परिचय
बवासीर शब्द के उच्चारण से ही दर्द का एहसास होने लगता है। वैसे तो ये बीमारी भी हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर जैसी आम बीमारी हो गई है। असल में आजकल लोगों का लाइफस्टाइल इतना अंसतुलित और डिस्टर्ब हो गया है कि न खाना-पीना शुद्ध और संतुलित करते हैं और न ही सोने-उठने का समय ठीक है। नतीजा यह होता है कि शरीर की पाचन क्रिया बुरी तरह से प्रभावित होती है और इसके कारण एसिडिटी, बदहजमी, कब्ज आदि की समस्या शुरू हो जाती है। यही कब्ज की समस्या बाद में पाइल्स की समस्या की शुरुआत का कारण बन जाती है। असल में लगातार और लंबे समय तक कब्ज की समस्या रहने के कारण एनस के अंदर और बाहर और रेक्टम के नीचे सूजन आ जाती है। मल के सख्त होने के कारण एनस के अंदर और बाहर मस्से जैसा बन जाता है। ऐसे भी इस बात को समझ सकते हैं कि बवासीर होने पर एनस और रेक्टम के अंदर और बाहर जो नसें होती वह सूज जाती हैं। जिसके कारण पहले तो दर्द होता लेकिन इलाज सही तरह से न होने पर जब मस्सा बन जाता है, तब मल त्यागने के दौरान मस्से में घर्षण होने पर वह फट जाता है और खून निकलने लगता है। यह अवस्था नजरअंदाज करने पर बवासीर, खूनी बवासीर (Hemorrhoid) में तब्दील हो सकती है। आज हम इस आर्टिकल में पाइल्स का आयुर्वेदिक इलाज (Piles Ayurvedic Treatment) जानेंगे।