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अभी तक आपने पंक्चर टायर या ट्यूब के बारे में ही सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे फेफड़े भी पंक्चर हो सकते हैं? दरअसल, पंक्चर लंग (Punctured Lung) को मेडिकल भाषा में निमोथोरेक्स कहते हैं। इसके अलावा सामान्य भाषा में इसे कोलैपस्ड लंग भी कहते हैं। पंक्चर लंग (Punctured Lung) को समझने से पहले आपको फेफड़े की संरचना के बारे में जानना होगा। हमारे शरीर में दो फेफड़े होते हैं और ये सीने में स्थित होते हैं। हमारे दाएं और बाएं फेफड़े पसलियों के बीच की कैविटी में स्थित होते हैं। हमारे फेफड़े दो सतहों यानी कि लेयर से बने होते हैं। जिसमें बाहरी सतह को पेरिटल प्ल्यूरा (parietal pleura) और भीतरी सतह को विसेरल प्ल्यूरा (visceral pleura) कहते हैं। इन दोनों सतहो के बीच के स्थान को प्ल्यूरा स्पेस कहते हैं। जब हम नाक से सांस लेते हैं तो हवा सांस नली से होते हुए हमारे फेफड़े से विसेरल प्ल्यूरा सतह के अंदर आती है।
लंग पंक्चर होने पर अंदरूनी सतह विसेरल प्ल्यूरा में हवा न जा कर प्ल्यूरा स्पेस में जाने लगता है। जिससे विसेरल प्ल्यूरा सिकुड़ जाता है और सांस लेने में समस्या होने लगती है। लंग के पंक्चर होने की समस्या सीने पर लगी चोट या फेफड़े से संबंधित किसी बीमारी के कारण होती है।
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पंक्चर लंग को कारणों के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है :
ट्रॉमैटिक निमोथोरेक्स : किसी सड़क दुर्घटना में या गोली लगने से सीने पर सीधे लगी चोट के कारण ट्रॉमैटिक निमोथोरेक्स हो जाता है। कभी-कभी कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं को करते समय भी लंग कोलैपस्ड हो जाता है। इन कारणों से होने वाली स्थिति को ट्रॉमैटिक निमोथोरेक्स कहते हैं।
प्राइमरी स्पॉन्टेनीयस निमोथोरेक्स : बिना किसी कारण के फेफड़े का पंक्चर होना ही प्राइमरी स्पॉन्टेनीयस निमोथोरेक्स कहलाता है। कभी-कबार छोटे एयर सैक फेफड़े के बाहरी सतह के पास फट जाते हैं। जिस कारण से हवा फेफड़े से बाहर पास होने लगती है और प्ल्यूरा स्पेस में चली जाती है। इस कारण से भी प्राइमरी स्पॉन्टेनीयस निमोथोरेक्स हो जाता है।
सेकेंड्री स्पॉन्टेनीयस निमोथोरेक्स : अगर किसी को अस्थमा, लंग कैंसर या क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) आदि बीमारियां रहती हैं, तो भी फेफड़े का पंक्चर होने जैसी समस्या होती है। इन कारणों से होने वाले लंग पंक्चर को सेकेंड्री स्पॉन्टेनीयस निमोथोरेक्स कहते हैं।
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पंक्चर लंग होना एक असामान्य स्वास्थ्य स्थिती है। भारत में ये 10 लाख से भी कम लोगों में पाया जाता है। जिसके लिए या तो दुर्घटना या तो फेफड़े की कोई बीमारी जिम्मेदार होती हैं। महिलाओं की तुलना पुरुषों में लंग के पंक्चर होने का जोखिम ज्यादा होता है। ज्यादातर पुरुषों में प्राइमरी स्पॉन्टेनीयस निमोथोरेक्स ज्यादा होता है। यह समस्या 20 से 40 साल के उम्र के बीच के पुरुषों में ज्यादा देखी जाती है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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फेफड़े के पंक्चर (Punctured Lung) पर निम्न लक्षण सामने आते हैं :
अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही पंक्चर लंग से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर पंक्चर लंग के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
निमोथोरेक्स होने के निम्न कारण हैं :
चेस्ट इंजरी : किसी भी तरह से सीने में सीधे चोट लगने के कारण लंग कोलैप्स हो जाता है। जिसमें सड़क या कार दुर्घटना शामिल है। कुछ मामलों में सीने में नीडिल से कोई भी मेडिकल प्रक्रिया करते हैं, तो भी लंग कोलैप्स हो जाता है।
