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Shock : शॉक लगना (सदमा) क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/05/2020

Shock : शॉक लगना (सदमा) क्या है?

परिचय

शॉक लगना (Shock) क्या है?

शॉक लगना (Shock) या सदमा लगना एक शारीरिक और मानसिक स्थिति होती है। इसके कारण पूरे शरीर में रक्त प्रवाह धीमी हो जाती है, जो जीवन के लिए जोखिम भरा हो सकता है। शॉक अक्सर किसी गंभीर चोट या बीमारी के कारण हो सकता है। मेडिकल शॉक एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसके होने पर शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिसके कारण शरीर के टिश्यू (हाइपोक्सिया), हार्ट अटैक (कार्डिएक अरेस्ट) या ऑर्गन डैमेज होने के खतरे बढ़ सकते हैं। इसकी स्थिति होने पर तत्काल प्रभाव से इसका उपचार कराना चाहिए।

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मेडिकल शॉक लगना भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक सदमे से अलग होता है जो एक दर्दनाक या भयावह भावनात्मक घटना के बाद हो सकता है।

शॉक या सदमा 5 प्रकार के हो सकते हैंः

  • सेप्टिक शॉक: सेप्टिक शॉक खून में बैक्टीरिया के फैलाने और विषाक्त पदार्थों के कारण होता है। इसके सामान्य कारण हैं निमोनिया, मूत्र पथ में संक्रमण, त्वचा संक्रमण (सेल्युलाइटिस), टूटी हुई अपेंडिक्स और मेनिन्जाइटिस।
  • एनाफिलेक्टिक शॉकः एनाफिलेक्टिक शॉक एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है जो जल्दी से विकसित होती है और प्रभावित व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकती है। यह अक्सर भोजन, कीड़े के काटने, या कुछ दवाओं के लिए एलर्जी के कारण होता है।
  • कार्डियोजेनिक शॉकः यह तब होता है जब दिल में कोई खराबी या कमी हो जाती है और शरीर को पर्याप्त रक्त की आपूर्ति करने में असमर्थ हो जाता है। यह दिल के दौरे या दिल से संबंधित विकारों के कारण हो सकता है।
  • हाइपोवॉल्मिक शॉकः हाइपोवॉल्मिक शॉक बहुत ज्यादा खून और तरल पदार्थों की कमी के कारण होता है। जब अंगों और ऊतकों तक रक्त और ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं जा पाती है तो इसकी समस्या हो सकती है। इसकी वजह से रक्तचाप बहुत कम हो जाता है और यह जानलेवा हो सकता है। इसके मुख्य कारण दर्दनाक शारीरिक चोट, जो दिल को शरीर में पर्याप्त रक्त पहुंचाने में बाधा बन रहा हो या एनीमिया
  • न्यूरोजेनिक शॉकः न्यूरोजेनिक शॉक आमतौर पर रीढ़ की हड्डी की चोट के बाद दिखाई देती है जो जीवन को खतरे में डाल सकती है।

कितना सामान्य है शॉक लगना या सदमा लगना?

शॉक लगना या सदमे की समस्या बहुत ही सामान्य देखी जा सकती है। इसका खतरा किसी भी उम्र के व्यक्ति में देखा जा सकता है। यह बच्चों के साथ-साथ बूढ़े लोगों के साथ भी हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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लक्षण

शॉक लगने के लक्षण क्या हैं?

शॉक लगने के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।

मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।

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कारण

शॉक लगने के क्या कारण हैं?

जब हमारे शरीर के सभी अंगों और उत्तकों तक उचित मात्रा में खून का प्रवाह नहीं होता जिसके कारण उनके काम करने की प्रक्रिया में बाधा होती है, तो शॉक की समस्या हो सकती है।

यहां पर शॉक लगने के लिए कुछ कारण हैंः

  • दिल की स्थितियां (हार्ट अटैक, दिल का काम ना करना)
  • किसी गंभीर चोट के लगने या खून की नसों के टूटने के कारण आंतरिक या बाहरी तौर पर बहुत ज्यादा खून बहना
  • शरीर में पानी की कमी होना, खासतौर पर जब आपको दिल से जुड़ी कोई बीमारी हो तब
  • इंफेक्शन (सेप्टिक शॉक)
  • गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया (एनाफिलेक्टिक शॉक)
  • स्पाइनल इंजरी (न्यूरोजेनिक शॉक)
  • बर्न्स
  • लगातार उल्टी या दस्त होना
  • जोखिम

    कौन सी स्थितियां शॉक लगने के जोखिम को बढ़ा सकती हैं?

