हल्दी एक तरह का मसाला है, जिसका इस्तेमाल लगभग हर घर में किया जाता है। आयुर्वेद से लेकर आधुनिक चिकित्सा पद्धति तक हर जगह हल्दी के फायदों का उल्लेख मिलता है। इसकी जड़ का इस्तेमाल कई तरह की दवाओं में किया जाता है। इसका बोटेनिकल नाम करकुमा लोंगा (Curcuma longa) नाम है, जो कि जिंगीबरेसी (Zingiberaceae) फैमिली से आता है।
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नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार हल्दी में एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीट्यूमर, एंटीसेप्टिक, एंटीवायरल, कार्डियोप्रोटेक्टिव, हेपटोप्रोटेक्टिव और नेफ्रोप्रोटेक्टिव जैसे गुण मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी माने जाते हैं। हल्दी के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इसलिए भी कई लोग हल्दी दूध का सेवन करते हैं।
इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख बीमारियां ये हैं :
जिन लोगों में इन्फ्लामेट्री बाउल डिसीज (Inflammatory bowel disease) की समस्या होती है। उनमें इनिमा के रूप में इसको इस्तेमाल किया जाता है। आपको बता दें कि खाने के अलावा एसेंशियल ऑइल बनाने और खाने पीने की चीजों में रंग डालने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
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यह हर्बल सप्लीमेंट कैसे काम करता है इसके बारे में अभी ज्यादा शोध मौजूद नहीं है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी डॉक्टर या फिर किसी हर्बलिस्ट से सम्पर्क करें। हालांकि इसमें करक्यूमिन (curcumin) नामक केमिकल पाया जाता है, जोकि सूजन को कम करने का काम करता है। इसलिए हल्दी का इस्तेमाल इन्फ्लेमेशन आदि में किया जाता है।
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हल्दी का इस्तेमाल करने से पहले आपको डॉक्टर या फार्मसिस्ट या फिर हर्बलिस्ट से सलाह लेनी चाहिए, यदि
हर्बल सप्लीमेंट के उपयोग से जुड़े नियम दवाओं के नियमों जितने सख्त नहीं होते हैं। इनकी उपयोगिता और सुरक्षा से जुड़े नियमों के लिए अभी और शोध की जरुरत है। इस हर्बल सप्लीमेंट के इस्तेमाल से पहले इसके फायदे और नुकसान की तुलना करना जरुरी है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी हर्बलिस्ट या आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।
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आपको बता दें कि अगर आप हल्दी को आठ महीने तक मुंह द्वारा या फिर त्वचा पर इस्तेमाल करते हैं तो यह बिल्कुल सुरक्षित है। इसके अलावा इसका एनिमा और माउथवाश के रूप में इस्तेमाल भी सुरक्षित माना जाता है।
प्रेग्नेंसी और स्तनपान के दौरान: प्रेग्नेंसी और स्तनपान के दौरान अगर आप खाने में इसका इस्तेमाल कर रही हैं तो यह सुरक्षित है लेकिन अगर आप इसे दवा के रूप में लेते हैं तो यह असुरक्षित है। आपको बता दें कि हल्दी पीरियड के समय को बढ़ा देता है और गर्भाशय को स्टिमुलेट करता है। जिससे प्रेगनेंसी पर खतरा बढ़ सकता है।
इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान आप इसका सेवन दवा के रूप में ना करें। आपको बता दें कि स्तनपान के समय इसके इस्तेमाल को लेकर अभी ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। इसलिए इसका सेवन न करना ही आपके लिए बेहतर होगा।
गालब्लैडर (Gallbladder ) से जुड़ी समस्याओं में: यह आपके गालब्लैडर (Gallbladder) से जुड़ी समस्याओं को और भी खराब कर सकता है। इसलिए अगर आपको पथरी के समस्या हो या फिर बाइल डक्ट ऑब्सट्रकस्न (Bile duct obstruction) की समस्या हो तो आप इसका सेवन ना करें।
ब्लीडिंग प्रॉब्लम (Bleeding problems): यह ब्लड क्लॉटिंग को और कम कर देता है। इसलिए इसके सेवन से ब्लीडिंग और चोट का बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है।
डायबिटीज: जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है अगर वे इसका सेवन करते हैं तो हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) उनके ब्लड शुगर लेवल के कम होने की संभावना को बढ़ा देता है। इसलिए ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज है वो सावधानीपूर्वक इसका सेवन करें।
गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिसीज (Gastroesophageal reflux disease, GERD): कुछ लोगों में हल्दी का सेवन करने से पेट खराब हो सकता है। इसका सेवन (गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिसीज (Gastroesophageal reflux disease, GERD) को और अधिक खराब कर देता है इसलिए इस स्थिति में हल्दी का सेवन न करें।
हॉर्मोन सेंसटिव कंडीशन(Hormone-sensitive condition) जैसे ब्रेस्ट कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, ओवरी का कैंसर (Ovarian cancer), इन्डोमेट्रीओसिस(Endometriosis) या फिर यूटेराइन फाईब्रोइड्स (Uterine fibroids):
इसमें पाया जाने वाला केमिकल करक्यूमिन , हॉर्मोन एस्ट्रोजन (Hormone estrogen) की तरह काम करता है। यह हॉर्मोन सेंसटिव कंडीशन(Hormone-sensitive condition) को और अधिक खराब कर सकता है। हालांकि कुछ शोध से यह पता चलता है कि हॉर्मोन सेंसटिव कैंसर सेल्स (Hormone-sensitive cancer cells) में यह एस्ट्रोजन के प्रभाव को कम करता है। इसलिए यह हॉर्मोन सेंसटिव कंडीशन (Hormone-sensitive condition) में फायदेमंद भी हो सकता है। जब तक हल्दी के बारे में और अधिक पता नहीं चल जाता है तब तक आप इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें।
