परिभाषा
इलेक्ट्रिक शॉक यानी बिजली का झटका लगने की वजह से मौत या गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति को इलेक्ट्रोक्यूशन (electrocution) कहा जाता है। बिजली का झटका कम पावर का हो तो इससे ज्यादा नुसकान नहीं होता, लेकिन ज्यादा पावर वाला इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर इंसान की मृत्यु या शरीर को गंभीर क्षति पहुंचती है।
इलेक्ट्रिक शॉक (electric shock) है?
बिजली के वायर, घर में इस्तेमाल होने वाले उपकरण, किसी मशीन, बिजली कड़कने के कारण जब शरीर में इलेक्ट्रिसिटी प्रवेश करती हैं, तो इसे इलेक्ट्रिक शॉक कहते हैं। इलेक्ट्रिक शॉक कितना गंभीर है यह इस बात पर निर्भर करता है शॉक किस तरह का और कितने वॉलटेज का है। इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से शरीर जल भी सकता है या शरीर पर परमानेंट निशान छोड़ देता है। जब इलेक्ट्रिक करेंट शरीर से पास होता है तो आंतरिक क्षति भी पहुंचा सकता है जैसे कार्डिएक अरेस्ट या दूसरी इंजरी। कुछ मामलों में हाई वॉलटेज इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। शरीर में करेंट पास होने की वजह से मौत या गंभीर नुकसान होने को इलेक्ट्रोक्यूशन कहा जाता है।
इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर चाहे गंभीर हो या मामूली आपको डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। गंभीर इलेक्ट्रिक शॉक की स्थिति में तुरंत उपचार की जरूरत होती है।
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कारण/लक्षण (Causes & Symptoms)
इलेक्ट्रिक शॉक के कारण (Causes of electric shock)
इलेक्ट्रिक शॉक बिजली के किसी खुले तार के संपर्क में आने से, फैक्ट्री में बिजली के उपकरण के इस्तेमाल के दौरान, घर के इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के उपयोग के दौरान लग सकता है। इसलिए बिजली से चलने वाले किसी भी उपकरण का इस्तेमाल बहुत ही सावधानी से करें और कभी भी खुले तार को नंगे हाथों से न छूएं।
इलेक्ट्रिक शॉक के लक्षण (Symptoms of electric shock)
इलेक्ट्रिक शॉक के लक्षण उसकी गंभीरता पर निर्भर करते हैं। इलेक्ट्रिक शॉक के संभावित लक्षणों में शामिल हैः
- सांस लेने में परेशानी (Breathing Problem)
- सिरदर्द (Headache)
- सुनने और देखने में परेशानी (hearing Problem)
- जलना (Burn)
- दौरे आना (Epilepsy)
- असामान्य हार्टबीट (Irregular heartbeat)
- मांसपेशियों की ऐंठन ( Muscle spasms)
- सुन होना या झुनझुनी आना (Tingling)
इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से कंपार्टमेंट सिंड्रोम की भी समस्या हो सकी है। ऐसा तब होता है जब मांसपेशियों को हुई क्षति के कारण लिंब में सूजन हो जाए। हालांकि कंपार्टमेंट सिंड्रोम के लक्षण इलेक्ट्रिक शॉक के तुरंत बाद नजर नहीं आते हैं, इसलिए शॉक लगने के बाद अपने बांह और पैरों पर नजर रखें।
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प्राथमिक उपचार (First Aid)
इलेक्ट्रिक शॉक के लिए प्राथमिक उपचार (First Aid for Electric Shock)क्या है?
यदि आपको घर के बिजली के उपकरण जैसे मिक्सर, ओवन आदि ये किसी तरह का मामूली इलेक्ट्रिक शॉक लगता है तो इलाज की जरूरत नहीं है, लेकिन इलेक्ट्रोक्यूशन यानी हाई वॉलटेज इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से गंभीर रूप से घायल होने पर तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
यदि आपके आपसाप किसी को हाय वॉलटेज इलेक्ट्रिक शॉक लगता है तो तुरंत अस्पताल के इमरजेंसी नंबर पर संपर्क करें। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल और प्रिवेंशन के मुताबिक, किसी को गंभीर इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर उसकी मदद के दौरान आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिएः
- घायल व्यक्ति व्यक्ति को छुए नहीं, क्योंकि वह इलेक्ट्रिकल करेंट के संपर्क में हो सकता है।
- यदि हॉय वॉलटेज तार या उपकरण से करेंट लगा है तो अस्पताल के आपात नंबर पर फोन करें।
- इलेक्ट्रिक शॉक यदि किसी ऐसे स्रोत से लगा है जिसका स्विच बंद करना सुरक्षित तो आप तुरंत स्विच ऑफ कर दें, यदि ऐसा नहीं है तो किसी लकड़ी, कार्डबोर्ड या प्लास्टिक की मदद से शॉक के स्रोत को पीड़ित व्यक्ति से अलग करें।
- एक बार स्रोत अलग करने पर पीड़ित व्यक्ति की नाड़ी चेक करें कि वह सांस ले रहा है या नहीं। यदि सांस धीमी गति से चल रही है तो उसे तुरंत CPR (मुंह से सांस देना) देने की जरूरत है।
- यदि पीड़ित व्यक्ति बेहोश है और शरीर पीला पड़ गया है तो उसे सीधा लिटाकर सिर को शरीर से नीचे की तरफ रखें और पैर को ऊपर उठाएं।
- पीड़ित के जले हुए कपड़े या जले हुए स्थान को छुए नहीं।
क्या इलेक्ट्रिक शॉक का असर लंबे समय तक रहता है?
