ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट… ये दोनों कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम के अंतर्गत आता है। ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट, इन दोनों में से किसी एक के भी लेवल का बिगड़ना खतरे की घंटी से कम नहीं! इसलिए आज इस आर्टिकल में ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट (Blood Pressure and Heart Rate) से जुड़ी जानकारी शेयर करेंगे।
- ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में क्या अंतर है?
- क्या हाई ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट रेट बढ़ सकता है?
- ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट नॉर्मल लेवल क्या होना चाहिए?
- क्या ब्लड प्रेशर की दवाओं का हार्ट रेट पर असर पड़ता है?
- कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को हेल्दी बनाये रखने के लिए क्या करें?
चलिए अब रक्तचाप और हृदय गति यानी ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट (Blood Pressure and Heart Rate) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में क्या अंतर है? (Difference between Blood Pressure and Heart Rate)
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लड प्रेशर ब्लड वेसेल्स में मूव होने की प्रक्रिया है। वहीं हार्ट रेट प्रति मिनट दिल के धड़कने की गति है। अब अगर रक्तचाप और हृदय गति (Blood Pressure and Heart Rate) को आसान शब्दों में एवं और बेहतर तरीकों से समझें तो-
ब्लड प्रेशर (Blood Pressure)- 90/60 mmHg से 120/80 mmHg तक नॉर्मल ब्लड प्रेशर माना जाता है। जिन लोगों का ब्लड प्रेशर 90/60 mmHg से 120/80 mmHg के बीच रहता है, तो उनमें हार्ट डिजीज (Heart Disease) और स्ट्रोक (Stroke) का खतरा कम रहता है। ऐसे में हेल्दी लाइफ स्टाइल मेंटेन करने से ब्लड प्रेशर को नॉर्मल बनाये रखने में मदद मिल सकती है।
हार्ट रेट (Heart Rate)- हार्ट रेट यानी दिल के धड़कने की गति एक्टिविटी एवं रिलैक्स पोजीशन में अलग-अलग हो सकती है। इसलिर प्रति मिनट दिल 60 से 100 बार धड़कता है। अगर दिल की धड़कन प्रति मिनट 60 बार से कम या 100 बार से ज्यादा है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्टेशन जरूरी है। हालांकि इस दौरान यह ध्यान रखें कि अगर आप तेजी से चल रहें या एक्सरसाइज कर रहें तो ऐसी स्थिति में हार्ट रेट में बदलाव देखे जा सकते हैं।
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क्या हाई ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट रेट बढ़ सकता है? (High Blood Pressure increases Heart Rate)
रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट (Blood Pressure and Heart Rate) दोनों एक साथ बढ़ें यह कोई जरूरी नहीं है।दरअसल हेल्दी ब्लड वेसेल्स ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मददगार होते हैं। वहीं जब आप एक्सरसाइज (Workout) करते हैं, तो ऐसी स्थिति में हृदय गति बढ़ जाती है, जिससे मसल्स में सामान्य से ज्यादा ब्लड सप्लाई होता है। इस दौरान हार्ट रेट सामान्य से ज्यादा या डबल हो सकते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) सामान्य से थोड़ा ज्यादा मॉनिटर किये जा सकते हैं।
ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट नॉर्मल लेवल क्या होना चाहिए? (About normal Blood Pressure and normal Heart Rate)
नॉर्मल ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट इस प्रकार हैं-
नॉर्मल ब्लड प्रेशर (Normal Blood Pressure)-
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार नॉर्मल ब्लड प्रेशर लेवल इस प्रकार होते हैं। जैसे:
- 1 महीने से 12 महीने के नवजात शिशुओं में नॉर्मल ब्लड प्रेशर 90/60 mmHg.
- 1 साल से 5 साल के बच्चों का नॉर्मल ब्लड प्रेशर 95/65 mmHg.
- 6 साल से 13 साल के बच्चों का नॉर्मल ब्लड प्रेशर 105/70 mmHg.
- 14 साल से 19 साल के लोगों में नॉर्मल ब्लड प्रेशर 117/77 mmHg.
- 20 साल से 24 साल के युवकों में नॉर्मल ब्लड प्रेशर 120/79 mmHg.
- 25 साल से 29 साल के लोगों में नॉर्मल ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg.
- 30 साल से ज्यादा उम्र लोगों में नॉर्मल ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg.
