परिचय
पुष्करमूल क्या है?
पुष्करमूल (Pushkarmool) एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल सीने में दर्द की समस्या, खांसी की समस्या और सांस लेने में तकलीफ के उपचार के लिए किया जा सकता है। आमतौर पर एक औषधी के तौर पर इसका इस्तेमाल ब्रोंकाइटिस और हृदय रोगों के उपचार के लिए भी किया जा सकता है। पुष्करमूल का वानस्पतिक नाम इनुला रेसमोसा (Inula racemosa) और इसका आयुर्वेदिक नाम पुस्करा (Puskara) है। यह एस्टरेसिया (Asteraceae) परिवार से संबंधित होता है। डेजी भी इसी परिवार की एक प्रजाति होती है। पुष्करमूल को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जिसमें शामिल हैं कस्मिरा, कुस्तुभेडा, पद्मपत्र, पुष्करम, पुष्करवाहव, पुष्करजता, पुष्करम और श्वासहर। पुष्करमूल की पत्तियां कमल की तरह दिखाई देती हैं, जिस वजह से इसे पद्पत्र भी कहते हैं। यह एक झाड़ीनुमा पौधा होता है जो 1.5 मीटर तक लंबा हो सकता है। इसकी फूल और पत्तियां खुशबूदार होती हैं। इसमें जड़ और प्रकंद (एक तरह का फल) दोनों होते हैं। इसकी पत्तियां ऊपर से रूखी और नीचे से घने रोएं वाली होती हैं। इसका कंद मूली के आकार का हो सकता है। जिसके ऊपर की छाल भूरे रंग की और अंदर का भाग पीला या सफेद हो सकता है जो सूखने पर भूरे रंग का हो जाता है।
आमतौर पर पुष्करमूल के पौधे हिमालय के क्षेत्रों में पाए जा सकते हैं। इसकी खेती के लिए चिकनी दमोट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं। इसके अलावा यह बहुत ही दुर्लभ पौधा है। इसलिए भारत में इसके निर्यात को लेकर रोक लगी है। यानी इसे भारत से बाहर अन्य देशों में बेचा नहीं जा सकता है। साथ ही, इसपर राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की तरफ से 50 फीसदी सब्सिडी भी प्रदान की जाती है।
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पुष्करमूल का उपयोग किस लिए किया जाता है?
एक औषधी के रूप में पुष्करमूल का उपयोग करने के लिए उसकी जड़ और कंद का इस्तेमाल किया जा सकता है। जिसके अपने अलग-अलग औषधीय गुण होते हैं, जिनमें शामिल हैंः
पुष्करमूल की जड़ और कंद का इस्तेमाल
पुष्करमूल की जड़ और कंद का इस्तेमाल विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार के लिए पारंपरिक रूप से भारतीय आयुर्वेदिक और चीनी चिकित्सा में किया जाता रहा है। इसकी जड़ में एंटीफंगल, हाइपोलिपिडेमिक और रोगाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। वैज्ञानिक शोधों के मुताबिक इनुला रेसमोसा (Inula racemosa) की प्रजातियों के पौधों में रसायनिक घटक के तौर पर मुख्य रूप से सेसकेटरपीन लैक्टोन पाए जाते हैं, जिनमें आइसोलैंटोलैक्टोन (Isoalantolactone) और एलांटोलैंटोलैक्टोन (Alantolactone) शामिल होते हैं। इसकी जड़ों की अर्क में एंटीऑक्सीडेंट, टेर्पेनोइड्स, फाइटोस्टेरॉल और ग्लाइकोसाइड की भी मात्रा पाई जाती है।
निम्न स्वास्थ्य स्थितियों में पुष्करमूल का इस्तेमाल किया जा सकता हैः
- वायु मार्ग को साफ करने के लिए
- फेफड़ों से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए और यह फेफड़ों को पोषण देने में भी मदद कर सकता है
- ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) को कंट्रोल में रखने के लिए
- कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड और टोलट लिपिड के लेवल को सामान्य बनाए रखने के लिए
- खांसी और सांस की तकलीफों को दूर करने के लिए
- तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं के उपचार के लिए
- इसमें एंटीफंगल गुण होते हैं जो दर्द, सूजन और मवाद के उपचार में मदद कर सकते हैं
- यह पाचन क्रिया को मजबूत करता है और पाचन में सुधार कर सकता है
- यह मासिक धर्म के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है
- इसका उपयोग कामोत्तेजक, यानी सेक्स की इच्छा बढ़ाने के रूप में भी किया जा सकता है
- इसके गुण शरीर में बनने वाले अधिक मात्रा की पानी को कम कर सकते हैं
- पुष्करमूल वात और पित की समस्या के उपचार में भी मदद कर सकता है।
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पुष्करमूल कैसे काम करता है?
