कोरोना वायरस और चीन का झूठ: जनवरी में दोबारा दी गलत जानकारी
8 जनवरी को, चीनी चिकित्सा अधिकारियों ने वायरस की पहचान करने का दावा किया। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर कहा कि इस वायरस का मानव से मानव में फैलने का कोई सबूत नहीं मिला है।
11 जनवरी को, वुहान सिटी हेल्थ कमीशन ने एक शीट जारी की जिसमें प्रश्न और उनके उत्तर थे। इसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शहर में अधिकांश निमोनिया के मामले दक्षिण चीन फिश मार्केट के संपर्क का इतिहास है। इसका मानव से मानव संचरण का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है।
12 जनवरी को डॉ ली वेनलियांग को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोरोना वायरस पेशेंट्स के इलाज करते करते उन्हें खांसी शुरू हो गई थी। बाद में उन्हें बुखार हुआ। उनकी इतनी हालत खराब हो गई थी कि उन्हें आईसीयू में एडमिट कराया गया।
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कोरोना वायरस और चीन का झूठ: डब्ल्यूएचओ को दी गलत जानकारी
13 जनवरी
कोरोना वायरस का पहलमा मामला चीन के बाहर थाईलैंड से आया। 61 वर्षीय महिला ने वुहान का दौरा किया था। हालांकि, थाईलैंड के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि महिला ने वुहान सीफूड बाजार का दौरा नहीं किया था। महिला ने वुहान में एक छोटे बाजार का दौरा किया था, जिसमें कई जानवरों का मीट बेचा जाता है।
14 जनवरी
डब्ल्यूएचओ ने ट्विटर पर लिखा, ‘चीनी अधिकारियों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में वुहान में पहचाने गए कोरोना वायरस के मानव से मानव संचरण का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है।
15 जनवरी
जापान ने कोरोना वायरस के अपने पहले मामले की सूचना दी और उसके स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मरीज ने चीन में किसी भी सी फूड मार्केट का दौरा नहीं किया था। वुहान नगर स्वास्थ्य आयोग ने एक बयान जारी कर कहा- मानव से मानव संचरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
वुहान के डॉक्टरों को इस बात की जानकारी थी कि यह वायरस संक्रामक है, बावजूद इसके नेशनल रिव्यू के लेख के अनुसार, शहर के अधिकारियों ने 40,000 परिवारों को लूनर न्यू ईयर के दिन एकत्रित होने की अनुमति दी।
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19 जनवरी
चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने वायरस को ‘रोके जाने योग्य और नियंत्रणीय’ घोषित किया। इसके ठीक एक दिन बाद, चाइना हेल्थ नेश्नल कमीशन की टीम के प्रमुख ने इसकी जांच की और इस बात की पुष्टि की कि चीन के गुआंगडोंग प्रांत में संक्रमण के दो मामले मानव से मानव संचरण और चिकित्सा कर्मचारी संक्रमित हुए थे।
21 जनवरी
सीडीसी ने अमेरिका में कोरोना वायरस के पहले मामले की घोषणा की। मरीज छह दिन पहले चीन से लौटा था।
डब्ल्यूएचओ ने किया चीन का दौरा
22 जनवरी को, डब्ल्यूएचओ के एक प्रतिनिधिमंडल ने वुहान का एक क्षेत्र दौरा किया। इसके बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि- “नए परीक्षण किट की मदद से राष्ट्रीय स्तर पर पता चलता है कि वुहान में मानव से मानव संचरण हो रहा है।
वायरस का पहला मामला सामने आने के लगभग दो महीने बाद, चीनी अधिकारियों ने वुहान में बीमार लोगों को संगरोध के लिए अपने पहले कदम की घोषणा की। इस समय तक, चीनी नागरिकों की एक बड़ी संख्या ने विदेश यात्रा की थी।
एक फरवरी को कोरना वायरस के फैलने की सबसे पहले सूचना देने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग की कोविड-19 को मौत हो गई।
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वक्त रहते सचेत होता चीन तो न होता ये हाल
आज दुनिया में ज्यादातर लोग कोरोना वायरस को समुदायों के बीच फैलने से रोकने के लिए घर में कैद है। जहां एक तरफ सभी देश कोविड-19 को फैलने से रोकने की कोशिश कर रहा है वहीं अगर चीन ने सही समय पर लोगों को आगाह किया होता तो शायद इस खतरनाक वायरस को फैलने से रोका जा सकता था। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन (University of Southampton) के एक शोध के अनुसार, अगर चीन समय पर रहते हुए इस गंभीर महामारी को लेकर सचेत होता तो इसके 95 प्रतिशत मामलों को कम किया जा सकता था। शोधकर्ताओं ने ह्यूमन मूवमेंट और बीमारी की शुरुआत के आंकड़ों को संकलित करने के लिए मैपिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाया कि कोविड-19 जब चीन में फैल रहा था तो शुरुआत में इसके फैलने की गति धीमी थी। उस समय इसे कंट्रोल किया जा सकता था।
पहले लॉकडॉउन किया होता तो…
इस शोध के अनुसार अगर चीन ने स्थिति बिगड़ने से एक हफ्ते पहले लॉकडाउन किया होता तो कोरोना वायरस के मामले 66 प्रतिशत तक कम होते। यदि लॉकडाउन दो हफ्ते पहले होता तो ये मामले 86 प्रतिशकत कम होते। तीन हफ्ते पहले लॉकडाउन करने पर 95 प्रतिशत केस कम हो सकते थे।
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