बांझपन (Infertility): पुरुषों में यह टेस्टोस्टेरॉन के लेवल और स्पर्म मूवमेंट को कम कर देता है जिससे फर्टिलिटी (Fertility) कम हो जाती है। इसलिए जो लोग बच्चा चाहते हैं वो इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें।
आयरन की कमी: आपको बता दें कि हल्दी आयरन के एबजोर्बशन (Absorption) यानी अवशोषण को रोक देता है इसलिए जिन्हें आयरन की कमी है वो सावधानीपूर्वक इसका सेवन करें।
सर्जरी: हल्दी ब्लड क्लॉटिंग को कम कर देता है जिससे सर्जरी के दौरान और सर्जरी के बाद ब्लीडिंग ज्यादा हो सकती है। इसलिए सर्जरी से दो हफ्ते पहले ही इसका सेवन बंद करना चाहिए।
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इसके सेवन से कोई विशेष साइड इफेक्ट नहीं होते हैं फिर भी कुछ लोगों में निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:
हालांकि हर किसी को ये साइड इफेक्ट हों ऐसा जरुरी नहीं है। कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट महसूस हो या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं तो नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
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इसके सेवन से आपकी बीमारी या आप जो वतर्मान में दवाइयां खा रहे हैं उनके असर पर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए सेवन से पहले डॉक्टर से इस विषय पर बात करें।
ऐसे पदार्थ जिनके साथ हल्दी की परस्पर क्रिया हो सकती है: वो दवाइयां जो ब्लड क्लॉटिंग को कम करती हैं जैसे एंटी-कोगुलेंट्स/ एंटी-प्लेटलेट ड्रग्स (Anticoagulant / Antiplatelet drugs)
हल्दी ब्लड क्लॉटिंग को कम करता है इसलिए अगर आप उन दवाइयों के साथ इसका सेवन करते हैं जो ब्लड क्लॉटिंग को कम करती है तो इससे ब्लीडिंग की समस्या और बढ़ सकती है।
ब्लड क्लॉटिंग को कम करने वाली प्रमुख दवाइयां ये हैं : एस्प्रिन, क्लोपीडोग्रेल (प्लाविक्स), डिक्लोफेनाक (वोल्टारेन, कैटाफ्लेम, अन्य), आइबूप्रोफ्रेन (एड्विल, मोट्रीन एवं अन्य), नेप्रोक्सेन ( ऐनारोक्स, नेप्रोसिन एवं अन्य), डेल्टापैरिन (फ्रैग्मिन), इनोक्सापैरिन (लिवोनोक्स), हिपेरिन, वॉरफैरिन (कोमाडीन) आदि।
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यहां पर दी गई जानकारी को डॉक्टर की सलाह का विकल्प ना मानें। किसी भी दवा या सप्लीमेंट का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह ज़रुर लें।
वयस्कों में
खाने के रूप में (Oral Route) :
हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए: रोजाना 1.4 ग्राम हल्दी एक्सट्रेक्ट को दो अलग अलग खुराकों में तीन महीने तक इस्तेमाल करना चाहिए।
खुजली (परट्युसिस) के लिए: इसके लिए रोजाना 1500 mg हल्दी तीन अलग-अलग खुराकों में आठ हफ्तों के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा एक खास उत्पाद जिसमें हल्दी का एक्सट्रेक्ट हो (C3 कॉम्प्लेक्स, सामी लैब्स लिमिटेड), काली मिर्च और पिप्पली के मिश्रण का 4 हफ्तों तक सेवन करना चाहिए।
ओस्टियोआर्थराइटिस के लिए: इसके लिए डेली 500 mg हल्दी से जुड़े प्रोडक्ट चार बार चार से छह हफ्तों के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा 500 mg हल्दी एक्सट्रेक्ट जैसे (टर्मासिन, नेचुरल रेमेडीज प्रा.लिमिटेड) का इस्तेमाल रोजाना दो बार छह हफ्तों के लिए करना चाहिए। इसके अलावा 500 mg हल्दी एक्सट्रेक्ट जैसे (मेरिवा, इन्डेना) जिसमें हल्दी और फॉस्फाटिडीलकॉलिन हो, रोजाना दो बार दो से तीन महीने तक इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा आप दूसरे प्रोडक्ट भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
बच्चों में
खाने के रूप में (Oral Route):
हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए: कम से कम 15 साल के बच्चों में रोजाना 1.4 ग्राम हल्दी एक्सट्रेक्ट दो अलग अलग खुराकों में तीन महीने तक इस्तेमाल करना चाहिए।
इस हर्बल सप्लीमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लीमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
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हल्दी निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है
अगर आप हल्दी (Turmeric) के सेवन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
TURMERIC/https://www.nccih.nih.gov/health/turmeric/Accessed on 23/12/2020
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Turmeric, One of the World’s Super Foods?/
https://www.nist.gov/news-events/news/2020/05/turmeric-one-worlds-super-foods/Accessed on 23/12/2020
Researchers develop treatment using turmeric for canine eye condition/https://www.nsf.gov/discoveries/disc_summ.jsp?cntn_id=301207&org=NSF&from=news/Accessed on 23/12/2020
Current Version
23/12/2020
Anoop Singh द्वारा लिखित
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
Updated by: Nidhi Sinha
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr Sharayu Maknikar