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दूध की बोतल भी बच्चे के दांत कर सकते हैं खराब, सीखें दांतों की देखभाल करना

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/01/2020

    दूध की बोतल भी बच्चे के दांत कर सकते हैं खराब, सीखें दांतों की देखभाल करना

    ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज की 2016 की स्टडी के अनुमान है कि दुनियाभर में कम से कम 3.58 बिलियन लोग ओरल डिजीज से प्रभावित हैं। जिनमें 486 मिलियन बच्चे दूध के दांतों (milk teeth) में सड़न की समस्या से पीड़ित हैं। “हैलो स्वास्थ्य’ से बातचीत के दौरान डेंटल सर्जन डॉक्टर आशीष खरे (आकृति डेंटल क्लिनिक, लखनऊ) ने बताया कि “बच्चों में दांतों से जुड़ी समस्या जैसे दांतों का पीलापन, कैविटी, दांतों में सड़न आदि के लिए सिर्फ कैंडीज ही जिम्मेदार नहीं होती हैं। दरअसल, अंगूठा चूसने, जीभ को बार-बार दबाने, होठों को चूसने और दूध की बोतल की वजह से भी आपके बच्चे की ओरल हेल्थ बिगड़ सकती है।’ ऐसे में माता-पिता को बच्चे के दांतों की देखभाल करना और ज्यादा जरूरी हो जाता है। जानते हैं, दांतों की देखभाल करना और शिशुओं में होने वाली सबसे सामान्य डेंटल प्रॉब्लम्स

    दूध की बोतल से दांतों की समस्या 

    शिशुओं और बच्चों में होने वाली दांतों की समस्या का सबसे आम कारण दूध की बोतलें हैं। हालांकि, ज्यादातर लोगों का मानना है कि शिशु के दांतों में सड़न मीठे पेय पदार्थ और स्वीट्स की वजह से होती है। लेकिन, यदि स्तनपान करने वाले शिशु दूध की बोतल को मुंह में रखकर ही सो जाते हैं, तो दांतों में सड़न की समस्या हो सकती है। ऐसे में सोते समय बच्चे के मुंह में दूध रहने से मुंह में बैक्टीरिया ज्यादा देर तक बने रहते हैं। नतीजन दांत सड़ जाते हैं। जानिए दांतों की देखभाल करना-

    दांतों की देखभाल करना है, तो करें ये उपाय

    • शिशु को मीठा दूध न दें। इसके बजाय, उन्हें सादा दूध पिलाएं।
    • अपने बच्चे के पैसिफायर को शहद या चीनी जैसी किसी भी चीज में न डुबोएं।
    • जब शिशु सो जाए तो ब्रेस्ट को अपने बच्चे के मुंह से निकाल लें।
    • बच्चे को जरूरत से ज्यादा चीनी न दें।
    • शिशु की फ्लोराइड आवश्यकताओं के लिए बाल रोग विशेषज्ञ से जांच करवाएं।
    • जब शिशु एक वर्ष का हो जाए तो उसे सिप्पर (sipper) से पीने की आदत डलवाएं।

    अंगूठा चूसना (Sucking Thumb)

    बच्चों में अंगूठा चूसने की आदत अक्सर देखी जाती है। छोटी उम्र तक अंगूठा चूसना एक आम बात मानी जाती है लेकिन, पांच साल की उम्र के बाद भी अगर बच्चा अंगूठा चूसे तो यह उसकी डेंटल हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे में दांत संबंधी परेशानियों के साथ ही स्पीच संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।

    उपाय 

    जब तक बच्चे के परमानेंट दांत नहीं आते, तब तक अंगूठा चूसने से बच्चों की ओरल हेल्थ में परेशानी नहीं आती है। लेकिन, माता पिता को समझदारी से बच्चे को अंगूठा छुड़वाने की प्रक्रिया में मदद करनी चाहिए। बच्चे को विनम्रता से यह आदत छोड़ने के लिए कहें। डांटने या गुस्सा करने से बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यदि आपका बच्चा बड़ा है और फिर भी वह अपना अंगूठा चूसता है, तो इसका कारण जानने की कोशिश करें। यह तनाव, चिंता या किसी अन्य वजह से भी हो सकता है।

    यह भी पढ़ें- दांतों की देखभाल कैसे करें?

