परिचय
दूर्वा (दूब) घास क्या है?
दूर्वा (दूब) घास को भारत में कई सदियों से धार्मिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। माना जाता है कि, श्रीगणेश भगवान को दूर्वा घास बहुत पसंद है। इसे भारत के कुछ हिस्सों में दूब भी कहा जाता है। लेकिन, धार्मिक मान्यताओं के अलावा इसे आयुर्वेद में भी औषधीय गुणों की वजह से महत्वपूर्ण माना गया है। आयुर्वेद कहता है कि, दूब घास पर नंगे पांव चलने से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है व शरीर से अनेक रोग छूमंतर हो जाते हैं। दूर्वा (दूब) घास बारहमासी होती है और आप यकीन नहीं करेंगे कि यह पूरे विश्व में आराम से पाई जा सकती है। दूब घास तीन प्रकार की होती है- सफेद, नील व गंड दूब। इसे अंग्रेजी में बरमूडा ग्रास (Bermuda grass) भी कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम साइनोडॉन डैक्टाइलान (Cynodon Dactylon) है, जो कि पोएसी (Poaceae) परिवार से संबंध रखता है। इसमें प्रचुर मात्रा में एंटीकैंसर, एंटी-डायबिटिक, एंटी-डायरियल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लमेटरी, एंटीवायरल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।
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उपयोग
दूर्वा (दूब) घास का उपयोग किसलिए किया जाता है?
दूब घास का उपयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है। जैसे-
डैंड्रफ से राहत दिलाए
दूर्वा (दूब) घास में एंटी-माइक्रोबियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो फंगस या अन्य कारणों से होने वाले डैंड्रफ को रोकने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण सिर की त्वचा को स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं और उसकी कोशिकाएं नष्ट होना कम हो जाती है। जिससे डैंड्रफ की समस्या में राहत मिलती है।
डायबिटीज से राहत
जब आपके शरीर में ब्लड ग्लूकोज बढ़ने लग जाता है, तो आपको मधुमेह यानी डायबिटीज की समस्या होने लगती है। वहीं, इसका सबसे आम प्रकार टाइप-2 डायबिटीज है। दूर्वा घास में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो आपके शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।
घाव को साफ करने में
किसी चोट या घाव के कारण आपको वहां सूजन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, घाव में सेप्टिक होने से इंफेक्शन का खतरा भी हो जाता है। लेकिन, दूब घास में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लमेटरी गुण होते हैं, जो घाव की सूजन को कम करने में और वहां किसी भी माइक्रोब की वजह से इंफेक्शन बनने के खतरे को कम करते हैं। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटी-सेप्टिक गुण भी सेप्टिक इंफेक्शन का खतरा कम करते हैं। इसलिए, घाव या चोट को दूब घास के मिश्रण से साफ किया जा सकता है।
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नाक से खून निकलना
ज्यादा गर्मी के कारण हमारी नाक के अंदर मौजूद मेंब्रेन शुष्क हो जाते हैं और फिर फटने के बाद उनमें से खून निकलने लगता है। जिसे नकसीर भी कहा जाता है। इसके अलावा, साइनस की समस्या के कारण भी नकसीर छूट सकती है। लेकिन, दूर्वा (दूब) घास में कूलिंग गुण होते हैं, जो शरीर को ठंडा रखने में मदद करते हैं और इसके एंटी-माइक्रोबियल गुण कूलिंग इफेक्ट के साथ मिलकर नकसीर आदि की समस्या में राहत देते हैं। इसके अलावा, इसके एंटी-इंफ्लमेटरी गुण साइनस की समस्या के कारण हुई नाक से ब्लीडिंग रोकने में भी मदद करते हैं।
बच्चों में घमौरी
गर्मी और पसीने की वजह से बच्चों को घमौरियों का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से शरीर पर जलन, खुजली आदि की परेशानी होती है। लेकिन, दूब घास में कूलिंग इफेक्ट और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो कि बच्चों के शरीर की त्वचा को ठंडा रखने और घमौरी के बैक्टीरिया आदि को नष्ट करने में मदद करते हैं। इसकी मदद से आप घमौरियों से छुटकारा पा सकते हैं।
इन समस्याओं में भी काम आती है दूब घास
- साइको सोमेटिक डिसऑर्डर
- खूनी बवासीर
- डायरिया
- त्वचा संबंधी रोग
- पेशाब में जलन
- एलर्जी रैशेज
- सिरदर्द की समस्या
- उल्टी की समस्या
- दाद-खाज की समस्या, आदि
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दूर्वा (दूब) घास में मौजूद पोषक तत्व क्या हैं?
