तंबाकू प्रोडक्ट्स (Tobacco Products) को माना जाता है सेफ
महिलाओं में तंबाकू का सेवन (Tobacco consumption in women) बढ़ने का दूसरा कारण ये है कि स्मोकलेस प्रोडक्ट्स का सेफ समझा जाता है। साथ ही इनका उपयोग ऐसी जगहों पर भी आसानी से किया जा सकता है जहां स्मोकिंग करना मना होती है। महिलाओं के बीच में स्नस (Snus) नाम का फ्लेवर्ड तंबाकू पाउच बेहद लोकप्रिय है जिसे गाल और मसूड़ों के बीच रखना होता है और इसे थूंकने की जरूरत भी नहीं होती है। वहीं कई ऐसे तंबाकू प्रोडक्ट्स भी हैं जो जीभ पर रखने से ही घुल जाते हैं। वहीं महिलाओं के बीच हुक्का भी काफी लोकप्रिय होता है। हुक्का का उपयोग करते समय गहरी सांस लेनी होती है और धूम्रपान सत्र एक सामान्य सिगरेट की तुलना में अधिक लंबा होता है। जिसके परिणामस्वरूप सिगरेट पीने की तुलना में हुक्का में धूम्रपान के बाद टॉक्सिक पदार्थों की उच्च सांद्रता होती है। एफडीए अब तंबाकू प्रोडक्ट्स के डिसक्लोजर देने की सिफारिश कर रहा है। अभी तंबाकू कंपनीज को तंबाकू प्रोडक्ट्स के एडिक्टिव कंटेंट के बारे में बताने की जरूरत नहीं है। निकोटिन के एब्जॉर्बशन को बढ़ाने के लिए तंबाकू में एल्कॉइड (Alkaloids) मिलाए जाते हैं। जिससे इनकी आदत पड़ जाती है। अगर एफडीए (FDA) इस दिशा में काम करता है, तो लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि वे वे जिस तंबाकू प्रोडक्ट का यूज कर रहे हैं, उसमें क्या मिला हुआ है।
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महिलाओं में तंबाकू प्रोडक्ट्स का सेवन इसलिए भी है खतरनाक (Tobacco consumption in women)
स्टडीज में इस बात का खुलासा किया गया है कि महिलाओं को पुरुषों की तलुना निकोटीन की लत बेहद आसानी से लग जाती है। साथ ही उनके लिए इसे छोड़ना पुरुषों की तुलना में बेहद मुश्किल होता है। जिसका कारण हैं: सोशल सपोर्ट की कमी, वजन बढ़ने का डर और तंबाकू प्रोडक्ट्स को सेवन डिप्रेशन (Depression) को कम करने में मददगार होता है ऐसा मानना।

महिलाओं में तंबाकू का सेवन और उनकी हेल्थ पर इसका असर (Tobacco Use and Women’s Health)
महिलाओं में तंबाकू का सेवन (Tobacco consumption in women) उतना ही हानिकारक है जितना की सिगरेट का सेवन है। तंबाकू प्रोडक्ट्स का उपयोग करने वाली महिलाओं में लंग कैंसर का रिस्क पुरुषों की तुलना में दस गुना ज्यादा बढ़ जाता है। आजकल कई महिलाओं की मौत लंग कैंसर (Lung cancer) और ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) से हो रही है। तंबाकू प्रोडक्ट्स का सेवन करने से महिलाओं में निम्न बीमारियां होती हैं।
रेस्पिरेटरी डिजीज (Respiratory disease)
क्रोनिक ऑब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic obstructive pulmonary disease,), क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (Chronic bronchitis) और दूसरी कंडिशन्स जो एयरवेज को डैमेज कर सकती हैं, इनका खतरा तंबाकू प्रोडक्ट्स के सेवन से बढ़ जाता है। सांस लेने में तकलीफ की समस्या लोगों के बीच समय के साथ बढ़ती जाती है। सीओपीडी के ज्यादातर मामले स्मोकिंग और तंबाकू पदार्थ के सेवन के चलते ही सामने आते हैं। निश्चित एज ग्रुप की महिलाएं जो स्मोकिंग नहीं करती उनकी तुलना में जो स्मोकिंग करती हैं उनमें क्रोनिक ऑब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज के डेवलप होने का खतरा 38 टाइम बढ़ जाता है।
