परिचय
नीलगिरी (Eucalyptus) क्या है?
यूकलिप्टस पौधा मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया में पाया जाता है। हिंदी में इसे नीलगिरी का पेड़ कहते हैं। भारत, उत्तरी और दक्षिणी अफ्रीका और दक्षिणी यूरोप में भी इसके पौधों की खेती होती है। ये पेड़ काफी लंबा और पतला होता है। इसकी पत्तियां नोकिली होती हैं, जिनकी सतह पर गांठ होती है। इन गांठों में से तेल संचित किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर इसकी पत्तियां और तेल का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। ये तेल जितना पूराना होता जाता है उतना ही इसका असर बढ़ता जाता है। कई लोग इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीते हैं। दुनिया भर में इसकी लगभग 600 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसका पेड़ काफी लंबा और पतला होता है। इसकी पत्तियां लंबी और नुकीली होती हैं जिनकी सतह पर गांठ होती है और इन्हीं में से तेल का रिसाव होता है।
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नीलगिरी (Eucalyptus) का उपयोग किस लिए किया जाता है?
नीलगिरी की ताजा पत्तियों को तोड़कर इससे तेल बना कर विभिन्न रोगों के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इन पत्तियों से डिस्टीलेशन की प्रक्रिया द्वारा तेल निकाला जाता है जो रंगहीन और स्वादहीन द्रव्य के रूप में होता है। हालांकि, यह एल्कोहल में घुलनशीन होता है। नीलगिरी के तेल का इस्तेमाल एंटीसेप्टिक और उत्तेजक औषधियों के तौर पर किया जा सकता है। यह हृदय गति को बढाने और अनियंत्रित दिल की गति को नियंत्रित करने में भी लाभकारी होता है। ऐसा भी माना जाता है कि नीलगिरी के तेल का कोई एक्सपायरी डेट नहीं होता है, बल्कि यह जितना पुराना होता जाता है इसका असर उतना ही तेज होता है। साथ ही, यह मलेरिया रोग का उपचार करने के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाता है। गर्दन या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द की शिकायत होने पर भी नीलगिरी के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
नीलगिरी की पत्तियों का इलाज इन बीमारियों के लिए किया जाता है-
- इंफेक्शन
- बखार
- पेट में गड़बड़
- कफ
- श्वसन तंत्र की एलर्जी और संक्रमण
- काली खांसी
- दमा
- ट्यूबरकुलोसिस
- ऑस्टियोआर्थराइटिस
- जोड़ों का दर्द (गठिया)
- मुंहासे
- घाव
- अल्सर
- बर्न्स
- दाद
- भूख न लगना
- कैंसर
- डेंटल प्लेक
नीलगिरी का तेल इस्तेमाल कैसे करते हैं?
- नीलगिरी का तेल पूरे शरीर पर लगाया जाता है, डायल्यूटेड होना चाहिए।
- डायल्यूटेड ऑयल को कफ, साइनस के दर्द, अस्थमा व कई परेशानियों के लिए मुंह द्वारा इनहेल किया जाता है। इसमें एनल्जेसिक और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होने वाले दर्द से निजात दिलाता है।
- ये तेल गठिया का दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन में भी फायदा पहुंचाता है। इसके लिए प्रभावित क्षेत्र पर ये तेल लगाना होगा।
- डायल्यूटेड यूकलिप्टस ऑयल को दर्द और सूजन के लिए स्किन पर लगाया जाता है।
- डेंटिस्ट्री में रूट कैनाल फिलिंग्स में इस्तेमाल होने वाले सीलर्स और सॉल्वैंट्स में
- इसका प्रयोग किया जाता है।
- नीलगिरी में नेचुरल सिडेटिव और सूदिंग इफेक्ट होते हैं जो चिंता और तनाव को दूर करता है।
- नीलगिरी का तेल मुलायम और दागरहित त्वचा प्रदान करता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा के संक्रमण को दूर करते हैं।
- नीलगिरी के पत्ते और तेल का इस्तेमाल सांस संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो सांस की नली से बैक्टीरिया को नष्ट करने में मददगार हैं। ये गले से कफ और बलगम को दूर करता है।
- नीलगिरी का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके से किया जाता है। कुछ लोग नीलगिरी की पत्तियों से बने टी बैग्स का प्रयोग करते हैं। एरोमाथेरिपी में इसके तेल का इस्तेमाल डिफ्यूजर में डालकर किया जाता है। इसकी पत्तियों को नहाने के पानी में मिलाकर भी प्रयोग किया जाता है।
कैसे काम करता है नीलगिरी (Eucalyptus)?
नीलगिरीनीलगिरी के पत्तों में कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो शुगर को नियंत्रित करने में मददगार होते हैं। इसके अलावा, ये बैक्टीरिया और फंगस से राहत प्रदान करता है। नीलगिरी के तेल में मौजूद कैमिकल दर्द और सूजन से राहत दिलाते हैं। यह उन रसायनों को भी अवरुद्ध करता है, जो अस्थमा का कारण बनते हैं। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
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उपयोग
कितना सुरक्षित है नीलगिरी (Eucalyptus) का उपयोग ?
- प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को नीलगिरी से बनी दवाइयों और तेल के प्रयोग से बचना चाहिए।
- अगर आप कोई दूसरी दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।
- अगर आपको किसी हर्बल से एलर्जी है तो इसका इस्तेमाल न करें।
- अगर आपको कोई बीमारी या परेशानी है तो भी इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए।
- नेशनल एसोसिएशन फॉर हॉलिस्टिक एरोमाथेरिपी (NAHA) के मुताबिक कुछ एसेंशियल ऑयल हानिकारक भी हो सकते हैं। जरूरी है कि आप जिन नेचुरल ऑयल का इस्तेमाल कर रहे हैं वो शुद्ध और प्रमाणिक हो।
- नीलगिरी तेल को स्किन पर कभी सीधे न लगाएं। इसे किसी दूसरे तेल में मिलाकर ही लगाना सही होता है।
- अगर आपकी कोई सर्जरी होने वाली है तो उसके दो हफ्ते पहले इसको लेना बंद कर दें क्योंकि, ये शुगर के स्तर को प्रभावित करता है।
- इसका इस्तेमाल करने से पहले एक बार पैच टेस्ट जरूर करें क्योंकि, बहुत सारे लोगों को ये सूट नहीं करता है।
- 12 साल से छोटे बच्चों पर इसका इस्तेमाल न करें।
- इसे आंखों के आसपास के हिस्से पर भी न लगाएं।
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साइड इफेक्ट्स
नीलगिरी (Eucalyptus) के तेल से मुझे क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
नीलगिरी के तेल के तेल के इस्तेमाल से त्वचा पर जलन महसूस हो सकती है। इसे कभी भी आंखों के आस-पास इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स जैसे कि-
- मतली और उल्टी,
- पेट में दर्द,
- सिर चकराना,
- मांसपेशियों की कमजोरी,
- श्वांस-प्रणाली की समस्या,
- अवसाद,
- घुटन महसूस होना,
- पेट खराब होना ।
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डोजेज
नीलगिरी (Eucalyptus) को लेने की सही खुराक क्या है?
नीलगिरी की खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है। ये मरीज की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों पर निर्भर करती है।
एक बात का खास ख्याल रखें कि हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए बर्गमोट तेल का इस्तेमाल करने से पहले अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से एक बार जरूर संपर्क करें।
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उपलब्ध
नीलगिरी (Eucalyptus) किन रूपों में उपलब्ध है?
-
नीलगिरी के तेल के रूप में,
- यूकलिप्टस की पत्तियां
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