परिचय
एस्बेस्टॉसिस (Asbestosis) क्या है?
एस्बेस्टॉसिस फेफड़ों से जुडी एक बीमारी है जो एस्बेस्टस फाइबर के सांस द्वारा शरीर के अंदर चले जाने पर होती है। एस्बेस्टस फाइबर मिट्टी या पत्थरों में मिल सकते हैं। यह लचीले, गर्मी, रसायनों और बिजली के प्रतिरोधी हैं। इसलिए, कई सालों से इनका प्रयोग कई चीज़ों को बनाने जैसे, गाड़ियों के पार्ट और कपड़ों को बनाने में किया जाता है। अगर एस्बेस्टस फाइबर को सांस के माध्यम से अंदर लिया जाता है, तो यह फेफड़ों के अंदर के टिश्यू को चोट पहुंचा सकते हैं और जिससे यह चोट लगे टिश्यू सामान्य रूप से फैल और सिकुड़ नहीं पाते। यह बीमारी कितनी गंभीर हो सकती है, यह बात इस चीज़ पर निर्भर करती है कि रोगी कितनी देर एस्बेस्टस के सम्पर्क में रहा है और किस तरह के फाइबर उसके शरीर के अंदर गए हैं।
एस्बेस्टस के सम्पर्क में आने के बीस या उससे भी अधिक सालों के बाद इसके लक्षण सामने आ सकते हैं। इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं। इस रोग में सांस लेने में भी समस्या (Breathing problem) हो सकती है। जानिए, इसके बारे में विस्तार से।
और पढ़ें : लॉकडाउन की वजह से वायु प्रदूषण चमत्कारिक रूप से हुआ कम, पूरी दुनिया में हुआ ये बदलाव
लक्षण
एस्बेस्टॉसिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Asbestosis)
एस्बेस्टस के लक्षण सामने आने में लंबा समय लग जाता है। इसके लक्षण गंभीर भी हो सकते हैं। एस्बेस्टस के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
- सांस लेने में समस्या
- लगातार सूखी खांसी होना
- भूख में कमी के कारण वजन कम (Weight loss) होना
- अंगूठों और उंगलियों का सामान्य से अधिक चौड़ा और गोलाकार होना
- छाती के कसाव और दर्द
- अंगूठों का असामान्य होना
यदि आपको अक्सर एस्बेस्टोस की समस्या होती है और आप सांस लेने में तकलीफ़ का अनुभव कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से एस्बेस्टॉसिस की संभावना के बारे में बात करें।
कारण
एस्बेस्टॉसिस के कारण क्या हैं? (Cause of Asbestosis)
- एस्बेस्टस फाइबर को शरीर में सांस के माध्यम से अंदर ले जाने से फेफड़ों के अंदर टिश्यू को नुकसान होता है। इसके कारण फेफड़ों के टिश्यू को फैलने और सिकुड़ने में समस्या होती है।
- अन्य एस्बेस्टोस से संबंधित बीमारियां इस प्रकार हैं :
1)प्लेउराल प्लक़ुइस(कैल्सीफिकेशन)
2)मलिग्नैंट मेसोथेलियोमा
- धूम्रपान एस्बेस्टस से संबंधित बीमारियों की संभावना को बढ़ा देता है
- अगर आप लम्बे समय तक एस्बेस्टस फाइबर की सम्पर्क में रहते हैं, तो कुछ एयरबोर्न फाइबर आपके एल्वियोली के भीतर दर्ज हो सकते हैं।
- एस्बेस्टस फाइबर से फेफड़ों के ऊतकों में जलन होती और नुकसान होता हैं, जिससे फेफड़े कठोर हो जाते हैं। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
- अगर एस्बेस्टॉसिस बढ़ जाता है तो अधिक से अधिक फेफड़ों के टिश्यू को नुकसान होता है।आखिरकार, रोगी के फेफड़े के ऊतक इतना कठोर हो जाता है कि यह सामान्य रूप से सिकुड़ और फैल नहीं हो सकता।
और पढ़ें : कोरोना की वजह से वायु प्रदूषण में आई कमी, अगर जानते हैं इस बारे में तो खेलें क्विज
जोखिम
- 1970 के दशक से पहले जो लोग एस्बेस्टस उत्पादों के खनन, मिलिंग, निर्माण, स्थापना या हटाने में काम करते थे उन लोगों को एस्बेस्टोसिस का खतरा अधिक रहता था। इसके उदहारण इस प्रकार हैं:
1)अभ्रक खनिक
2)विमान और ऑटो मैकेनिक्स
3)बॉयलर ऑपरेटर
4)भवन निर्माण करने वाले श्रमिक
5)इलेक्ट्रीशियनस
6)रेलरोड वर्कर्स
7)रिफाइनरी और मिल वर्कर
8)शिपयार्ड वर्कर्स
9)पुराने भवनों में स्टीम पाइप के आसपास एस्बेस्टस इन्सुलेशन को हटाने वाले श्रमिक
- एस्बेस्टॉसिस का जोखिम आम तौर पर एस्बेस्टस में संपर्क आने की अवधि और इसकी मात्रा से संबंधित होता है। जितना अधिक इनके संपर्क में रहा जाता है, उतना ही अधिक जोखिम फेफड़ों के नुकसान का होता है।
- वो वर्कर जो लगातार इन एस्बेस्टस के सम्पर्क में रहते हैं, उनके परिवार वालों को भी यह रोग होने की संभावना रहती है। जो लोग ऐसी जगहों या मिलों के नजदीक रहते हैं उन्हें भी यह रोग होने का खतरा रहता है।
- अगर आपको एस्बेस्टॉसिस की समस्या है तो आपको फेफड़ों का कैंसर होने का जोखिम भी बढ़ जाता है खासतौर पर अगर आप धूम्रपान करते हैं। एस्बेस्टोस के संपर्क में आने के कई वर्षों बाद मेसोथेलियोमा भी हो सकता है फेफड़ों के चारों ओर ऊतक का एक कैंसर है, लेकिन ऐसा होना दुर्लभ है।
और पढ़ें : Periodic limb movement disorder- पीरियोडिक लिंब मूवमेंट डिसऑर्डर क्या है?