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हार्ट रेट (Heart Rate)-
यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमन सर्विसेस ( U.S. Department of Health and Human Services) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार दिल की धड़कन उम्र के अनुसार अलग-अलग होती है। जैसे:
- न्यू बोर्न बेबी से 1 महीने तक के नवजात शिशुओं में 70 से 190 बीट्स प्रति मिनट।
- 1 महीने से 11 महीने के नवजात शिशुओं में हार्ट रेट 80 से 160 बीट्स प्रति मिनट।
- 1 साल से 2 साल के बच्चों में हार्ट रेट 80 से 130 बीट्स प्रति मिनट।
- 3 साल से 4 साल के बच्चों में हार्ट रेट 80 से 120 बीट्स प्रति मिनट।
- 4 साल से 5 साल के बच्चों में हार्ट रेट 75 से 115 बीट्स प्रति मिनट।
- 6 से 15 साल के बच्चों में हार्ट रेट 70 से 100 बीट्स प्रति मिनट।
- 18 या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में हार्ट रेट 60 से 100 बीट्स प्रति मिनट।
ये हैं उम्र के अनुसार दिल के धड़कने की गति। अगर दिल के धड़कने की गति इससे कम या इससे ज्यादा होती है, तो इसका शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट: क्या ब्लड प्रेशर की दवाओं का हार्ट रेट पर असर पड़ता है? (Effects of Blood Pressure Medicine on Heart Rate)
हां, ब्लड प्रेशर की दवाओं का हार्ट रेट पर असर पड़ता है। इन दवाओं में शामिल है-
बीटा ब्लॉकर्स दवाएं (Beta-blockers) जैसे-
- मेटोप्रोलोल (Metoprolol)
- कार्वेडिलोल (Carvedilol)
- बायस्टोलिक (Bystolic)
इन दवाओं के साथ-साथ कैल्शियम-चैनल ब्लॉकर्स (Calcium-channel blockers) के सेवन से भी हार्ट रेट पर असर पड़ सकता है। जैसे:
- वेरापामिल (Verapamil)
- डिल्टियाजेम (Diltiazem)
इन दवाओं के सेवन से बढ़े हुए ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) को कम करने में मदद तो मिलती है, लेकिन इससे हार्ट रेट (Heart Rate) भी सामान्य से कम होता है।
रक्तचाप और हृदय गति (Blood Pressure and Heart Rate) दोनों को ही बैलेंस में बनाये रखने के लिए कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को हेल्दी रखने की जरूरत है।
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ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट: कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को हेल्दी बनाये रखने के लिए क्या करें? (Tips for Healthy Cardiovascular Health)
कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को हेल्दी रखने के लिए निम्नलिखित टिप्स को फॉलो करें। जैसे:
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन कम से कम करें या ना करें।
- तंबाकू या सिगरेट (Smoking) जैसी चीजों से दूर बनायें रखें।
- चीनी (Sugar), नमक (Salt) एवं सैचुरेटेड फैट (Saturated fat) का सेवन ना करें।
- जंक फूड (Junk food) या प्रोसेस्ड फूड (Processed food) का सेवन ना करें।
- ताजे फल (Fruits) एवं सब्जियों (Vegetables) का सेवन रोजाना करें।
- नियमित योग (Yoga), एक्सरसाइज (Workout) या वॉक (Walk) करें।
ये टिप्स हेल्दी हार्ट (Healthy heart) के लिए बेहद कारगर माने जाते हैं। इसलिए इन ऊपर बताये टिप्स को हर लोगों को फॉलो करना चाहिए, क्योंकि हेल्दी हार्ट में ही छुपा है हेल्दी लाइफ का राज।
नोट: ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट (Blood Pressure and Heart Rate) दोनों के लेवल में बदलाव का कारण तनाव भी हो सकता है। इसलिए तनाव से दूर रहें। इस बदलती लाइफस्टाइल में टेंशन भी कई शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों को दावत दे सकती है। इसलिए खुश रहें और स्वस्थ्य रहें।
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अगर आप ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट (Blood Pressure and Heart Rate) या कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ से जुड़े सवालों का जवाब तलाश कर रहें थें, तो उम्मीद करते हैं कि ये जानकारी आपके लिए लाभकारी होगी। वैसे अगर आप या आपके कोई भी करीबी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular diseases) से पीड़ित हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्टेशन अत्यधिक जरूरी है। क्योंकि ये बीमारियां गंभीर बीमारियों की लिस्ट में शामिल है। अगर इनका समय पर इलाज ना करवाया जाए तो पेशेंट की स्थिति गंभीर हो सकती है। डॉक्टर के संपर्क में रहने से पेशेंट की हेल्थ कंडिशन (Health Condition) और बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखकर इलाज किया जाता है।
स्वस्थ रहने के लिए अपने डेली रूटीन में एक्सरसाइज या योगासन को शामिल करना चाहिए। नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर योगासन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को समझें।
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