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Keratoconus : केरेटोकोनस क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/05/2020

Keratoconus : केरेटोकोनस क्या है?

परिचय

केरेटोकोनस क्या है?

केरेटोकोनस आंखों से संबंधित एक समस्या है। आंखों का सबसे सामने वाला पारदर्शी भाग, जिसे कॉर्निया कहा जाता है, वह पतला हो जाता है और बाहर की तरफ कोन के आकार में उभर जाता है। जिससे आंखों से धुंधला दिखाई देने लगता है। केरेटोकोनस होने पर आंखे रोशनी और चमक के लिए बेहद सेंसटिव हो जाती है। केरेटोकोनस 10 से 25 साल के उम्र के लोगों में पाया जाता है। केरेटोकोनस के शुरुआती स्टेज में आंखों से साफ दिखाई देने के लिए चश्मे या मुलायम लेंस लगाए जाते हैं। बाद में ठीक ने होने पर लेंस को आंखों में फिट कर दिए जाते हैं। अगर स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाती है तो कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जाता है।

कितना सामान्य है केरेटोकोनस होना?

केरेटोकोनस होना बहुत सामान्य है। ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

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लक्षण

केरेटोकोनस के क्या लक्षण हैं?

केरेटोकोनस के लक्षण निम्न प्रकार से हैं :

  • कोई भी चीज दो या टेढ़ी दिखाई देना
  • रोशनी या चमक होने पर आंखों की सेंसटिविटी बढ़ जाना, ऐसे लोगों को रात में ड्राइविंग में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है
  • चश्मे का नंबर बार-बार बदल जाना
  • अचानक से धुंधला दिखाई देना

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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

ऊपर बताए गए लक्षणों के सामने आने पर आपको नेत्र रोग विशेषज्ञ (ophthalmologist) से मिलना चाहिए। जांच में डॉक्टर आपकी आंखों का परिक्षण करने के बाद केरेटोकोनस की पुष्टि करते हैं। इसके बाद जरूरत पड़ने पर लेजर-असिस्टेड इन सीटू केरैटोमाइल्यूसिस (LASIK) सर्जरी की जाती है।

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कारण

केरेटोकोनस होने के कारण क्या है?

आंखों में प्रोटीन के छोटे फाइबर्स होते हैं जिसे कोलेजन कहते हैं। ये कोलेजन आंखों के ऊपर के कॉर्निया को पकड़ के रखता है। जब कोलेजन कमजोर पड़ने लगते हैं तो कोलेजन कोन के आकार में विकृत हो कर उभरने लगते हैं। तब जा कर केरेटोकोनस होता है। कॉर्निया में प्रोटेक्टिव एंटीऑक्सीडेंट के घटने के कारण भी केरेटोकोनस होता है। जिसमें कॉर्निया सेल्स डैमेज होने लगती है।

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केरेटोकोनस परिवार में फैलने वाली समस्या है। अगर आपको केरेटोकोनस है तो आप अपने बच्चे का 10 साल की उम्र से ही आंखों का रूटीन चेकअप कराते रहें। जिससे बच्चे पर केरेटोकोनस के असर को कम किया जा सकता है। आंखों की परेशानी टीनएज से शुरू होती है और 30 साल तक की उम्र तक हो सकती है। कुछ मामलों में 40 से ज्यादा उम्र के लोगों को भी केरेटोकोनस हो सकता है। कॉर्निया में होने वाले बदलाव कभी भी बंद हो सकते हैं। वहीं, केरेटोकोनस से पहले एक आंख प्रभावित होती है और फिर दूसरी आंख पर असर पड़ता है।

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जोखिम

केरेटोकोनस के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?

केरेटोकोनस में रिस्क फैक्टर निम्न हैं :

  • पारिवारिक इतिहास में केरेटोकोनस का होना
  • जोर से आंखों को मलना
  • आंखों से संबंधित कुछ अन्य समस्या का होना, जैसे- रेटिनिटिस पिगमेंटोसा, डाउन सिंड्रोम, एहलर्स डैनलोस सिंड्रोम, हे फीवर और अस्थमा

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निदान और उपचार

यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

केरेटोकोनस का निदान कैसे किया जाता है?

