के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
कुष्ठ रोग (हैनसेन रोग) यह एक संक्रामक बीमारी है। जिसके कारण त्वचा की कुरूपता, उस पर घाव और हाथ, पैर तथा त्वचा (Skin) की तंत्रिकाएं खराब हो जाती हैं।
कुष्ठ रोग आपकी त्वचा में पाए जाने वाले घावों की संख्या और प्रकार से परिभाषित होता है। आपके कुष्ठ रोग का इलाज उसके विशिष्ट लक्षण और प्रकार पर निर्भर करता हैं। इसके प्रकार हैं:
कम गंभीर कुष्ठ रोग- इस प्रकार से ग्रसित लोगों को केवल पीले रंग की त्वचा के साथ त्वचा पर कुछ फ्लैट पैच होते हैं। ये (Paucibacillary कुष्ठ रोग) है। तंत्रिका के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण त्वचा का ये भाग संवेदनहीन महसूस होता है। तपेदिक कुष्ठ रोग तुलना में ये कम संक्रामक होता है।
अधिक गंभीर कुष्ट रोग इसमें त्वचा पर पूरी तरह से (मल्टीबैसिलरी कुष्ठ), छाले और चकत्ते फैल जाते हैं और त्वचा में संवेदनहीनता और मांसपेशियों (Muscles) में कमजोरी महसूस होती है। इसमें नाक, गुर्दे और पुरुष प्रजनन अंग अधिक प्रभावित होते हैं। टीबी (Tuberculosis) की वजह से होने वाले कुष्ठ रोग की तुलना में यह बहुत ज्यादा संक्रामक होता है। इस प्रकार के कुष्ठ रोग वाले लोगों में टीबी और कुष्ठ दोनों रूपों के लक्षण होते हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, आज दुनिया भर में लगभग 1,80,000 लोग कुष्ठ रोग से संक्रमित हैं, जिनमें से अधिकांश अफ्रीका और एशिया में हैं। अमेरिका में हर साल लगभग 100 लोगों में कुष्ठ रोग पाया जाता है, ज्यादातर लोग दक्षिण, कैलिफोर्निया, हवाई और अमेरिकी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। जवान लोगों की तुलना में बच्चों को कुष्ठ रोग होने की अधिक संभावना होती है। कुष्ठ रोग के खतरे के कारणों को कम करके नियंत्रित किया जा सकता है। किंतु अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें।
आमतौर पर कुष्ठ रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया (Bacteria) के संपर्क में आने के बाद लक्षण दिखने में लगभग 3 से 5 साल लगते हैं। कुछ लोगों में 20 साल बाद तक लक्षण दिखायी नहीं देते हैं। बैक्टीरिया के साथ संपर्क में आने और लक्षणों की उपस्थिति के बीच के समय को इंक्यूबेशन अवधि कहा जाता है। कुष्ठ रोग की लंबी इंक्यूबेशन अवधि के कारण डॉक्टरों के लिए यह पता करना बहुत मुश्किल है कि कुष्ठ रोग वाला व्यक्ति कब और कहां संक्रमित हुआ था।
कुष्ठ रोग मुख्य रूप से त्वचा, मस्तिष्क (Brain) और रीढ़ की हड्डी (Spinal cord) की बाहरी नसों को प्रभावित करता है। जिसे पेरीपराल तंत्रिका कहा जाता है। यह आंखें (Eyes) और नाक के अंदरूनी हिस्से को पतला करने वाले टिशूज को भी नुकसान पहुंचाता है।
कुष्ठ रोग के ये लक्षण (Symptoms of Leprosy) हो सकते हैं, जैसे:
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श्लेष्मा झिल्ली (Mucous membrane) में रोग के लक्षण:
कुष्ठ रोग नसों को प्रभावित करता है, इसलिए रोगी के शरीर में महसूस करने की शक्ति में कमी हो सकती है। ऐसा होने पर चोट लगने या जलने आदि चीजे महसूस नहीं होती। क्योंकि आप उस दर्द (Pain) को महसूस नहीं कर पाते हैं, जो आपके शरीर को नुकसान पहुंचने के कारण होता है। रोग से प्रभावित अंगों की देखभाल में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि शरीर के प्रभावित हिस्से घायल न हो सके।
हो सकता है कि कुछ लक्षण ऊपर न दिए गए हों। यदि आपको इससे जुड़ी कोई भी जानकारी लेनी हो तो कृपया अपने डॉक्टर से सलाह ले।
यदि ऊपर दी गई सूची के अनुसार आपके शरीर में कोई भी लक्षण है या इसके सम्बन्ध में आपके कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से मिले। हर व्यक्ति का शरीर अलग तरह से काम करता है, इसलिए आपकी वर्तमान स्थिति के लिए सबसे अच्छा उपचार क्या है, यह बात डॉक्टर ही आपको बता सकता है।
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एक धीमी गति से बढ़ने वाले बैक्टीरिया (जिसे माइकोबैक्टीरियम लेप्राई (एम. लेप्राई) कहते हैं) के कारण कुष्ठ रोग होता है। कुष्ठ रोग को हेन्सन रोग (Hen’s disease) भी कहा जाता है। यह नाम उस वैज्ञानिक के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने 1873 में एम. लेप्राई की खोज की थी। इस बीमारी का संक्रमण बैक्टीरिया (Bacterial infection) के कारण फैलता है। बैक्टीरिया का प्रवेश संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हो सकता है। ये संक्रमण व्यक्ति की छींक से और सलाइवा के माध्यम से भी फैल सकता है। यह रोग संक्रमित (Infection) व्यक्ति के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने से भी हो सकता है।