- कैल्शियम
- फाइबर
- फॉस्फोरस
- पोटेशियम
- प्रोटीन
- कार्बोहायड्रेट्स
- मैग्नीशियम, आदि
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दूर्वा (दूब) घास का उपयोग कितना सुरक्षित है?
अभी तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दूर्वा (दूब) घास का इस्तेमाल काफी हद तक सुरक्षित है। लेकिन, अगर आप गर्भवती महिला हैं या फिर किसी बच्चे को स्तनपान करवा रही हैं, तो हमारी यही सलाह है कि इसका सेवन या इस्तेमाल करने से बचें या फिर किसी डॉक्टर व हर्बलिस्ट की मदद लें। इसके अलावा, अगर आप किसी एलोपैथिक दवा का सेवन कर रहे हैं, तो पहले उसका सेवन करें और फिर उसके 30 मिनट बाद ही किसी हर्बल सप्लिमेंट का सेवन करें।
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साइड इफेक्टस
दूर्वा (दूब) के इस्तेमाल से किन-किन साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है?
दूर्वा (दूब) का सेवन या इस्तेमाल करने से आपको इसके हर्बल टेस्ट की वजह से उल्टी की समस्या हो सकती है। हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं, इसलिए इसका सेवन या इस्तेमाल करने से पहले किसी डॉक्टर या हर्बलिस्ट की मदद जरूर लें। अगर आप दिल की बीमारी, अस्थमा रोग जैसी किसी क्रॉनिक डिजीज का सामना कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से चर्चा किए बिना किसी चीज का सेवन न करें। अगर आप हाल ही में किसी सर्जरी से गुजर चुके हैं, तो इसका सेवन या इस्तेमाल न करें। इसके अलावा, ध्यान रखें कि, अगर आपको किसी जड़ी-बूटी से एलर्जी है, तो इसका सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के न करें।
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डोसेज
दूर्वा (दूब) लेने की सही खुराक क्या है?
दवा के रूप में दूब घास लेने की खुराक हर मरीज के लिए अलग-अगल हो सकती है, जो कि उसके लिंग, उम्र, स्वास्थ्य व अन्य कारकों पर निर्भर करती है। अगर आपको अपने लिए सही खुराक का पता लगाना है, तो इसके लिए किसी डॉक्टर या हर्बलिस्ट से संपर्क करें। वह आपकी मेडिकल हिस्ट्री व स्वास्थ्य का अध्ययन करके आपको सही खुराक के बारे में जानकारी देंगे। ध्यान रखें कि, किसी भी वस्तु का अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल या सेवन करने से आपको गंभीर नतीजों का सामना करना पड़ सकता है।
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उपलब्धता
दूर्वा (दूब) किन-किन रूपों में उपलब्ध होती है?
दूर्वा (दूब) घास आपके आसपास या मार्केट में निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध हो सकती है। जैसे-
- कच्चे रूप में, जैसे- पत्तियां, जड़
- एक्सट्रैक्ट
- पाउडर, आदि
हम उम्मीद करते हैं कि, दूर्वा (दूब) घास से संबंधित आपको इस आर्टिकल में पर्याप्त जानकारी मिल गई होगी। जिससे आपको इसके बारे में काफी सवालों के जवाब मिल गए होंगे। लेकिन, अगर आप इसका उपयोग करना चाहते हैं, तो एक बार डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें। क्योंकि बेशक अधिकतर लोगों के लिए यह पूरी तरह सुरक्षित देखी गई है, लेकिन इसके दुष्प्रभावों से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए यदि आपको कोई क्रॉनिक समस्या है या आप किसी एलर्जी से ग्रसित हैं अथवा आप गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिला हैं, तो इसके उपयोग से पहले एक बार एक्सपर्ट से परामर्श करना उचित रहेगा। वह आपके स्वास्थ्य का पूरा अध्ययन करके आपको उचित सलाह देगा। इसके अलावा, अगर आप हमसे किसी विषय के बारे में कोई जानकारी चाहते हैं, तो हमारे सोशल मीडिया पेज पर हमें लिख सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है।
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