केरेटोकोनस का पता लगाने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ पारिवारिक इतिहास के साथ आपका मेडिकल इतिहास भी देखते हैं। साथ ही आपकी आंखों की जांच भी करते हैं। आंखों के लिए निम्न टेस्ट करते हैं :

  • आई रिफ्रैक्शन : इस टेस्ट में डॉक्टर आपके दृष्टि की जांच करते हैं। डॉक्टर आपके आंखों पर लेंस लगा कर जांच करते हैं। ताकि आपके आंखों का नंबर पाता चल सके। इसके अलावा कुछ डॉक्टर रेटिनोस्कोप लगा कर आपके आंखों की जांच करते हैं।
  • स्लिट-लैंप टेस्ट : इस टेस्ट में डॉक्टर आंखों पर सीधे एक प्रकाश की किरण डालते हैं। इसके बाद लो-पावर माइक्रोस्कोप से आंखों की जांच करते हैं। डॉक्टर ये देखते हैं कि आपकी आंखों में अन्य क्या समस्या है। टेस्ट के बाद आपकी आंखों में आईड्रॉप डाल कर पुपिल को खोल देते हैं। इसके बाद डॉक्टर आपकी आंखों के अंदर देखते हैं।
  • डॉक्टर आपको प्रकाश के एक गोले पर फोकस करने के लिए कहते हैं। इसके बाद डॉक्टर आपके कॉर्निया के वास्तविक आकार की जांच करते हैं।
  • कम्प्यूटराइज्ड कॉर्निअल मैपिंग : ये विशेष प्रकार का फोटोग्राफिक टेस्ट है। जिसमें कॉर्निया की जांच कम्प्यूटर से की जाती है और उसके आकार आदि की डिटेल निकाली जाती है। इस टेस्ट से ही कॉर्निया के मोटाई की जांच की जाती है।

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केरेटोकोनस का इलाज कैसे होता है?

केरेटोकोनस का इलाज मरीज के स्थिति पर निर्भर करता है। केरेटोकोनस के शुरुआत में चश्मा या लेंस लगा कर इलाज किया जाता है। लेकिन, जिन लोगों को चश्मा लगाना नहीं पसंद है वे लोग सर्जरी कराते हैं।

लेंसेस (Lenses)

  • डॉक्टर आपको चश्मे या कॉन्टेक्ट लेंसेस लगाते हैं, जिससे आपकी आंखों का धुंधलापन साफ हो जाता है। आसान भाषा में कहें तो चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस लगाने से आपको साफ दिखाई देने लगता है।
  • हार्ड कॉन्टेक्ट लेंसेस : केरेटोकोनस के इलाज के लिए डॉक्टर आपकी हार्ड लेंस पहनने के लिए देते हैं। जो आपके कॉर्निया पर फिट बैठता है।
  • पिगीबैक लेंसेस (Piggyback lenses) : जिन्हें हार्ड लेंस असहज लगते हैं। उन्हें डॉक्टर पिगीबैक लेंसेस लगाने के लिए देते हैं। ये ऐसे लेंसेस होते हैं, जो अंदर से सॉफ्ट और बाहर से हार्ड होते हैं।
  • हाइब्रिड लेंसेस (Hybrid lenses) : इस तरह के लेंस बीच में हार्ड होते हैं और किनारों पर मुलायम होते हैं। ये लेंस बहुत आरामदायक होते हैं।
  • स्क्लेरल लेंस (Scleral lenses) : ये लेंस आपके पूरे आंखों पर फैला रहता है। जो कॉर्निया के आकार को बदलने से रोकता है।
  • आंखों में लेंस अगर सही से फिट नहीं होते हैं तो भी कॉर्निया डैमेज हो सकता है।

सर्जरी (Surgery)

लेंस या चश्मा न लगाने की स्थिति में आंखों की सर्जरी की जाती है :

  • कॉनियल इनसर्ट्स (Corneal inserts) : इस सर्जरी में सर्जन आपके कॉर्निया पर छोटा सा साफ और चंद्राकार में एक प्लास्टिक आंखों में डालते हैं। जिससे कॉर्निया समतल हो जाता है और आंखों की रोशनी बढ़ जाती है। ये सर्जरी आसान और आरामदायक होती है। लेकिन, इस सर्जरी में संक्रमण और इंजरी का रिस्क होता है।
  • कॉर्निया ट्रांसप्लांट (Cornea transplant) : अगर आपकी कॉर्निया पतली हो जाती है तो कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। इस प्रक्रिया को केरेटोप्लास्टी कहते हैं। डॉक्टर इस सर्जरी में बीच से कॉर्निया हटा कर डोनर का कॉर्निया ट्रांसप्लांट करते हैं। इससे आंखों से साफ दिखाई देने के साथ ही कॉर्निया में विकृति की समस्या भी खत्म हो जाती है।

पोटेंशियल प्यूचर ट्रीटमेंट (Potential future treatment)

केरेटोकोनस के मरीज के आंखों में अल्ट्रावायलेट ए (UVA) प्रकाश डाला जाता है। जिससे कॉर्निया के टिश्यू मजबूती से पकड़ बना कर रखते हैं। फिलहाल अभी यह ट्रीटमेंट यूनाइटेड स्टेट में टेस्टिंग फेज में है। इसलिए ये ट्रीटमेंट ज्यादा प्रचलित नहीं है।

जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार

जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे केरेटोकोनस को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?

इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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