टी-ट्री ऑयल (Tea Tree Oil) को टी-ट्री (Tea Tree) की पत्तियों से निकाला जाता है। इस पेड़ का बोटेनिकल नाम मेलेलुका अल्टरनिफोलिया (Melaleuca alternifolia) है जो कि Myrtaceae प्रजाति का है। यह मुख्यतः ऑस्ट्रेलियाई तटों पर पाया जाता है। इसा ऑयल त्वचा के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। यह मुंहासे, दाद, खुजली जैसी त्वचा संबंधित समस्याओं में काफी लाभदायक होता है।
पिछले कुछ वर्षों में इसका ऑयल पूरे विश्व में काफी इस्तेमाल किया जाने लगा है। वर्तमान में यह एसेंशसियल ऑयल कॉस्मेटिक, टॉपिकल मेडिसिन और दूसरे घरेलू उत्पादों में काफी इस्तेमाल किया जाने लगा है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं।
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ये तेल नीचे दी हुई मेडिकल कंडिशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जैसे:
मूत्राशय में संक्रमणः मूत्राशय में संक्रमण यानी ब्लैडर में इंफेक्शन के उपचार में टी ट्री काफी लाभकारी होता है। आमतौर पर मूत्राशय में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने के कारण मूत्राशय में इंफेक्शन की समस्या होती है। इसके अलावा कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण भी इसकी समस्या हो सकती है। ऐसे में इसके उपचार के लिए इसका इस्तेमाल करना लाभकारी होता है। इसके तेल में एंटीबायोटिक और एंटीमाइक्रोबियल के गुण होते जाते हैं जो ब्लैडर इंफेक्शन के उपचार में कारगर होता है।
इसके अलावा टी ट्री ऑयल को निम्न बिमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है –
एंटीबेक्टीरियल गुणों से भरपूर
कई वर्षों से त्वचा रोगों के इलाज के लिए हीलिंग ट्रीटमेंट के तौर पर इस तेल का इस्तेमाल किया जाता रहा है। आज कई बीमारियों के इलाज में इसका प्रयोग किया जाता है। टी ट्री ऑयल को इसके एंटीबेक्टीरियल प्रभाव के लिए जाना जाता है।
कुछ रिसर्च में बताया गया है कि इस तेल से संबंधित एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव में बेक्टीरिया की कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने में असरकारी पाया गया है। हालांकि, इस संदर्भ में अभी और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।
एंटीइंफलामेट्री होता है टी ट्री ऑइल
टी ट्री ऑइल में टेरपिनेन-4-ओल उच्च मात्रा में होता है जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इस यौगिक में एंटी-इंफलामेट्री गुण होते हैं।
पशुओं पर किए गए अध्ययन में टेरपिनेन-4-ओल को मुंह में इंफेक्शन के मामले में सूजन को रोकने में फायदेमंद पाया गया है। मनुष्य में टी ट्री ऑइल को लगाने से हिस्टामिन की वजह से स्किन में सूजन को कम करने में प्रभावशाली देखा गया है।
एंटीफंगल है ऑइल
टी ट्री ऑइल में यीस्ट और फंगी को मारने में असरकारी पाया गया है। अधिकतर अध्ययन यौन अंगों, गले और मुंह, स्किन को प्रभावित करने वाले कैन्डिडा एलबिकन पर आधारित थे।
अन्य रिसर्च के मुताबिक टेरीफेन-4-ओल फ्लूकानाजोल के प्रभाव को बढ़ाने में मददगार पाया गया। यह एक आम एंटीफंगल दवा है जिसका इस्तेमाल कैन्डिडा एलबिकन पर किया जाता है।
एक्ने हो दूर
नेशनल सेंटर फोर कॉमपलीमेंट्री एंड इन्टीग्रेटीव हेल्थ के अनुसार मनुष्यों पर टी ट्री ऑइल के प्रभाव को लेकर रिसर्च बहुत कम की गई है। हालांकि, इस तेल से कई प्रकार की त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में उपयोगी पाया गया है। एक्ने सबसे आम त्वचा समस्याओं में से एक है।