कुछ इलेक्ट्रिक शॉक का आपकी सेहत पर लंबे समय तक असर रहता है, जैसे गंभीर रूप से जलने पर शरीर पर स्थायी निशान हो जाता है। यदि इलेक्ट्रिक शॉक आपकी आंखों से होकर गुजरता है, तो आपको मोतियाबिंद हो सकता है। कछु इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से दर्द, झुनझुनी, अंग सुन्न होने या मांसपेशियों की कमजोरी हो सकती है।
यदि बच्चे ने बिजली का तार चबा लिया है, तो घाव की पपड़ी सूखकर गिरने के बाद भी रक्तस्राव हो सकता है।
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निदान
इलेक्ट्रिक शॉक का निदान (Electric shock diagnosis) क्या है?
इमरजेंसी डिपार्टमेंट में पेशेंट को लाने के बाद डॉक्टर उसका शारीरिक परीक्षण करता है। बाहरी घाव या चोट तो नजर आ सकती है, लेकिन इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से यदि किसी तरह की आंतरिक क्षति हुई है तो उसका पता लगाने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करता है। जिसमें शामिल हैः
- हृदय की स्थिति की जांच के लिए (ECG)
- कंप्लीट ब्लड काउंट (Compete Blood Count)
- ब्लड या यूरीन टेस्ट (Urine Test) या दोनों। यह मसल्स एंजाइम्स की जांच के लिए किया जाता है।
- किसी तरह के फ्रैक्चर या अंगों के अपने स्थान से खिसकने की जांच के लिए एक्स-रे किया जाता है। ऐसा इलेक्ट्रोक्यूशन की स्थिति में हो सकता है
- सीटी स्कैन (CT scan)
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उपचार
इलेक्ट्रिक शॉक का उपचार (Electric Shock Treatment) क्या है?
इलेक्ट्रिक शॉक (Eectric Shock) की घर पर देखभाल
छोटे-मोटे शॉक जिससे किसी तरह की चोट नहीं लगती, त्वचा चलती नहीं या कोई आंतरिक क्षति नहीं होती है, तो उपचार की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि हाई वोलटेज शॉक की स्थिति में तुरंत अस्पताल के इमरजेंसी नंबर पर फोन करने की जरूरत है।
मेडिकल ट्रीटमेंट (Medical Treatment)
इलेक्ट्रिक शॉक का इलाज उसकी गंभरीता, इलेक्ट्रिक शॉक किस चीज से लगा है और चोट कितनी गहरी है आदि बातों पर निर्भर करता है।
- इलेक्ट्रिक शॉक (Electric Shock) से यदि त्वचा जल गई है तो जलने की गंभीरता के हिसाब से इलाज होता है
- त्वचा यदि कम जली है तो टॉपिकल एंटीबायोटिक क्रीम (Antibiotic cream) या ड्रेसिंग ही काफी है इलाज के लिए।
- यदि त्वचा गंभीर रूप से जली है तो सर्जरी की जरूरत होती है, कई बार स्किन ग्राफ्टिंग भी की जाती है।
- बांह, पैर और हाथ यदि गंभीर रूप से जल गया है तो क्षतिग्रस्त मसल्स को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है।
- इलेक्ट्रिक शॉक की वजह से यदि आई इंजरी हुई है तो जांच के बाद आई स्पेशलिस्ट इसका उपचार करता है।
- यदि हड्डियां टूट गई हैं तो स्पिलिंटिंग, कास्टिंग या सर्जरी के जरिए उन्हें ठीक किया जाता है।
- आंतरिक चोट के लिए ऑब्जर्वेशन या सर्जरी की जा सकती है।
इलेक्ट्रिक शॉक से बचने के लिए बिजली के उपकरणों का इस्तेमाल सावधानी से करें और बिजली के तार के सीधे संपर्क में आने से बचें। बच्चों को बिजली के उपकरण और तार से दूर ही रखें।क्
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