फेफड़े की बीमारी : फेफड़े की बीमारी के कारण लंग टिश्यू डैमेज हो जाते हैं। जिसके कारण लंग कोलैप्स होने का खतरा ज्यादा रहता है। जैसे- निमोनिया, अस्थमा, लंग कैंसर या क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) आदि।
एयर ब्लिस्टर के फटने के कारण : छोटे एयर ब्लिस्टर यानी की हवा के फफोले फेफड़ों के ऊपरी सतह पर पाए जाते हैं। ये फफोले कभी-कभी फूट जाते हैं, जिसके कारण फेफड़ों के बाहर हवा निकलने लगती है। जिससे लंग कोलैप्स हो जाता है।
मेकेनिकल वेंटिलेशन : मेकेनिकल वेंटिलेशन के कारण भी निमोथोरेक्स हो जाता है। क्योंकि वेंटिलेशन में एयर प्रेशर अनियमित हो जाता है जिसके कारण लंग पूरी तरह से कोलैप्स हो सकता है।
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लंग कोलैप्स (Punctured Lung) का जोखिम निम्न मामलों में ज्यादा बढ़ जाता है :
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
निमोथोरेक्स का निदान करने के लिए सामान्यतः चेस्ट का एक्स-रे किया जाता है। इसके अलावा कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (CT Scan) या अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि आपका फेफड़ा कहां से डैमेज या पंक्चर हुआ है।
लंग कोलैपस्ड का इलाज उसकी स्थिति के आधार पर किया जाता है। इस बात को दूसरे शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं कि कई बार लंग कोलैपस्ड होने पर लक्षण सामने नहीं आते हैं और कभी लक्षण सामने आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में इलाज अलग-अलग होते हैं।
लंग कोलैपस्ड (Punctured Lung) का इलाज : जब लक्षण नहीं दिखाई देते हैं
जब लक्षण सामने नहीं आते है तो ऐसे में डॉक्टर का यह मानना होता है कि लंग का छोटा हिस्सा ही कोलैपस्ड हुआ है। इस स्थिति में किसी खास ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। डॉक्टर दवाओं के द्वारा फेफड़े को फैलाने की कोशिश करते है। साथ ही ऑक्सीजन की कमी होने पर सप्लीमेंट ऑक्सीजन तब तक देते हैं, जब तक लंग नॉर्मल न हो जाएं।
लंग कोलैपस्ड का इलाज : जब लक्षण दिखाई देते हैं
जब लंग कोलैपस्ड के लक्षण सामने आते हैं, जैसे- सांस लेने में समस्या आदि तो ऐसे में चेस्ट ट्यूब की मदद ली जाती है। चेस्ट ट्यूब को फेफड़ों में डाल कर उसे खोलने की कोशिश की जाती है। इस प्रक्रिया के लिए डॉक्टर एक खोखली सुई को प्ल्यूरा स्पेस में डालते हैं, जिसकी मदद से प्ल्यूरा स्पेस में मौजूद हवा को निकाला जाता है। अगर फेफड़ा ज्यादा कोलैप्स हो गया है तो इसके लिए ज्यादा दिनों तक चेस्ट ट्यूब को लगा कर फेफड़े को ठीक करने का प्रयास किया जाता है।
लंग कोलैपस्ड के लिए सर्जरी
लंग कोलैपस्ड के लिए सर्जरी उस स्थिति में की जाती है, जब फेफड़े की स्थिति गंभीर होती है। तब डॉक्टर सर्जरी करते हैं। इसमें चेस्ट में छोटा चीरा लगा कर फाइबर ऑप्टिक कैमरे से लैस एक सर्जिकल टूल डाला जाता है। जिसकी मदद से स्क्रीन में देख कर फूटे हुए ब्लिस्टर्स को बंद किया जाता है। बहुत रेयर मामलों में सर्जन पसलियों के बीच से लंबा चीरा लगाते हैं। ये उस स्थिति में किया जाता है, जिसमें जब ज्यादा मात्रा में फेफड़े से हवा बाहर निकलने लगती है।
फेफड़े के पंक्चर होने का फिलहाल कोई घरेलू इलाज नहीं है। लेकिन आप अपनी जीवनशैली में बदलाव कर के लंग कोलैपस्ड से बच सकते हैं। इसके लिए तंबाकू और धूम्रपान से दूर रहना होगा। उन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए जिनसे आपको फेफड़े से बीमरियां हो सकती हैं।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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