एक अध्ययन में प्रतिभागियों को ऐक्ने के इलाज के लिए टी ट्री ऑइल और प्लेसिबो दिया गया। टी ट्री ऑइल से इलाज लेने वाले लोगों में दाने भी कम हुए और इनकी गंभीरता में भी कमी आई।
एथलीट फुट
टी ट्री ऑइल क्रीम लगाने से एथलीट फुट और टिनिया पेडिस के लक्षणों में कमी आ सकती है। एथलीट फुट के लक्षणों को कम करने में टी ट्री ऑइल को 10 फीसदी असरकारी पाया गया है जबकि एंटीफंगल दवा टोलनअफटेट को 1 फीसदी प्रभावशाली पाया गया। हालांकि, पूरे इलाज के लिए टी ट्री ऑइल प्लेसिबो से ज्यादा असरकारी नहीं था।
जिन लोगों ने 50 फीसदी उपचार के तौर पर टी ट्री ऑइल लगाया था, उन्हें 68 फीसदी राहत मिली और पूरे इलाज का प्रतिशत 64 था जबकि प्लेसिबो वाले ग्रुप में यह प्रतिशत दोगुना था।
डैन्ड्रफ से छुटकारा
ईस्ट पिटीरोस्पोरम ओवेल की वजह से होने वाले डैन्ड्रफ में टी ट्री ऑइल को 5 फीसदी असरकारी पाया गया है। डैन्ड्रफ से ग्रस्त जिन लोगों ने 4 सप्ताह तक 5 फीसदी टी ट्री ऑइल युक्त शैम्पू का इस्तेमाल किया उन्हें सिर में खुजली और चिपचिपेपन से राहत मिली। यह प्रभाव प्लेसिबो की तुलना में ज्यादा था। प्रतिभागियों को कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ।
एक अन्य अध्ययन में टी ट्री ऑइल के शैम्पू को बच्चों में क्रेडल कैप के इलाज में असरकारी देखा गया।
जुओं से छुटकारा
जुएं खत्म करने के लिए कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं है इसलिए विशेषज्ञ भी विकल्प के तौर पर एसेंशियल ऑइल को महत्व देते हैं। कुछ एसेंशियल ऑइल्स में नेरोलीडोल पाया जाता है। टी ट्री ऑइल और नेरोलीडोल की जुओं पर प्रभाव की तुलना करने के लिए एक रिसर्च की गई। इसमे टी ट्री ऑइल को जुओं पर ज्यादा प्रभावशाली पाया गया। 30 मिनट में ही टी ट्री ऑइल ने 100 फीसदी जुओं को खत्म कर दिया जबकि नेरोलीडोल जुओं के अंडों यानि लीखों को खत्म करने में तेज था।
यदि 1:2 के अनुपात में टी ट्री ऑइल और नेरोलीडोल को मिलाकर लगाया जाए तो इससे जुएं और अंडे दोनों को खत्म किया जा सकता है। अन्य रिसर्च के मुताबिक टी ट्री ऑइल और लेवेन्द्र ऑइल भी असरकारी था।
कुछ लोग इसका इस्तेमाल नहाने के पानी, खांसी, ब्रोंकियल कंजक्शन और फेफड़े की सूजन के इलाज के लिए करते हैं।
दूसरी कई चीजों में भी यह ऑयल उपयोग किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक या फार्मासिस्ट से सलाह लें।
मुंहासों के लिए- ऑयल को सीधा मुंहासों पर लगाने से 45 दिनों में असर दिखने लगता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से मुंहासे नहीं बढ़ते हैं और त्वचा भी साफ रहती है।
नाखूनों में फंगस संक्रमण के लिए (onychomycosis)- टी-ट्री ऑयल को सीधा संक्रमण वाली जगह पर इस्तेमाल करने से नाखून दिखने में भी अच्छे लगते हैं और संक्रमण भी दूर होता है। टी-ट्री ऑयल को इस्तेमाल करने वाले करीब 56% लोगों को 3 महीने के बाद ही सुधार दिखने लगता है और करीब 60% लोगों को 6 महीने के बाद सुधार दिखता है।
एथलीट फुट (tinea pedis) के लिए- टी-ट्री ऑयल क्रीम का इस्तेमाल करने से एथलीट फुट के कई लक्षण जैसे खुजली, जलन, स्केलिंग और सूजन में आराम मिलता है। इसका करीब चार हफ्तों तक इस्तेमाल करना पड़ता है।
अपने डॉक्टर या फार्मसिस्ट या हर्बलिस्ट से सलाह लें, अगर –
