विरेचन कर्म (Purgation therapy)
इस थेरेपी में शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा बलगम को बाहर निकाला जाता है, जिससे कफ रोगों में आराम मिलता है। इसके अलावा इस आयुर्वेदिक थेरेपी का उपयोग पेट के फूलने की समस्या और पेट में ट्यूमर को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
स्नेहन
आयुर्वेद में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में खांसी का उपचार करने के लिए स्नेहन विधि का प्रयोग किया जाता है। यह शरीर में बढ़े दोष के कारणों को खत्म करता है। हालांकि, बहुत ज्यादा शारीरिक या मोटापे से ग्रस्त लोगों को स्नेहन की मनाही होती है। इस आयुर्वेदिक विधि में हर्बल तेलों को गर्म करके पूरे शरीर पर लगाया जाता है। तेलों का चुनाव बढ़े हुए दोष के हिसाब से किया जाता है।
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खांसी का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for cough) है हर्ब्स
खांसी के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां इस प्रकार हैं-
खांसी का आयुर्वेदिक इलाज : पिप्पली
पिप्पली में वायुनाशक, दर्द निवारक और कफ को साफ करने वाले गुण पाए जाते हैं। वात प्रकृति वाले लोगों के लिए पिप्पली का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता है। खांसी के साथ-साथ ब्रॉन्काइटिस, गठिया, अस्थमा और साइटिका के आयुर्वेदिक इलाज में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह आयुर्वेदिक हर्ब शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में उपयोगी है।
हल्दी
हल्दी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से सूखी खांसी का इलाज होता है। यह खांसी का देसी इलाज है, जो कि बहुत प्रभावी साबित होता है। सोने से पहले हल्दी और शहद लें। यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक के रूप में काम करता है।
मुलेठी
बहुत ज्यादा खांसी आने की वजह से गले के अंदर सूजन आ जाती है। इसे कम करने के लिए मुलेठी का उपयोग किया जाता है।
अदरक
अदरक का इस्तेमाल सर्दी-खांसी के घरेलू उपाय के रूप में कई सदियों से किया जा रहा है। यह गले में खराश, उल्टी और दर्द को कम करने में भी घरों में इस्तेमाल की जाती है। वात प्रकार की खांसी के आयुर्वेदिक उपचार में इसका इस्तेमाल घी के साथ किया जाता है। कई दूसरी हर्ब्स के साथ भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
खांसी का आयुर्वेदिक इलाज : तुलसी
तुलसी में दर्द निवारक, जीवाणुरोधक और रोगाणुरोधक गुण होते हैं। सभी तरह की खांसी के प्रकार में यह उपयोगी है। तुलसी से खांसी कैसे सही करें? इस सवाल का जवाब यह है कि तुलसी के पत्ते, अदरक और शहद से बनी चाय पिएं। तेज रिकवरी के लिए आप तुलसी के पत्तों को चबा भी सकते हैं। खांसी की वजह से गले में दर्द है, तो इसके लिए इसमें दालचीनी का पाउडर भी मिला सकते हैं।
खांसी की आयुर्वेदिक इलाज : दवा
सीतोपालादि चूर्ण (Sitopaladi Churna) : एक से तीन ग्राम चूर्ण को चार से छह ग्राम शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से खांसी में राहत में मिलती है।
कर्पूरादि चूर्ण (Karpuradi Churna) : 300 मिलीग्राम से एक ग्राम चूर्ण को मिश्री के साथ लें। यह सूखी खांसी की आयुर्वेदिक दवा काफी प्रभावी है।
बृहत पंच मूला क्वाथ (Brihat Pancha Mula Kvatha) : 14 से 28 मिली क्वाथ में 0.5 ग्राम के साथ पिप्पली का चूर्ण मिलाकर लिया जाना चाहिए।
गोदन्ती भस्म (Godanti Bhasma) : 120 से 150 मिलीग्राम भस्म को शहद के बराबर भाग के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से खांसी से राहत मिलती है।
प्रवाल भस्म (Pravala Bhasma) : यह चूर्ण 60 से 120 मिलीग्राम में चार से छह ग्राम शहद के साथ लिया जाता है।
पिप्पलादि रसायन (Pippalyadi Rasayana) : खाना खाने से पहले तीन से छह ग्राम चूर्ण की मात्रा को 50 से 100 मिलीलीटर उबले हुए पानी से दिन में दो बार लेने से खांसी में आराम मिलता है।
वासावलेह (Vasavaleha) : 12 से 24 ग्राम दिन में दो बार लेने से हर तरह की खांसी ठीक होती है।
वासरिष्ठा (Vasarishta) : दोपहर या रात के खाने के बाद रोजाना तीन बार 15 से 30 मिली मात्रा लेने से खांसी ठीक होती है।
कांटाकरी क्वाथ (Kantakari Kvatha) : 14 से 28 मिली क्वाथ को 120 मिलीग्राम पिप्पली के चूर्ण के साथ दिन में दो बार लेने से काली खांसी (whooping cough) में लाभ मिलता है।
तेलेसी चूर्ण (Taleesadi churna) : खांसी की आयुर्वेदिक दवा तेलेसी चूर्ण की दो से तीन ग्राम मात्रा को शहद में मिलाकर लेने से लाभ होता है।