    टंग थ्रस्टिंग (Tongue Thrusting)

    ऊपरी होठों पर जीभ को आगे पीछे करते हुए भोजन को निगलने की आदत को ‘टंग थ्रस्टिंग’ कहा जाता है। इसका प्रभाव अंगूठे को चूसने के समान है और इससे दांतों के फ्रंट भाग पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे स्पीच संबंधी समस्या भी हो सकती है।

    उपाय 

    इस मामले में स्पीच पैथोलॉजिस्ट से सलाह लेना सबसे अच्छा है। डॉक्टर बच्चे को निगलने की कोई दूसरी तकनीक विकसित करने में मदद कर सकते हैं। 

    यह भी पढ़ें- दांतों के लिए क्यों जरूरी है टीथ स्केलिंग (Teeth Scaling)?

    दांतों का जल्दी टूटना 

    शिशु के दांतों का समय से पहले गिरना, दांतों की सड़न, चोट या जबड़े के लिए पर्याप्त जगह की कमी की वजह से हो सकता है। स्थाई दांतों के आने से पहले ही दांतों का टूटना पास के दांत टिप या शिफ्ट हो सकते हैं। इससे नए परमानेंट दांतों के लिए बहुत कम जगह बचती है और जगह की कमी के कारण परमानेंट दांत टेढ़ा-मेढ़ा हो सकता है। एक टेढ़ा दांत अन्य समस्याओं को बढ़ा देता है। स्पीच संबंधी समस्याओं के अलावा, यह चबाने की समस्या और टेम्पोरोमैंडिबुलर (temporomandibular) जॉइंट इशू का कारण भी बन सकता है। जानिए दांतों की देखभाल करना-

    उपाय 

    बच्चों की दांतों की देखभाल करना आसान नहीं होता। इसके लिए समय-समय पर बच्चे को डेंटिस्ट के पास ले जा सकते हैं ताकि उसके लिए स्पेस मेंटेनर मिल सके; इससे दांतों के जल्दी खराब होने की स्थिति में मदद मिलेगी। स्पेस मेंटेनर प्लास्टिक से बना होता है और यह टूटे हुए दांत की जगह को भर देता है। एक बार जब नया परमानेंट दांत आने लगता है, तो डेंटिस्ट स्पेस मेंटेनर को हटा देता है।

    यह भी पढ़ें- दांतों की सेंसिटिविटी के कारण और उपाय

    दांतों का पीलापन

    दांतों का साफ न होना भी एक सामान्य डेंटल प्रॉब्लम है जो कि अधिकांश बच्चों में पाई जाती है। आपने अपने बच्चों के दांतों की सतह पर पीले, सफेद या भूरे रंग के पैच देखे होंगे। यह मुख्य रूप से सही तरीके से ब्रश न करने की वजह या हर खाना खाने के बाद मुंह को अच्छी तरह से साफ न करने की वजह से हो सकता है। ऐसे में पेरेंट्स सुनिश्चित करें कि अगर बच्चे की दांतों की देखभाल करना है तो उन्हें सही से ब्रश करना सिखाएं। 

    पीले दांतों की देखभाल करना है, तो करें ये उपाय 

    डेंटल हेल्थ की देखभाल के लिए अच्छे ब्रश का उपयोग करें। उसे अपने दांतों पर पीले धब्बे से छुटकारा पाने में मदद करने के लिए नियमित रूप से ब्रशिंग करने के लिए कहें। दिन में दो बार ब्रश करना, एक बार सुबह और फिर रात के खाने के बाद की सलाह दी जाती है।

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    बच्चों को नई चीजें सीखना बहुत पसंद होता है। हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम उन्हें अपने दांत ब्रश करने और अच्छी ओरल हाइजीन बनाए रखने का सही तरीका सिखाएं। अपने बच्चे को डेंटिस्ट के पास नियमित जांच के लिए ले जाना भी आपको दांतों की कई समस्याओं से बचाने में मदद कर सकता है। अच्छी आदतें बच्चों के साथ जीवन भर रहती हैं जो उनकी हेल्थ के लिए लाभदायक होती हैं। इसलिए, बच्चों को दांतों की देखभाल करना सिखाएं।

    दांतों की देखभाल करना है, तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

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    डिस्क्लेमर

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