किसी भी हर्बल सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने के नियम उतने ही सख्त होते हैं, जितने कि अंग्रेजी दवा के। सुरक्षा के लिहाज से, अभी इसमें और अध्ययन की जरूरत है। इस ऑयल से होने वाले फायदे से पहले आपको इसके खतरों को भी जानना चाहिए। ज्यादा जानकारी के लिए अपने हर्बलिस्ट से बात करें।
त्वचा पर टी-ट्री ऑयल का इस्तेमाल सामान्य रूप से सुरक्षित होता है, लेकिन कई बार यह सूजन और परेशानी का कारण भी बन सकता है।
बच्चे: आमतौर पर ये तेल बच्चों के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन टी-ट्री ऑयल का इस्तेमाल करने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
गर्भावस्था और स्तनपान:
स्किन पर इस्तेमाल करने के लिए यह तेल सुरक्षित होता है। लेकिन, अगर आप खाद्य पदार्थ के रूप में इसका सेवन करते हैं, तो यह असुरक्षित हो सकता है।
टी-ट्री ऑयल निम्नलिखित समस्याएं पैदा कर सकता है –
जरूरी नहीं कि दिए गए साइड इफेक्ट का ही आपको सामना करना पड़े। यह दूसरे प्रकार के भी हो सकते हैं, जिन्हें इस लिस्ट में शामिल नहीं किया जा सका है। अगर आपको टी-ट्री ऑयल के साइड इफेक्ट को लेकर कोई शंका है, तो अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से बात करें।
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वयस्कों के लिए निर्धारित मात्रा (18 वर्ष या उससे अधिक) –
नाखून में फंगस के लिए (onychomycosis)
छह महीने तक रोजाना दिन में दो बार प्रतिदिन टी-ट्री ऑयल लगाया जा सकता है।
एथलीट फूट के लिए
एक महीने के लिए रोजाना दिन में दो बार 25 या 50 प्रतिशत टी-ट्री ऑयल लगाने से स्थिति में सुधार आता है। इसके अलावा, 10 प्रतिशत टी-ट्री ऑयल की क्रीम का भी उपयोग किया जा सकता है।
मुंहासों के लिए :
5 प्रतिशत टी-ट्री ऑयल जेल रोजाना मुंहासों पर लगाया जा सकता है।
बच्चों के लिए :
आंखों के इंफेक्शन होने पर –
50 प्रतिशत टी-ट्री ऑयल से आईलिड पर स्क्रब या पांच प्रतिशत टी-ट्री ऑयल ऑइंटमेंट से आईलिड मसाज करने से संक्रमण को कम किया जा सकता है।
त्वचा संक्रमण के लिए :
टी-ट्री ऑयल की चार माइक्रोलिटर ड्रॉप प्लस आयोडीन के साथ रोजाना दो बार एक महीने के लिए घाव पर लगाएं।
वायरल वार्ट्स/मस्सा
12 दिन तक रोजाना एक बार टी-ट्री ऑयल लगाने से मस्सा कम हो सकता है।
इस हर्बल सप्लिमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों पर निर्भर करती है।
हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। कृपया अपनी उचित खुराक के लिए अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से बात करें।
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डिस्क्लेमर
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Melaleuca alternifolia (Tea Tree) Oil: a Review of Antimicrobial and Other Medicinal Properties. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1360273/. Accessed on 8 January, 2020.
Melaleuca alternifolia (Tea Tree) Oil: a Review of Antimicrobial and Other Medicinal Properties/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1360273/Accessed on 27/10/2020
Tea Tree Oil/https://www.nccih.nih.gov/health/tea-tree-oilAccessed on 27/10/2020
Current Version
27/10/2020
Smrit Singh द्वारा लिखित
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
Updated by: Shivam Rohatgi
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr Sharayu Maknikar