कुष्ठ रोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में नहीं फैलता है यानी ये बीमारी वंशानुगत (Geneticle) नहीं होती है। अधिकतर मामलों में ये रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। अगर आपको ये लगता है कि रोगी के पास बैठने से ये रोग फैल जाएगा तो आप गलत है। कुष्ठ रोग का अगर सही समय पर इलाज कराया जाए तो ये बीमारी खत्म हो सकती है।
उन लोगों में कुष्ठ रोग के होने का खतरा ज्यादा होता है, जो इससे मुख्य रूप से प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं (जैसे भारत, चीन, जापान, नेपाल, मिस्र और अन्य क्षेत्रों के हिस्से)। इसके अलावा वो लोग, जो खासकर इस रोग से संक्रमित लोगों के साथ लगातार शारीरिक संपर्क में रहते हैं या जो कुष्ठ (Leprosy) रोग से पीड़ित रोगियों के साथ रहते हैं, उनमें इस बीमारी के विकसित होने की संभावना लगभग आठ गुना अधिक होती है। जिनके अंदर प्रतिरक्षा प्रणाली में आनुवंशिक दोष होते हैं।उनके भी संक्रमित (Infected) होने की अधिक संभावना होती है।
इसके अतिरिक्त, वे लोग जो कुछ विशेष तरह के जानवरों को संभालते हैं, जिनमें यह बैक्टीरिया होता है, (उदाहरण के लिए, आर्मडिलोस, अफ्रीकी चिम्पांजी, सूटी मैंगबे, और सिनोमोलगस मैकाक) उन्हें इन जानवरों के द्वारा इस बैक्टीरिया से संक्रमित होने का खतरा होता है। खासकर जब वो लोग बिना दस्ताने पहने जानवरों के संपर्क में आते हैं।
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दी गई जानकारी किसी भी डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह ले।
यदि आपकी त्वचा में ऐसे घाव हैं, जो कुष्ट रोग के लक्षण की तरह दिखते हैं, तो आपका डॉक्टर उस प्रभावित त्वचा का एक छोटा सा सैंपल निकालकर इसे एक प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज देगा। इसे स्किन बायोप्सी कहते हैं। इसके साथ त्वचा का त्वचा स्मीयर (Skin smear ) परीक्षण भी किया जा सकता है। पॉसिबेकिल्लारी कुष्ठ रोग में किसी बैक्टीरिया का पता नहीं लगाया जा पाता। लेकिन, इसके विपरीत मल्टीबैसिलरी कुष्ठ रोग वाले व्यक्ति के त्वचा (Skin) के स्मीयर परीक्षण करने पर बैक्टीरिया पाए जाने की संभावना होती है।
कुष्ठ रोग का इलाज संभव है। पिछले दो दशकों में, कुष्ठ रोग से ग्रसित 16 मिलियन लोग ठीक हो गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन कुष्ठ रोग से पीड़ित सभी लोगों का मुफ्त इलाज कराता है।
कुष्ठ रोग का उपचार उसके प्रकार पर निर्भर करता है। एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) का उपयोग संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है। दो या अधिक एंटीबायोटिक दवाओं के साथ लंबे समय तक उपचार किया जाता है, जो आमतौर पर लगभग छह महीने से एक वर्ष तक का होता है। गंभीर कुष्ठ रोग वाले लोगों को एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotic medicine) को लंबे समय तक लेने की जरुरत हो सकती है। एंटीबायोटिक्स तंत्रिकाओं में हुए नुक्सान का इलाज नहीं कर सकते हैं, लेकिन नुक्सान को बढ़ने से रोक सकते है।
एंटी-इन्फ्लेमटॉरी दवाओं (Anti Inflammatory medicine) का उपयोग कुष्ट के कारण पहुंची क्षति से होने वाले नसों के दर्द को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसमें प्रेडनिसोन जैसे स्टेरॉयड (Steroid) भी शामिल हो सकते हैं।
कुष्ठ रोगियों को थैलिडोमाइड भी दिया जा सकता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) को मजबूत बनाने के लिए दिया जाता है। यह त्वचा में हुए कुष्ट और न्यूडल के उपचार में मदद करता है। थैलिडोमाइड को जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले दोषों के कारण जाना जाता है। किन्तु इसे उन महिलाओं को नहीं दिया जा सकता जो गर्भवती हैं या ऐसी महिलाएं जो गर्भवती (Pregnancy) हो सकती हैं।
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इस बीमारी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है कि आप उन लोगों से या उनके नाक और अन्य स्राव से दूर रहें, जो कि कुष्ठ रोग से ग्रसित होने के बाद भी इलाज नहीं करवा रहे हैं।
कुष्ठ रोग से बचाव के लिए कोई व्यावसायिक वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हालांकि, माना जाता है कि अकेले बी.सी.जी वैक्सीन का उपयोग करने से एम. लेप्राई के बैक्टीरिया मर जाते हैं और ये संक्रमण (Infection) को दूर कर उपचार को छोटा करने में मदद करती हैं। कुछ देशों में बी.सी.जी आसानी से उपलब्ध नहीं होती है।
चिम्पांजी, मंगाबी बंदर, और नौ-बैंडेड आर्मडिलोस M-1 लेप्राई को मनुष्यों में स्थानांतरित कर सकते हैं। क्योंकि ये जानवर स्थानिक संक्रमण के लिए एक साधन होते हैं। इसलिए ऐसे जंगली जानवरों को डायरेक्ट हैंडल करने की सलाह नहीं दी जाती है और अगर जरूरी हो तो इसके लिए सुरक्षात्मक नियम अपनाने चाहिए।
यदि आपके पास कोई सवाल है, तो कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें ताकि वो आपको आपकी अवस्था के अनुसार बेहतर समाधान दे सके।
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