पुष्करमूल के जड़ और कंद में निम्न रसायन गुण पाए जाते हैं, जिनमें शामिल हैंः
- एंटीहिस्टामिन गुण
- एंटीबैक्टीरियल गुण
- एलैंटोलैक्टोन (alantolactone)
- आइसोलैंटोलैक्टोन (Isoalantalactone)
- एलिफैटिक
- एयड्समॉलाइड एस्टर
- लैंटोलैक्टोन (lantalactone)
- इनुनोलाइड (जर्मेक्रानोलाइड) (Inunolide (germacranolide))
- डाइहाइड्रो आइसोलैंटोलैक्टोन (Dihydro isoalanlactone)
- बीटा-सिटोस्टर्ड (Beta –Sitosterd)
- डी- मैनिटिड (D- Mannitd)
- डायहाइड्रोइनुंडाइड (Dihydroinundide)
- नियो-एलैंटोलैक्टोन (Neo-alantolactone)
- इनुओलिन (Inunolise)
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उपयोग
पुष्करमूल का उपयोग करना कितना सुरक्षित है?
सांस से संबंधित विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों में एक औषधी के तौर पर पुष्करमूल का इस्तेमाल करना पूरी तरह से लाभकारी माना जा सकता है। अगर आपकी किसी स्वास्थ्य स्थिति के उपचार के लिए आपके डॉक्टर इसके सेवन की सलाह देते हैं, तो इसके औषधीय गुणों को बढ़ाने के लिए वे इसकी खुराक में अन्य जड़ी-बूटियों का भी मिश्रण कर सकते हैं। हालांकि, आपको इसका सेवन सिर्फ अपने डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए और पुष्करमूल के अधिक खुराक के सेवन से भी बचना चाहिए। हर बार उतनी ही खुराक का सेवन करें, जितना आपके डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया गया हो।
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साइड इफेक्ट्स
पुष्करमूल से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
पुष्करमूल के सेवन करने के दौरान किसी तरह का साइड इफेक्ट होना काफी दुर्लभ हो सकता है, जो निम्न हो सकते हैंः
- पेट में जलन होना
- चक्कर आना
- उल्टी होना
- शरीर का तापमान बढ़ना (लेकिन बुखार नहीं होना)
- गर्मी लगना
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- बेचैनी महसूस करना
हालांकि, इसके सेवन से होने वाले सभी साइड इफेक्ट यहां नहीं बताए गए हैं। अगर पुष्करमूल की खुराक खाने के बाद आपको किसी तरह के साइड इफेक्ट्स दिखाई देते हैं, तो तुरंत इसका सेवन करना बंद कर दें और अपने डॉक्टर से परामर्श करें। साथ ही, निम्न स्थितियों के बारे में भी अपने डॉक्टर से बात करें अगरः
- आप मौजूदा समय किसी भी प्रकार की दवा, जैसे- विटामिन्स की गोलियां या मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली सामान्य दवाएं, जिनके सेवन के लिए आमतौर पर डॉक्टर की पर्ची की आवश्यकता नहीं होती हैं का नियमित सेवन कर रहे हैं
- आपको किसी भी दवा या खाद्य पदार्थ से किसी तरह की एलर्जी है या पुष्करमूल में पाए जाने वाले किसी भी रसायन से आपको एलर्जी होने की संभावना समस्या है
- आप प्रेग्नेंसी प्लानिंग कर रही हैं या प्रेग्नेंट हैं
- आप शिशु को स्तनपान करा रही हैं
- आपको कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसका आप उपचार करवाने वाले हैं या उपचार करवा रहे हैं, जैसे- कैंसर या कोई रेयर डिजीज
- आपने हाल ही में कोई सर्जरी करवाई हो
- आपको कोई आनुवांशिक बीमारी हो
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डोसेज
पुष्करमूल को लेने की सही खुराक क्या है?
एक औषधी के तौर पर मुख्य रूप से आपके डॉक्टर आपको पुष्करमूल की जड़ और कंद के सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। जो आपको विभिन्न रूपों में मिल सकते हैं। इसकी मात्रा आपकी स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और लिंग के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जा सकती है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
एक दिन में पुष्करमूल के सेवन करने की अधिकतम खुराक हो सकती हैः
- चूर्ण – 1 ग्राम
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उपलब्ध
यह किन रूपों में उपलब्ध है?
आप पुष्करमूल के विभिन्न रूपों का सेवन कर सकते है, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
- पुष्करमूल की ताजी जड़
- पुष्करमूल का ताजा कंद
- पुष्करमूल की जड़ और कंद का चूर्ण, जो आपको अलग-अलग मिल सकता है।
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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