बढ़ते समय के साथ काेरोना के मामले और भी बढ़ते जा रहे हैं, जो थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। भारत में कोविड-19 के पेशेंट की संख्या दो लाख पार कर चुकी है। कोरोना की शुरुआत से ही हम सभी इसके लक्षणों और कारणों से अंजान नहीं हैं। लेकिन इसी के साथ ही हमें कोविड-19 टेस्टिंग किट के बारे में जानना और समझना जरूरी है। इस बीमारी को दूर करने के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन और कोविड-19 टेस्टिंग किट विकसित हो। इसके लिए काउंसिल ऑफ सइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) द्वारा एक खास टेक्नोलॉजी बेस्ड टेस्टिंग किट तैयार की गई है, जो जानलेवा बीमारी कोरोना को हराने में मददगार साबिग हो सकती है।
CSIR के अनुसार कोविड-19 टेस्टिंग किट से ज्यादा से ज्यादा लोगों को राहत मिल सकती है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की कोविड-19 टेस्टिंग किट की मदद से अब टेस्ट सिर्फ डेढ़ से दो दिनों में किया जा सकता है और इस कोविड-19 टेस्टिंग किट की मदद से कम से कम 50 हजार लोगों की जांच सिर्फ दो दिनों में की जा सकती है । इसी के साथ ही CSIR द्वारा विकसित कोविड-19 टेस्टिंग किट अभी के टेस्ट किट के मुकाबले सस्ती भी होगी। हैदराबाद के सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के लैब में कोविड-19 टेस्टिंग किट तैयार की जा रही है और आने वाले एक महीने में कोविड-19 टेस्टिंग किट को रेग्यूलेटरी से अप्रूवल भी मिल सकती है।
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कोविड-19 टेस्ट से जुड़ी खबरें लगातार आ रहीं हैं। लेकिन, अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। वैसे कोविड-19 टेस्टिंग किट को लेकर कई बार विवाद हुए हैं, तो कभी कोविड-19 टेस्टिंग किट में लगने वाले खर्च को लेकर। इसी कारण सरकार ने कोविड-19 टेस्ट की कीमत तय करते हुए इसे 4500 रुपये रखा गया है। ध्यान रखें की 4500 रुपये तब दिया जाता है जब सैंपल पेशेंट के घर से लिया जाता है। वहीं अगर किसी व्यक्ति को टेस्ट के लिए अगर अस्पताल जाना पड़ता है, तो कोविड-19 टेस्ट फी 3500 रुपये होती है। 3500 रुपये प्राइवेट लैब की फी तय की गई है। अगर कोविड-19 टेस्ट किसी सरकारी अस्पताल में करवाई जाती है, तो यहां इसकी जांच निःशुल्क होती है। अगर काउंसिल ऑफ सइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) द्वारा खास टेक्नोलॉजी बेस्ड कोविड-19 टेस्टिंग किट सफल हो जाती है, तो यह किसी वरदान से कम नहीं होगा। फिलाल भारत के सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरस के टेस्ट की जा रही है और डॉक्टर के सलाह अनुसार रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और जेनेटिक टेस्ट की जाती है। कोरोना पेशेंट के बढ़ते आंकड़े और लोगों की जा रही जान की वजह से लोग इस बीमारी के इलाज और कोविड-19 टेस्ट को लेकर कई तरह के सवालों से भी घिरे हुए हैं।
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भारत में कोविड-19 की जांच के लिए फिलाल अलग-अलग विकल्प अपनाये जा रहें हैं। इन विकल्पों में शामिल है:
जेनेटिक टेस्ट (Genetic Test)
जेनेटिक टेस्ट को स्वैब टेस्ट भी कहा जाता है। इस जांच के दौरान मुंह के साथ-साथ गले के पीछे की जांच की जाती है। दरअसल इस रिपोर्ट में रेस्पिरेट्री पाइप के निचले हिस्से में तरल पदार्थों की आवश्यकता होती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार स्वैब टेस्ट में गले या नाक के अंदर से रूई (कॉटन) की मदद से लार का सैंपल लिया जाता है। गले या नाक से सैंपल लेने का कारण भी है। क्योंकि हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार शरीर के इन हिस्सों में इंफेक्शन सबसे पहले यहीं से शुरू होता है। सैंपल लेने के बाद इसे एक खास तरह के केमिकल में डाला जाता है। केमिकल में डालने के बाद इससे सैंपल में मौजूद सेल्स और वायरस दोनों अलग-अलग हो जाते हैं। इस प्रोसेस के बाद पॉलीमरेस चेन रिएक्शन (Polymerase Chain Reaction) की मदद से कोरोना वायरस का पता लगाया जाता है। पॉलीमरेस चेन रिएक्शन को PCR भी कहते हैं।
सेरोलॉजिकल टेस्ट (Serological Test)
इस टेस्ट के दैरान ब्लड सीरम में मौजूद एंटीबॉडी की पहचान की जाती है, जिससे कोरोना वायरस से संक्रमित होने की जानकारी मिलती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि मानव शरीर एंटीबॉडी प्रोटीन तब बना सकता है जब शरीर में कोई इंफेक्शन हो। एंटीबॉडी को संक्रमण को पहचानने में तीन से चार दिनों का समय लगता है। इस टेस्ट से इस बात की जानकारी मिलती है कि टेस्ट किये गए व्यक्ति को कोरोना वायरस है या नहीं। सेरोलॉजिकल टेस्ट के दौरान एंटिजन का इस्तेेेेेमाल किया जाता है। यही नहीं इस टेस्ट से शरीर में मौजूद एंटीबॉडी का पता लगाना के लिए भी किया जाता है। एंटीबॉडी की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर स्वैब टेस्ट की जाती है और उसके बाद पॉलीमरेस चेन रिएक्शन (PCR) टेस्ट। अगर ये टेस्ट पॉसिटिव आते हैं, तो इंफेक्शन से पीड़ित व्यक्ति को प्रोटोकॉल के तहत आइसोलेशन में रखा जाता है और जल्द से जल्द इलाज शुरू की जाती है।
