ग्राम करेले में 13 मिलीग्राम सोडियम, 602 ग्राम पोटेशियम, 7 ग्राम कुल कार्बोहाइड्रेट और 3.6 ग्राम प्रोटीन के साथ लगभग 34 कैलोरी होती है।
यह एक हर्बल सप्लिमेंट है और कैसे काम करता है, इसके संबंध में अभी कोई ज्यादा शोध उपलब्ध नहीं हैं। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप किसी हर्बल विशेषज्ञ या फिर किसी डॉक्टर से संपर्क करें। हालांकि कुछ शोध यह बताते हैं कि करेला में केमिकल होता है जो इन्सुलिन की तरह काम करता है और शरीर में शुगर लेवल कम करता है। करेले में भरपूर मात्रा में विटामिन-ए, बी और सी के साथ-साथ जिंक, पोटैशियम, कैरोटीन, बीटाकैरोटीन, आयरन, लूटीन, मैग्नीशियम और मैगनीज जैसे फ्लावोन्वाइड होते हैं, जो शरीर के लिए प्रभावकारी है। इसमें पाए जाने वाला फास्फोरस कफ और कब्ज से निजात दिलाता है। इसमें सूजन कम करने वाले, एंटीफंगल, एंटी-बायोटिक, एंटी-एलर्जिक, एंटीवायरल और एंटीपारासिटिक गुण पाए जाते हैं।
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हर्बल सप्लीमेंट के उपयोग से जुड़े नियम अंग्रेजी दवाओं के नियमों जितने सख्त नहीं होते हैं। इनकी उपयोगिता और सुरक्षा से जुड़े नियमों के लिए अभी और शोध की जरुरत है। इस हर्बल सप्लीमेंट के इस्तेमाल से पहले इसके फायदे और नुकसान की तुलना करना जरूरी है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी हर्बल विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।
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हालांकि हर किसी को ये साइड इफेक्ट हो ऐसा जरुरी नहीं है, कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट महसूस हो या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं तो नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
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इस हर्बल सप्लीमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लीमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
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यह हर्बल सप्लीमेंट कई खुराक के रूप में उपलब्ध है –
डिस्क्लेमर
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