    प्रत्येक प्रकार के झटके के लिए जोखिम के कारण अलग-अलग होते हैं।

    सेप्टिक शॉक के जोखिम के कारण:

    बढ़ती उम्र या कोई ऐसी बीमारी जिसका इलाज आप लंबे समय से करा रहें हैं ये आपके सेप्टिक शॉक के जोखिमों को बढ़ा सकती है। यह स्थिति नवजात शिशुओं, वृद्ध वयस्कों, गर्भवती महिलाओं और एचआईवी, गठिया रोगों से पीड़ित है उनमें इसका खतरा अधिक रहता है।

    निम्नलिखित कारक भी सेप्टिक शॉक की अधिक संभावना को बढ़ा सकते हैंः

    • कोई बड़ी सर्जरी या लंबी अवधि से अस्पताल में भर्ती
    • मधुमेह टाइप-1 और टाइप-2 इंजेक्शन दवा का उपयोग
    • अस्पताल में भर्ती मरीज जो पहले से ही बहुत बीमार हैं
    • इन्ट्रावेनस कैथेटर, मूत्र कैथेटर या सांस नलियों जैसे उपकरणों का लंबे समय तक इस्तेमाल करना, जो शरीर में बैक्टीरिया

      उत्पन्न कर सकते हैं।

    • खराब पोषण  

    एनाफिलेक्टिक शॉक के जोखिम के कारण:

    एनाफिलेक्टिक शॉक के लिए कोई ज्ञात जोखिम कारक नहीं हैं, लेकिन कुछ चीजें आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं उनमें शामिल हैं:

    • एनाफिलेक्टिक शॉक का इतिहासः अगर आपको पहले भी कभी एनाफिलेक्टिक शॉक की समस्या थी, तो दोबारा से आपको इसका खतरा हो सकता है। यह पहली बार की तुलना में अधिक गंभीर भी हो सकता है।
    • एलर्जी या अस्थमाः जिन लोगों को एलर्जी या अस्थमा की समस्या हैं उन्हें भी एनाफिलेक्टिक शॉक का खतरा अधिर रहता है।
    • कुछ अन्य स्थितियांः जैसे, हृदय रोग और सफेद रक्त कोशिका (मास्टोसाइटोसिस)।

    कार्डियोजेनिक शॉक के जोखिम के कारणः

    अगर आपको हार्ट अटैक की समस्या है, तो इन स्थितियों में कार्डियोजेनिक शॉक के जोखिम की संभावना भी अधिक हो सकती हैः

    • बढ़ती उम्र
    • हार्ट अटैक या हार्ट फेल्यर का इतिहास
    • दिल की कई मुख्य धमनियों में ब्लॉकेज (कोरोनरी धमनी की बीमारी)
    • डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर

    हाइपोवॉल्मिक शॉक के जोखिम के कारणः

    इस प्रकार का सदमा किसी बीमारी या चोट के कारण होता है, इसलिए इसके जोखिम वाले कारकों को निर्धारित करना मुश्किल होता है। हाइपोवॉल्मिक शॉक के कुछ मामलों में शरीर में पानी की एक बड़ा कारण हो सकता है। अगर आपको उल्टी या दस्त है, तो लगातार पानी पीते रहें।

    न्यूरोजेनिक शॉक के जोखिम के कारणः

    रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण न्यूरोजेनिक शॉक के जोखिम बढ़ सकते हैंः

    अधिकतर मामलों में रीढ़ की हड्डी में चोट किसी एक्सीडेंट या घटना के कारण ही लगती है और किसी को भी हो सकती है। कुछ कारक आपको रीढ़ की हड्डी की चोट को बनाए रखने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जैसेः

    • पुरुष होनाः रीढ़ की हड्डी की चोट पुरुषों की अनुपातहीन मात्रा को प्रभावित करती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 20 प्रतिशत महिलाएं रीढ़ की हड्डी में चोट लगने या दर्द की समस्या का सामना करती हैं।
    • 16 और 30 की उम्र में होनाः अगर आप 16 और 30 साल के बीच की उम्र में हैं, तो आपको रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं अधिक हो सकती हैं।
    • 65 साल की उम्र से अधिकः बढ़ती उम्र के कारण भी रीढ़ की हड्डी की समस्याएं बढ़ सकती हैं।
    • हड्डी या घुटनों में विकारः अगर आपको हड्डियों या जोड़ों की बीमारी है जैसे गठिया या ऑस्टियोपोरोसिस है तो ये भी रीढ़ की हड्डी के चोट का कारण बन सकती हैं।

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    उपचार

    यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

    शॉक का निदान कैसे किया जाता है?