उपचार
इस रोग के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपसे इस रोग के लक्षणों के बारे में जानेंगे और कारणों के बारे में भी जाना जाएगा। इसके बाद रोगी के कई टेस्ट कराये जाएंगे ताकि पता चल सके कि यह रोग एस्बेस्टॉसिस है क्योंकि यह लक्षण किसी अन्य रोग के भी हो सकते हैं। डॉक्टर शारीरक जांच करेंगे। इसके साथ ही हेल्थ हिस्ट्री, व्यवसाय या स्वास्थ्य इतिहास, व्यवसाय और एस्बेस्टोस के जोखिम के बारे में भी जाना जाएगा। शारीरिक प्रशिक्षण के दौरान, डॉक्टर रोगी के फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए स्टेथोस्कोप (Stethoscope) का उपयोग करते हैं ताकि सांस लेते हुए आपके फेफड़ों की आवाज सुनी जा सके।
और पढ़ें : Laryngitis: लेरिन्जाइटिस क्या है?
डॉक्टर आपके निम्नलिखित टेस्ट करा सकते हैं:
- इमेजिंग टेस्ट्स: इन टेस्ट से फेफड़ों की तस्वीर देखी जाएगी ताकि उनकी सही स्थिति का पता चल सके
- चेस्ट एक्स-रे : एडवांस्ड एस्बेस्टॉसिस आपके फेफड़ों के ऊतकों में अत्यधिक सफेदी के रूप में दिखाई देता है। अगर यह स्थिति भयंकर हो तो दोनों फेफड़ों पर बुरा प्रभार पड़ सकता है
- कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (CT स्कैन) : CT स्कैन (CT Scan)आम तौर पर इसके शुरुआती चरणों में एस्बेस्टॉसिस का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
- लंग फंक्शन टेस्ट्स
इस रोग का कोई इलाज नहीं है। इसके उपचार के लिए एस्बेस्टस के सम्पर्क में न आना बहुत आवश्यक है। इस बीमारी के लक्षणों को कम करने के लिए ड्रेनेज और चेस्ट पेरकशन, फेफड़ों से तरल पदार्थ निकालने में मदद कर सकती है। इसके साथ ही डॉक्टर आपको एयरोसोल दवाई लेने की सलाह दे सकते हैं। इस स्थिति वाले लोगों को मास्क द्वारा या नथुने में फिट होने वाले प्लास्टिक के टुकड़े से ऑक्सीजन लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। कुछ लोगों को फेफड़े के प्रत्यारोपण की आवश्यकता भी हो सकती है।
और पढ़ें : बच्चों और बुजुर्गों को दिवाली पर वायु प्रदूषण से ऐसें बचाएं
घरेलू उपाय
- एस्बेस्टॉसिस की समस्या से बचने के लिए एस्बेस्टोस के संपर्क में कम से कम आना सबसे अच्छा उपाय है। आजकल अधिकतर देशों में ऐसी स्थितियों में काम करने वाले लोगों को विशेष सुरक्षा उपाय बरतने के लिए कहा जाता है।
- अगर कोई व्यक्ति दस साल से अधिक समय तक एस्बेस्टोस के संपर्क में हो तो उसे हर तीन से पांच साल के बीच में छाती का एक्स-रे कराना चाहिए ताकि एस्बेस्टोस से संबंधित रोगों का पता चल सके। धूम्रपान एस्बेस्टोस से संबंधित फेफड़े के कैंसर (Lung Cancer) के जोखिम को अधिक बढ़ा सकता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।