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कॉर्डियोवैस्क्युलर डिजीज (Cardiovascular disease)
महिलाओं में तंबाकू का सेवन करने से हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेशन के अनुसार तंबाकू प्रोडक्ट्स का उपयोग कॉर्डियोवैस्क्युलर डिजीज (Cardiovascular disease) के धीरे-धीरे डेवलप होने का कारण बनता है। 35 साल की महिलाएं जो स्मोकिंग करती हैं उनमें कोरोनरी हार्ट डिजीज से मरने का खतरा पुरुषों से अधिक होता है। उनमें एब्डोमिनल एओटिक एन्यूरिज्म (Abdominal aortic aneurysm) के चलते मौत की संभावना भी अधिक होती है।
तंबाकू प्रोडक्ट्स का उपयोग और प्रेग्नेंसी (Tobacco Products Use and Pregnancy)
प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग और तंबाकू प्रोडक्ट्स का यूज प्रीमैच्योर बर्थ, लो बर्थ वेट (Low birth weight) और कुछ प्रकार के बर्थ डिफेक्ट्स (Birth defects) का कारण बन सकता है। इसके साथ ही इससे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic pregnancy) का खतरा बढ़ जाता है। जिसमें फर्टिलाइज्ड एग यूटेरस की जगह किसी अन्य जगह इम्प्लांट हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग प्लासेंटा को प्रभावित कर सकती है। इसके साथ ही यह प्लासेंटा प्रीविया और इनफर्टिलिटी का कारण भी बन सकती है। मेनोपॉज के बाद जो महिलाएं स्मोक करती हैं उनमें लोअर बोन डेंसिटी के साथ ही ऑस्टियोपरोसिस और हिप फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
कई प्रकार के कैंसर का खतरा (Cancer Risk)
स्मोकिंग और तंबाकू प्रोडक्ट्स का उपयोग करने वाली महिलाओं में लंग के साथ ही मुंह, गले, पेंक्रियाज, किडनी, सर्विक्स के कैंसर का खतरा बढ़ने के साथ ही ल्यूकेमिया (Leukemia) और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं में कम लेवल पर स्मोकिंग करने पर भी लंग कैंसर का डेवलप होने का खतरा पुरुषों की तुलना में अधिक बढ़ जाता है।
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क्या खाना पकाने के दौरान होना वाला धुंआ भी महिलाओं के लिए हानिकारक होता है?
भारतीय जनगणना के अनुसार, 2001 में, भारत के सभी घरों में 70 प्रतिशत से अधिक और देश के गरीब, ग्रामीण क्षेत्रों के 70 प्रतिशत घरों में पारंपरिक ठोस ईंधन का उपयोग किया गया था। ठोस ईंधन जलाने से जहरीले प्रदूषकों का उच्च स्तर होता है, जो फेफड़ों के कैंसर और हृदय और श्वसन रोग के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। टेस्ट में पाया गया कि प्राथमिक रूप से कुकिंग करने वाले लोगों के लंग्स में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर 7.77ppm था। वहीं बच्चों में 6.48ppm था, जो कि एक दिन में सात सिगरेट पीने के बाद होता है। इस तरह आप समझ सकते हैं कि महिलाओं के लिए चूल्हे का उपयोग करने पर होने वाला धुआं और कुकिंग के दौरान होने वाला धुआं कितना हानिकारक है। क्योंकि ज्यादातर घरों में खाना बनाने की जिम्मेदारी महिलाओं की ही होती है।
उम्मीद है कि आपको इस आर्टिकल के जरिए महिलाओं में तंबाकू का सेवन (Tobacco consumption in women) क्यों बढ़ रहा है इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।