के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
जब हमारी मांसपेशियों में पाया जाने वाला क्रिएटिन (creatine) टूटता है, तो उसकी वजह से क्रिएटिनिन नामक वेस्ट प्रोडक्ट बनता है। यह टेस्ट खून में क्रिएटिनाइन की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है। खून में क्रिएटिनिन की मात्रा के माध्यम से डॉक्टर यह देख सकता है कि आपकी किडनी ठीक तरह काम कर रही हैं या नहीं।
हर किडनी में खून साफ करने वाले लाखों संयंत्र होते हैं, जिन्हें नेफरॉन्स (nephrons) कहा जाता है। नेफरॉन्स ग्लोमेरूली (glomeruli) नामक बेहद सूक्ष्म रक्तवाहिकाओं के समूह से खून को साफ करते हैं। ये सभी मिलकर खून में मौजूद वेस्ट प्रोडक्ट, अतिरिक्त पानी और अन्य अशुद्धियों को साफ करते हैं। इसमें निकले जहरीले तत्व मूत्राशय में भेज दिए जाते हैं, पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं।
क्रिएटिनिन उन विशुद्धियों में से एक है जिसे किडनी शरीर से बाहर करती रहती है। इसी वजह से डॉक्टर क्रिएटिनिन टेस्ट के जरिए किडनी के काम को देखते हैं। अगर खून में क्रिएटिनिन की मात्रा अत्यधिक पाई जाती है, तो इसका सीधा मतलब होता है कि आपकी किडनी ठीक ढंग से काम नहीं कर रही है।
क्रिएटिनिन ब्लड टेस्ट कई और लैब टेस्ट के साथ किए जाते हैं, जैसे ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN) टेस्ट, बेसिक मैटाबॉलिक पैनल (BMP) और कंप्रिहेन्सिव मैटाबॉलिक पैनल (CMP). इस तरह के टेस्ट रूटीन टेस्ट के साथ-साथ शरीर में अन्य समस्याएं और किडनी फंक्शन की जांच के लिए किए जाते हैं।
सीरियम क्रिएटिनिन टेस्ट खून में क्रिएटिनिन की मात्रा बताने के साथ-साथ यह भी बताता है कि किडनी किस तरह काम कर रही है, कितनी को कितना नुकसान पहुंचा है। यदि आपको किडनी रोग के निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं तब भी डॉक्टर आपको यह टेस्ट रिकमेंड कर सकता है:
किडनी प्रोब्लम्स निम्नलिखित परेशानियों के कारण भी हो सकती हैं:
इस टेस्ट की निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में डॉक्टर रिकमेंड कर सकता है:
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सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट एक सामान्य ब्लड टेस्ट की तरह ही होता है। इसमें टेस्ट से पहले किसी तरह की खास तैयारी की जरूरत नहीं होती। हो सकता है कि आपकी स्थित देखते हुए डॉक्टर आपको खास तरह के दिशा निर्देश दे।
क्रिएटिनिन टेस्ट के दौरान आपके के खून का सैंपल लिया जाता है। एक सिरेंज के जरिए आपकी नस से खून निकाला जाता है। इसके बाद इस ब्लड सैंपल को परीक्षण के लिए लैब में भेज दिया जाता है।
कई मामलों में डॉक्टर आपकी पेशाब में भी क्रिएटिनिन की मात्रा की जांच कर सकता है। इसके लिए डॉक्टर 24 घंटे में जितनी बार पेशाब आए उसे अलग-अलग खास तरह के डब्बों में रखने के लिए कह सकता है। इसकी मदद से डॉक्टर किडनी को पहुंचे नुकसान का सटीक अंदाजा लगा सकता है।
आमतौर पर टेस्ट के बाद खून निकाले जाने वाली जगह पर हल्की सूजन दिखाई देती है, जो अपने आप चली जाती है। अगर आपको अत्यधिक दर्द या किसी प्रकार का इंफेक्शन नजर आता है, तो आप अपनी डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
इसके अलावा यूरीन टेस्ट के बाद किसी प्रकार की देखरेख की आवश्यक्ता नहीं होती जबतक डॉक्टर ने आपको ना कहा हो। आप टेस्ट के बाद उन दवाईयों को फिर शुरू कर सकते हैं, जो आपने टेस्ट के पहले बंद की हों।
अगर आपको क्रिएटिनिन टेस्ट को लेकर कोई और सवाल हैं, तो अपने डॉक्टर से मदद लेना ना भूलें।
क्रिएटिनिन ब्लड टेस्ट के नतीजे मिलिग्राम प्रति डेसीलीटर या माइक्रोमोल्स प्रति लीटर के हिसाब से मापे जाते हैं। इसकी सामान्य रेंज 0.84 to 1.21 मिलिग्रा प्रति डेसीलीटर यानी (74.3 to 107 micromoles per liter) होनी चाहिए। हालांकि, इस टेस्ट के नतीजे लैब, पेशेंट की उम्र और महिला और पुरुषों के शरीर पर निर्भर करते हैं। क्रिएटिनिन की मात्रा खून में ज्यादा वजनी मांसपेशियों की वजह से बढ़ जाती है। इसलिए महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में क्रिएटिनिन ज्यादा पाया जाता है।
आमतौर पर यह माना जाता है कि खून में क्रिएटिनिन की ज्यादा मात्रा का सीधा ताल्लुक किडनी के असामान्य व्यवहार से है। अगर आपके शरीर में पानी की कमी है, खून की कमी है, आप ज्यादा मांस का सेवन करते हैं या किसी तरह की दवाई ले रहे हैं, तो भी कुछ समय के लिए क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ सकती है।
अगर क्रिएटिनिन की मात्रा अत्यधिक पाई जाती है तो डॉक्टर एक और ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट कराकर इसकी पुष्टि करता है। ऐसे में अगर किडनी की क्षति पाई जाती है तो जिस वजह से उसे क्षति पहुंची है उसे रोकने की दिशा में काम किया जाता है। खासतौर पर आपको अपने ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रण में लाने की जरूरत होती है। इसके लिए दवाईयों का सहारा लेना पड़ता है।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।
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