    सबसे पहले आपके शरीर के बाहरी लक्षणों को देखते हुए डॉक्टर आपका उपचार कर सकते हैं। जिसके बाद वो कुछ चेकअप भी कर सकते हैं, जैसेः

    एक बार जब डॉक्टर सदमे का निदान कर लेते हैं, तो वो आपके शरीर में रक्त संचार को जल्दी से जल्दी बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए आपको तरल पदार्थ, दवाओं और शरीर में खून बढ़ाने के उत्पादों की खुराक निर्देशित कर सकते हैं। जब तक वे इसके लक्षणों का पता नहीं लगाएंगे तब तक इसका उपचार शुरू नहीं किया जा सकेगा।

    जब आपकी स्थिति सामान्य हो जाएगी, तो डॉक्टर आपके सदमे के कारणों का निदान करेंगे। ऐसा करने के लिए, वे एक या कई जरूरी इमेंजिंग या ब्लड टेस्ट कर सकते हैं।

    इमेंजिंग टेस्ट

    शरीर के अंदरूनी हिस्सों में चोट या आई खराबी का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपका इमेजिंग टेस्ट करेंगे, जैसेः

    इसके लिए जरूरी टेस्ट हैंः

    ब्लड टेस्ट

    आपका डॉक्टर इन लक्षणों का पता लगाने के लिए आपका ब्लड टेस्ट कर सकते हैंः

    शॉक का इलाज कैसे होता है?

    सदमे के कारण बेहोशी, सांस लेने में तकलीफ और यहां तक कि कार्डियक अरेस्ट तक का खतरा हो सकता है। अगर आपको

    ऐसे कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। अगर आपको संदेह है कि कोई अन्य व्यक्ति सदमे में चला गया है, तो 911 पर कॉल करें और सहायता आने तक प्राथमिक उपचार करें।

    प्राथमिक उपचार

    अगर आपको लगता है कि कोई सदमे में चला गया है, सबसे पहले डॉक्टर को कॉल करके उपचार के लिए सहायता बुलाएं। उसके बाद इन बातों का ध्यान रखेंः

    अगर वे बेहोश हैं:

    • जांचें कि क्या वे अभी भी सांस ले रहे हैं और दिल की धड़कन चल रही है।
    • अगर आप सांस या दिल की धड़कन का पता नहीं लगा पाते हैं, तो सीपीआर दें।

    अगर वे सांस ले रहे हैं, तो:

  • उन्हें उनके पीठ के बल पर लेटाएं
  • फिर उनके पैर जमीन से कम से कम 12 इंच ऊपर उठें। ऐसा करने से उनके शरीर में खून का प्रवाह बढ़ जाएगा।
  • उन्हें गर्म रखने के लिए एक कंबल या कपड़ों के कवर करें।
  • उनकी सांस और दिल की धड़कन की जांच करते रहें।
  • अगर आपको संदेह है कि उनके सिर, गर्दन या पीठ पर चोट लगी है तो उन्हें उनके ही स्थान पर लेटे रहने दें।
  • अगर कोई दिखाई दे उसका प्राथमिक उपचार करें। अगर आपको संदेह है कि वे उन्हें एलर्जी है, तो उनसे पूछें कि क्या उनके पास एपिनेफ्रीन ऑटो-इंजेक्टर (एपिपेन) है। गंभीर एलर्जी वाले लोग अक्सर इस उपकरण अपने साथ रखते हैं।
  • इसमें एपिनेफ्रीन नामक हार्मोन की खुराक के साथ आसानी-से-इंजेक्ट की जाने वाली सुई होती है। इसका उपयोग आप एनाफिलेक्टिक के इलाज के लिए कर सकते हैं।
  • अगर वे उल्टी करना शुरू करते हैं, तो उनके सिर को बगल में घुमाएं। इससे उनका दम नहीं घुटेगा। अगर आपको संदेह है कि उनके गर्दन या पीठ पर चोट लगी है, तो उनका सिर न घुमाएं। इसके बजाय, उनकी गर्दन को स्थिर करें और उल्टी को बाहर निकालने के लिए उनके पूरे शरीर को साइड में रोल करें।
  • मेडिकल केयर

    अलग-अलग तरह के झटकों का अलग-अलग तरीके से इलाज किया जाता है।

    • एपिनेफ्रीन और अन्य दवाएं एनाफिलेक्टिक सदमे के इलाज के लिए इस्तेमाल करेंगे।
    • हाइपोवॉल्मिक की स्थिति में खून चढ़ाएंगे।
    • कार्डियोजेनिक सदमे का इलाज करने के लिए दवाएं, दिल से जुड़े उपचार शुरू करेंगे।
    • सेप्टिक सदमे का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करेंगे।

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    घरेलू उपाय

    जीवनशैली में होने वाले, जो मुझे शॉक की स्थिति को रोकने में मदद कर सकते हैं?

    लाइफ स्टाइल में बदलाव और घरेलू उपाय अपना कर सदमे के कुछ रूप और मामले रोके जा सकते हैं। उदाहरण के लिए:

    • यदि आपको गंभीर एलर्जी का पता चला है, तो उसे बढ़ाने वाले कारकों से अपना बचाव करें। एपिनेफ्रिन ऑटो-इंजेक्टर का इस्तेमाल करें।
    • खेल या किसी भी जोखिम भरे काम को करने से पहले सुरक्षात्मक गियर पहनें।
    • दिल को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार खाएं
    • नियमित रूप से व्यायाम करें।
    • धूम्रपान और धुएं से बचें।
    • पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीने से हाइड्रेटेड बने रहेंगे

    अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/05/2020

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