के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
हमारे मुंह के अंदर पाए जाने वाले टॉन्सिल को ही टॉन्सिलेक्टमी कहते हैं। टॉन्सिल गले में ग्रंथि के तरह पाए जाने वाले लिम्फॉयड टीश्यू का समूह होता है। जो सांस लेते समय या कुछ भी निगलते समय किटाणुओं से होने वाले इंफेक्शन से लड़ता है। अक्सर आपने सुना होगा कि गले की घाटी बढ़ गई है। इसका मतलब होता है कि टॉन्सिल का आकार बढ़ जाता है। ऐसा टॉन्सिल में संक्रमण (Infection) के कारण होता है। जिससे गले में दर्द होता है और बुखार भी हो जाता है। इसके साथ ही पीड़ित व्यक्ति को गले में सूजन के कारण अच्छा महसूस नहीं होता है। ऐसे में टॉन्सिल को ऑपरेशन के जरिए निकाल दिया जाता है।
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टॉन्सिल लगातार संक्रमण के कारण बढ़े हुए हो सकते हैं या वे स्वभाविक रूप से बड़े हो सकते हैं। टॉन्सिलेक्टोमी का उपयोग बढ़े हुए टॉन्सिल द्वारा उत्पन्न कई जटिल समस्याओं के उपचार के लिए किया जा सकता है, जैसे कि सांस लेने में कठिनाई। साेते समय सांस लेने में दिक्कत महसूस होना आदि। ऐसे में आपको टॉन्सिलेक्टमी की जरूरत पड़ सकती है।
टॉन्सिल में इंफेक्शन के कारण होने वाला दर्द दवाओं के बाद भी नहीं ठीक होता है और इससे खांसी या गले में खराश (Sore Throats) जैसी समस्या ज्यादा होती है। इसके अलावा बार-बार टॉन्सिलाइटिस हो जाता है तो सर्जरी ही विकल्प के रूप में बचता है। डॉक्टर सर्जरी कर के टॉन्सिल कॉट कर निकाल देते हैं। इस तरीके से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
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बच्चों में अगर बार-बार टॉन्सिल का संक्रमण हो तो उसे ठीक करने के लिए लंबे समय तक एंटी-बायोटिक का कोर्स चलाया जाता है, जिससे टॉन्सिल का संक्रमण ठीक हो जाता है। वहीं, बड़ों में इलाज की कमी से ग्लेंड्यूलर फीवर होता है। टॉन्सिल के बढ़ने के कारण गले में जलन, दर्द और खराश की समस्या होती है, जिसके लिए सर्जरी की जरूरत होती है।
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हर सर्जरी के कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं। ऐसे ही इस सर्जरी के भी कुछ साइड इफेक्ट्स हैं, जैसे :
इसके अलावा आपको सर्जरी के दौरान या बाद में किसी भी तरह की समस्या हो तो अपने सर्जन से बात करें। उम्मीद है इस आर्टिकल में आपको टॉन्सिलेक्टमी सर्जरी के बारे में काफी हद तक जानकारी मिल गई होगी। इसके अलावा आपको इससे संबंधित और जानकारी चाहिए तो हमसे जरूर पूछें।
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सर्जरी कराने से पहले आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर से मिल कर आपको अपनी दवाओं (जो आप पहले से ले रहे हो), एलर्जी और हेल्थ कंडिशन के बारे में बात करनी चाहिए। इसके साथ ही आप अपने एनेस्थेटिस्ट से भी मिलें और सर्जरी के दौरान बेहोश या सुन्न करने की प्रक्रिया प्लान करें। साथ में आप अपने डॉक्टर से जान लें कि आपको सर्जरी से पहले क्या खाना पीना चाहिए। इसके अलावा आप ये भी पूछ लें कि सर्जरी से कितने घंटे पहले से खाना पीना बंद करना है। परिवार के लोगों को भी आप डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में बता दें। ज्यादातर मामलों में सर्जरी कराने से छह घंटे पहले से कुछ भी नहीं खाना होता है। ऐसे में डॉक्टर द्वारा बताए गए तरल पदार्थ या ड्रिंक्स ही लें।
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टॉन्सिल का ऑपरेशन जनरल एनेस्थेटिक और सर्जन करते हैं। इस सर्जरी को करने में लगभग 30 मिनट लगते हैं। सर्जन ऑपरेशन से पहले आपको बेहोश करेंगे। फिर आपके मुंह के अंदर से टॉन्सिल को काट कर अलग कर देंगे। इसके अलावा रेडियो-फ्रिक्वेंसी एनर्जी से टॉन्सिल को गलाया भी जा सकता है। इसके बाद डॉक्टर द्वारा टॉन्सिल के स्थान पर ताप (Heat) दे कर उस स्थान को सील किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर अन्य स्थानों से होने वाली ब्लीडिंग को बंद करते हैं। इस तरह से टॉन्सिलेक्टमी की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
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उम्मीद है आपको टॉन्सिलेक्टमी सर्जरी के बारे में जरूरी जानकारी मिल गई होंगी। इस आर्टिकल में हमने आपको इस सर्जरी से जुड़ी जरूरी जानकारियां देने की कोशिश की हैं। आशा करते हैं कि ये जानकारियां आपके काम आएंगी। हम आपको और भी सवालों के जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
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