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अगर व्यक्ति सदमे में है तो डॉक्टर पूरी जांच करने के बाद व्यक्ति को डिस्चार्ज कर देता है। कई बार गंभीर समस्या न होने पर भी लोग सदमे में आ जाते हैं। शरीर की आंतरिक जांच होना बहुत जरूरी होता है। अगर गंभीर झटके लगे हैं तो डॉक्टर हार्ट से जुड़ी जांच भी करता है। साथ ही अन्य इंजरी को भी मॉनीटर कर सकता है।
इलेक्ट्रिक शॉक का लॉन्ग टर्म इफेक्ट रहता है?
कुछ इलेक्ट्रिक शॉक शरीर में स्थायी प्रभाव डाल सकते हैं। कई बार इलेक्ट्रिक शॉक लगने से परमानेंट निशान बन जाते हैं। अगर इलेक्ट्रिक करेंट आंखों से होकर गुजरता है तो मोतियाबिंद का खतरा भी रहता है। इलेक्ट्रिक शॉक के कारण दर्द की समस्या, झुनझुनापन महसूस होना और मांसपेशियों में कमजोरी महसूस हो सकती है। इलेक्ट्रिक शॉक का तेज झटका जान भी ले सकता है। अगर इलेक्ट्रिक शॉक से बचना है तो इसकी शुरुआत घर से करें। घर में सभी खुले वायर को बंद करें। बच्चों को खुले वायर की पहुंच से दूर रखें। जब भी इलेक्ट्रिक पॉइंट को टच करें, चप्पल पहन कर रखें। साथ ही गीले हाथों से कभी भी इलेक्ट्रिक उपकरण छूने की भूल न करें।
कुछ सावधानियां रखकर इलेक्ट्रिक शॉक से बचा जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को इलेक्ट्रिक शॉक लग जाता है तो पहले प्राथमिक उपचार अपनाएं। साथ ही डॉक्टर से भी परामर्श करें।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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