गंभीर नॉनप्रोलिफेरेटिव रेटिनोपैथी (Severe Nonproliferative Retinopathy)
डायबिटिक रेटिनोपैथी स्टेजेस की तीसरी स्टेज है गंभीर नॉनप्रोलिफेरेटिव रेटिनोपैथी। इस स्टेज में आंख को पोषण देने वाले ब्लड वेसल की बढ़ती संख्या अवरुद्ध हो जाती है। जिससे रेटिना के कई क्षेत्र को उनकी रक्त आपूर्ति से वंचित रह जाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि रेटिना को नए रक्त वेसल्स बढ़ने का संकेत दिया जाता है। इसके साथ ही रेटिना के ये क्षेत्र पोषण के लिए नए ब्लड वेसल्स को बढ़ाने के लिए शरीर में संकेत भेजते हैं। अगर यह ब्लड वेसल पूरी तरह से बंद हो जाते हैं, तो इसे मैक्यूलर इस्किमिया कहा जाता है। इस स्थिति में काले धब्बों के साथ दृष्टि धुंधली हो सकती है।
अगर कोई व्यक्ति इस स्टेज तक पहुंच गया है, तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि वो अपनी दृष्टि दे। हालांकि, सही उपचार दृष्टि के नुकसान को रोकने में सक्षम हो सकता है। लेकिन, अगर आप पहले से ही दृष्टि खो चुके हैं, तो इसके वापस आने की संभावना कम या न के बराबर होती है।
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प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (Proliferative Diabetic Retinopathy)
डायबिटिक रेटिनोपैथी स्टेजेस की यह चौथी स्टेज एक एडवांस स्टेज है, जिसमें पोषण के लिए रेटिना द्वारा भेजे गए संकेत नए ब्लड वेसलस के विकास को गति प्रदान करते हैं। ये नए ब्लड वेसल असामान्य और नाजुक होते हैं। यह रेटिना और स्पष्ट विटेरस जेल की सतह के साथ बढ़ते हैं, जो आंख के अंदर की खली जगह को भरते हैं। क्योंकि ये ब्लड वेसल नाजुक होते हैं, इसलिए इनमें रिसाव या खून बहना भी शुरू हो सकता हैं। नतीजतन, स्कार टिश्यू बन सकता है, और रेटिना भी अलग हो सकता है। अगर रेटिना अलग हो जाता है तो दृष्टि में धब्बे आना, अचानक तेज रोशनी दिखना या बिलकुल भी दिखाई न देना जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
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डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
डायबिटिक रेटिनोपैथी को रोकने का सबसे बेहतरीन तरीका है। अपनी डायबिटीज को नियंत्रित रखना चाहिए। इसका अर्थ है कि आपको अपने ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखना चाहिए। यह तरीका केवल डायबिटिक रेटिनोपैथी ही नहीं बल्कि कई अन्य समस्याओं को दूर करने में भी प्रभावी है। ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए आप यह उपाय अपनाएं: