परिचय
बाइकार्बोनेट टेस्ट (Bicarbonate test) क्या है?
बाइकार्बोनेट टेस्ट एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है। जिसे सीओ2 टेस्ट (CO2 test) भी कहते हैं। इस टेस्ट से खून में इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा या खून में एसिडिटी (pH) में हो रहे बदलाव की जांच की जाती है।
शरीर में बहुत ज्यादा बाइकार्बोनेट या बहुत कम बाइकार्बोनेट निम्नलिखित स्थितियों का संकेत हो सकता है:
- डायरिया (Diarrhea)
- लिवर फेल (Liver Failure)
- किडनी रोग (Kidney Disease)
- एनोरेक्सिया (Anorexia)
बाइकार्बोनेट टेस्ट परीक्षणों की एक श्रृंखला का एक हिस्सा है, इसका उपयोग किडनी की जांच (Renal Profile) के लिए किया जाता है। बाइकार्बोनेट टेस्ट आपके रूटीन चेकअप का हिस्सा है। आमतौर पर यह एक बड़े इलेक्ट्रोलाइट परीक्षण का हिस्सा है जो आपके चिकित्सक को बताता है कि आपके शरीर में सोडियम, पोटेशियम और क्लोराइड कितना है। इस टेस्ट को निम्न लक्षण सामने आने के बाद आपके डॉक्टर कराने के लिए कहते हैं।
- कमजोरी (Weakness)
- भ्रम (Confusion)
- बार-बार उल्टियां होना (Repeated vomiting)
- सांस लेने में समस्या (Breathing problems)
ये सभी लक्षण इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस या एसिडोसिस या एल्कैलोसिस होने की संभावना होती है।
यदि आपको लिवर, लंग्स या डायजेस्टिव सिस्टम संबंधित कोई परेशानी है तो भी आपका डॉक्टर यह पता करने के लिए कि दवा काम कर रही है या नहीं बाइकार्बोनेट टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है।
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बाइकार्बोनेट टेस्ट (Bicarbonate test) क्यों किया जाता है?
बाइकार्बोनेट टेस्ट या कार्बन डाइऑक्साइड टेस्ट खून में बाइकार्बोनेट का लेवल की जांच में मददगार होता है। इस टेस्ट के जरिए ही खून में एसिड या बाइकार्बोनेट की कितनी मात्रा है, इसका पता चलता है। बाइकार्बोनेट टेस्ट से किडनी रोग, फेफड़े से संबंधित रोग और मेटाबॉलिक कंडीशन के बारे में भी पता लगाया जाता है। बाइकार्बोनेट टेस्ट में ब्लड सैंपल को जांच के लिए लैब में भेजा जाता है।
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जानिए जरूरी बातें
बाइकार्बोनेट टेस्ट (Bicarbonate test) करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
कुछ दवाएं खून में बाइकार्बोनेट की मात्रा को बढ़ा देती हैं, जैसे- फ्लूड्रॉचॉर्टिसोन, बार्बिट्यूरेट्स, बाइकार्बोनेट्स, हाइड्रोकॉर्टिसोन, लूप डाईयूरेटिक्स और स्टेरॉइड्स। इसके अलावा कुछ दवाएं ऐसी भी हैं जो बाइकार्बोनेट की मात्रा को खून में घटा भी देती हैं, जैसे- मेथिसिलीन, नाइट्रोफ्यूरेंटोइन, टेट्रासाइकलिन, थियाएजाइड डाइयूरेटिक और ट्राइएमेटीरीन। इसलिए डॉक्टर आपसे पूछ सकते हैं कि आप कौन सी दवाएं ले रहे हैं। कार्बन डाइऑक्साइड टेस्ट (बाइकार्बोनेट टेस्ट) भी आर्टेरिअल ब्लड गैस टेस्ट (ABG Test) के लिए धमनी से लिए गए खून के नमूने पर किया जा सकता है।
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प्रक्रिया
बाइकार्बोनेट टेस्ट (Bicarbonate test) के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
बाइकार्बोनेट टेस्ट कराने से पहले आपको कुछ भी नहीं करना है। कई दवाएं इस टेस्ट को प्रभावित करते हैं।
- आप अपने डॉक्टर से पूछ लें कि टेस्ट कराने से पहले कौन सी दवाएं बंद करनी है।
- बिना डॉक्टर से पूछ कोई भी दवा बंद न करें।
- डॉक्टर से पूछ लें कि टेस्ट के पहले आपको और क्या-क्या करने की जरूरत है। टेस्ट में और टेस्ट के बाद आपको क्या रिस्क हो सकते हैं।
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बाइकार्बोनेट टेस्ट (Bicarbonate test) में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
बाइकार्बोनेट टेस्ट की प्रक्रिया बेहद आसान है :
- सबसे पहले हेल्थ प्रोफेशनल आपके बाजू (Upper Arm) में एक इलास्टिक बैंड बांधेंगे। जिससे आपके खून का प्रवाह रूक जाएगा।
- फिर जहां से खून निकालना होगा वहां पर एल्कोहॉल से साफ करते हैं।
- आपके हाथ की नस में सुई डाल कर खून निकाल लेते है।
- निकाले हुए खून को एक ट्यूब में भर कर सुरक्षित रख देंगे।
- जहां से खून निकालते हैं, वहां पर रूई से दबा देते हैं ताकि खून बहना बंद हो जाए।
बाइकार्बोनेट टेस्ट (Bicarbonate test) के बाद क्या होता है?
ब्लड का सैंपल लेने के बाद उसे जांच के लिए लैब में भेज दिया जाएगा। टेस्ट के बाद आप तुरंत सामान्य हो जाएंगे। आप चाहे तो तुरंत घर जा सकते हैं। किसी भी तरह की समस्या होने पर आप हेल्थ प्रोफेशनल से तुरंत बात करें। ब्लड टेस्ट का रिजल्ट आपको एक या दो दिन में मिल जाएगा।
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परिणाम
बाइकार्बोनेट टेस्ट (Bicarbonate test) के रिजल्ट का क्या मतलब है?
खून में बाइकार्बोनेट की नॉर्मल मात्रा 23-29 mEq/L (milliequivalents per liter) होती है। अलग-अलग लैब की रिपोर्ट अलग-अलग आ सकती है। इसलिए टेस्ट के रिजल्ट के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर लें। जब बाइकार्बोनेट का लेवल खून में नॉर्मल से ज्यादा या कम होगा तो इसका मतलब है कि ब्लड में इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस है। इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस के कारण आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
जब आपके खून में बाइकार्बोनेट का लेवल कम होगा तो निम्न समस्याएं हो सकती हैं :
- एडिसंस डिजीज (Addison’s disease): एक दुर्लभ स्थिति जो हार्मोन बनाने वाली अधिवृक्क ग्रंथियों को प्रभावित करती है
- क्रॉनिक डायरिया (Chronic diarrhea)
- डायबिटिक केटॉएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis): ये तब होती है जब शरीर में बल्ड एसिड लेवल काफी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें शुगर को पचाने के लिए पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है।
- मेटाबोलिक एसिडोसिस (Metabolic acidosis): इसका मतलब है आपका शरीर बहुत ज्यादा एसिड बना रहा है।
- किडनी संबंधित बीमारियां (Kidney disease)
- एथिलीन ग्लाइकॉल या मेथेनॉल पॉइजनिंग (Ethylene glycol poisoning): यह मीठा रसायन एंटीफ्रीज, डिटर्जेंट, पेंट और अन्य घरेलू उत्पादों में होता है।
- सैलिसिलेट का ओवरडोज
- एसप्रिन का ओवरडोज (Asprin Overdose)
जब आपके खून में बाइकार्बोनेट का लेवल ज्यादा होगा तो निम्न समस्याएं हो सकती हैं :
- उल्टियां होना
- डिहाइड्रेशन (Dehydration)
- फेफड़े से संबंधित बीमारियां
- कशिंग सिंड्रोम (Cushing syndrome)
- एनोरेक्सिया (Anorexia)
- कॉन सिंडॅोम (Conn syndrome)
- मेटाबोलिक एल्कालोसिस (Metabolic alkalosis)
- एड्रेनल ग्लैंड प्रोब्लम्स, जैसे कुशिंग सिंड्रोम और कॉन सिंड्रोम (Adrenal gland problems, such as Cushing’s syndrome or Conn’s syndrome)
वहीं, बता दें कि बाइकार्बोनेट की रिपोर्ट हॉस्पिटल और लैबोरेट्री के तरीकों पर निर्भर करती है। इसलिए आप अपने डॉक्टर से टेस्ट रिपोर्ट के बारे में अच्छे से समझ लें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में बाइकार्बोनेट टेस्ट से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपको ऊपर बताई गई कोई सी भी शारीरिक समस्या है तो आपको आपका डॉक्टर यह टेस्ट रिकमेंड कर सकता है। बाइकार्बोनेट टेस्ट से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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