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट (Rapid antibody test)
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की मदद से इंफेक्शन का पता लगाया जाता है। भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट क्लस्टर और हॉटस्पॉट इलाकों में तेजी से किया जा रहा है, ताकि संक्रमित लोगों की जानकारी जल्द से जल्द मिल सके और अगर कोरोना वायरस से इन्फेक्सटेड व्यक्ति मिलते हैं, तो उनका जल्द से जल्द मौजूदा इलाज किया जा सके। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का उत्पादन भारत में ही किया जा रहा है।
इन टेस्ट के अलावा लगातार स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोना वायरस के संक्रमण को कैसे खत्म किया जाए इस पर रिसर्च कर रहें हैं। हालही में लंदन के अस्पतलों से यह खबर सामने आई थी की आइबूप्रोफेन (Ibuprofen) दवा की मदद से संक्रमित लोगों का इलाज किया जा सकता है। क्योंकि इस दवा से बुखार और बॉडी पेन से राहत मिलने के साथ-साथ सांस संबंधित परेशानी भी दूर हो सकती है। हालांकि हेल्थ से जुड़े साइंटिस्ट मानते हैं कि आइब्रुफेन से कोरोना का इलाज संभव नहीं है। दरअसल आइब्रुफेन जब महामारी की शुरुआत हुई थी तब इसका प्रयोग किया गया था।
वहीं आइबूप्रोफेन के अलावा पेरासिटामोल (Paracetamol) की चर्चा भी सामने आई। साउथहेम्प्टन विश्वविद्यालय के प्राइमरी केयर द्वारा किया गए रिसर्च के अनुसार आइबूप्रोफेन और पेरिसिटामोल दवा की अपनी अलग-अलग खासियत है। आइबूप्रोफेन जब किसी पेशेंट की परेशानी अत्यधिक बढ़ जाती है तब दी जाती है। इसलिए नॉर्मल फीवर होने पर इसका सेवन नहीं किया जाता है। आइबूप्रोफेन या पेरिसिटामोल में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी मौजूद होने के कारण यह पेशेंट के इम्यून पावर को कमजोर कर सकता है, जिससे मरीजों को साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं।
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कोई ठोस इलाज अब तक नहीं मिलपाने की वजह से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व चिंतित है। वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) बार-बार यह चेतावनी दे रहा है की कोरोना वायरस का खतरा अभी टला नहीं है और इससे सतर्क रहना ही इसके रोकथाम की कुंजी है। देखा जाए अब और ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि अनलॉक 1 की घोषणा कर दी गई है। केंद्र सरकार ने कोविड-19 के कंटेनमेंट जॉन में लॉकडाउन को 30 जून तक बढ़ाने का फैसला किया है। हालांकि इस दौरान कई ऐसे एरिया हैं जहां पर नियम के तहत कुछ छूट दी है। ऐसी स्थिति में अगर आप बाहर जाते हैं या आपको किसी कारण घर से निकलने की जरूरत पड़ती है, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
- बाहर जाने से पहले अपने चेहरे को मास्क से कवर करें और हाथों में ग्लप्स पहने
- लिफ्ट, सीढ़ियों या किसी भी वस्तु को न छुएं। इस दौरान यह भी ध्यान रखें की लिफ्ट, सीढ़ियों, लॉक, डोर हैंडल जैसे अन्य सतहों को छूने के लिए अपने उलटे हाथ का प्रयोग करें
- सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करें
- राशन की दुकान के अंदर जाने से पहले और सामान की खरीदारी के बाद और दुकान से निकले के बाद हाथों को अच्छी तरह से सेनेटाइज करना न भूलें
- संक्रमित इलाके (रेड जोन) में न जाएं
- डिजिटल पेमेंट का ऑप्शन चुने क्योंकि कैश पेमेंट की वजह से भी संक्रमण का खतरा बना रहता है।
इस बात का हमेशा ध्यान रखें की कोई भी जगह असुरक्षित हो सकती है। इसलिए अगर आप किसी भी वस्तु को छू रहें हैं, तो अपने चेहरे को टच न करें। हाथों को अच्छी तरह से 20 सेकेण्ड साफ करने के बाद ही अपने आपको सुरक्षित समझें। इसलिए अगर आप किसी भी कारण या इमरजेंसी में बाहर निकल रहें हैं, तो ऊपर बताये गए इन छे टिप्स को जरूर फॉलो करें और कोरोना के संक्रमण के फैलने और फैलाने से दूर रहें।
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कोरोना के बढ़ते पॉसिटिव मामलों की वजह से आम लोगों की परेशानी बनी हुई है। वहीं इंडियन गवर्मेंट हॉटस्पॉट्स या कन्टेनमेंट जॉन को लेकर अत्यधिक चिंतितहैं। संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है और उनके जांच और फिर उन्हें आइसोलेट करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। हालांकि की CSIR के द्वारा कोविड-19 टेस्टिंग किट सफल होने पर सरकार के साथ-साथ हमसभी की परेशानी कम हो सकती है।
अगर आप कोविड-19 टेस्टिंग किट या इस बीमारी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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