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शिमला मिर्च (Capsicum), मिर्च की ही एक प्रजाति है। इसका इस्तेमाल भोजन में सब्जी की तरह किया जा सकता है। मूल रूप से यह सब्जी दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की है। वहां पर लगभग पिछले 3000 सालों इसकी खेती करने के साक्ष्य भी मिले हैं। शिमला मिर्च का इस्तेमाल सब्जी बनाने के साथ-साथ सलाह के तौर पर किया जा सकता है। शिमला मिर्च लाल, हरी और पीले रंग की हो सकती है। हालांकि, सभी रंग के शिमला मिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए और बीटा कैरोटीन के गुण होते हैं। इसमें 0 कैलोरी होती इसलिये यह खराब कोलेस्ट्रॉल को नहीं बढ़ाती। साथ ही, इसके सेवन से वजन को भी कंट्रोल में रखा जा सकता है।
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शिमला मिर्च का इस्तेमाल पाचन क्रिया की कई समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है जैसे पेट खराब, पेट में गैस, पेट में दर्द, डायरिया और ऐंठन।
इसका इस्तेमाल दिल की समस्या और रक्त वाहिकाओं की स्थिति के लिए भी किया जाता है जैसे सही तरह से सर्कुलेशन ना होना, अत्यधिक रक्त का थक्का जमना, हाई कोलेस्ट्रॉल, वैस्कुलर कंजेस्टिव कंडीशन आदि। यह कोरोनरी आर्टरी डिसीज और दिल की बीमारी से भी बचाती है।
कुछ लोग, ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटाइड आर्थराइटिस और फाइब्रोमायल्गिया के कारण होने वाले दर्द के लिए इसे त्वचा पर लगाते हैं।
इसके सेवन से डायबिटीज की रोकथाम की जा सकती है और एचआईवी से भी बचाव किया जा सकता है।
अन्य तरीके के दर्द और कमर दर्द के लिए भी त्वचा पर लगाया जाता है। इसका उपयोग त्वचा पर मांसपेशियों की ऐंठन को दूर करने के लिए, अंगूठे को चूसने से रोकने के लिए या मुंह से नाखून काटने की समस्या को रोकने के लिए किया जाता है।
कुछ लोग तेज बुखार में माइग्रेन से सरदर्द में, सिर में कही-कही हिस्सों में दर्द और साइनस संक्रमण से नाक में शिमला मिर्च रखते हैं।
कुछ अन्य बीमारियां जिनमें लाभकारी है शिमला मिर्च –
यह हर्बल सप्लीमेंट कैसे काम करता है, इसके संबंध में अभी कोई ज्यादा शोध उपलब्ध नहीं है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी हर्बल विशेषज्ञ या फिर किसी डॉक्टर से सम्पर्क करें। हालांकि कुछ शोध यह बताते हैं कि इसके फल में केमिकल होता है जिसे कैप्सेसिन कहते हैं. केप्सायसिन को जब त्वचा पर दर्द वाली जगह पर लगाया जाता है तो यह दर्द की संवेदनशीलता को कम कर देता है और यह हेलिकोबैक्टर पिलोरी से भी बचाता है – यह गैस्ट्रोइंटेस्टिनल बीमारी से सम्बंधित है.
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अगर व्यक्ति शिमला मिर्च इन स्थिति में से किसी के लिए भी ले रहा है जैसे डायबिटीक न्यूरोपैथी, सोरायसिस, या हर्पीस जोस्टर तो उसे उसके लक्षणों में सुधार की जांच करते रहना चाहिए।
आपको ब्लड प्रेशर और किसी भी तरह की खांसी के लक्षणों, सांस लेने में दिक्कत या सांस लेने में समस्या की जांच जरूर करते रहने चाहिए।
जैसे ही दर्द वापस फिर से शुरू होने लगे तो व्यक्ति को उन उत्पाद का इस्तेमाल फिर से शुरू कर देना चाहिए जिसमें इसे शामिल किया जाता है.
ऐसे उत्पाद जिनमें शिमला मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है उसे त्वचा पर फिर से लगाने से झनझनाहट और जलन जैसी समस्या कुछ लोगों को अनुभव हो सकती है.
हर्बल सप्लीमेंट के उपयोग से जुड़े नियम दवाओं के नियमों जितने सख्त नहीं होते हैं। इनकी उपयोगिता और सुरक्षा से जुड़े नियमों के लिए अभी और शोध की ज़रुरत है। इस हर्बल सप्लीमेंट के इस्तेमाल से पहले इसके फायदे और नुकसान की तुलना करना ज़रुरी है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी हर्बल विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आपको पेप्टिक अल्सर, इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम और कोलाइटिस है तो शिमला मिर्च का इस्तेमाल न करें.
बच्चों या जो महिलायें गर्भवती या स्तनपान कराती हैं उन्हें शिमला उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इसमें रिसर्च अभी भी जारी है.
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शिमला मिर्च से कई नुकसान हो सकते हैं जैसे जलन, खुजली, रूखपन, दर्द, लालिमा, सूजन, या उत्पाद को लगाने के बाद सोरनेस की समस्या.
खाने के रूप में शिमला मिर्च लेने से, आपको गैस्ट्रोइंटेस्टिनल क्रेम्पिंग, दर्द, डायरिया या पसीना, नाक बहना, आंखों से आंसू बहना आदि हो सकता है.
हालांकि हर किसी को ये साइड इफ़ेक्ट हों ऐसा ज़रुरी नहीं है। कुछ ऐसे भी साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफ़ेक्ट महसूस हो या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं तो नज़दीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
शिमला मिर्च के सेवन से आपकी बीमारी या आप जो वतर्मान में दवाइयां खा रहे हैं उनके असर पर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए सेवन से पहले डॉक्टर से इस विषय पर बात करें।
शिमला मिर्च का इस्तेमाल मोनोअनॉक्सोक्सीडेज इनहिबिटर (MAOI) या एंटीहाइपरटेन्सिव ड्रग्स के साथ-साथ नहीं किया जाना चाहिए.
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यहां पर दी गई जानकारी को डॉक्टर की सलाह का विकल्प ना मानें। किसी भी दवा या सप्लीमेंट का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
शिमला मिर्च को आमतौर पर त्वचा पर दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. शुरूआती दर्द से छुटकारा पाने के लिए कम से कम दो हफ्ते तक उस जगह पर क्रीम (0.025% -0.075% सांद्रता ) लगाएं, दिन में चार बार इस्तेमाल करें.
यह हर्बल सप्लीमेंट कई रूपों में उपलब्ध है –
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
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Different types of capsicums, their health benefits and recipes that you cannot miss. https://timesofindia.indiatimes.com/life-style/food-news/different-types-of-capsicums-their-health-benefits-and-recipes-that-you-cannot-miss/photostory/68722818.cms. Assessed on 13 January, 2020.