परिचय
क्रोनिक किडनी डिजीज क्या है?
क्रोनिक किडनी डिजीज को क्रोनिक किडनी फेलियर भी कहा जाता है। किडनी का काम होता है खून को फ़िल्टर करना। लेकिन अगर कोई व्यक्ति क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित है तो उसकी किडनी खून फ़िल्टर नहीं कर पाती। “क्रोनिक किडनी डिजीज’ शब्द का अर्थ है किडनी को होने वाला स्थायी नुकसान या स्थिति, जो समय के साथ बदतर हो सकती है। अगर यह स्थिति बहुत अधिक खराब हो जाए तो किडनी काम करना बंद कर सकती है। इसे किडनी फेलियर और एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) भी कहा जाता है। अगर किसी की किडनी ख़राब हो जाती है तो उसे जीवित रहने के लिए डायलिसिस कराने या किडनी ट्रांसप्लांट कराने की आवश्यकता पड़ती है। यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका में लगभग 37 मिलियन लोग इस समस्या से पीड़ित हैं।
लक्षण
क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण क्या हैं?
अगर किसी व्यक्ति को क्रोनिक किडनी डिजीज है, तो उसमे निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं जैसे:
- खुजली
- मांसपेशियों में ऐंठन
- मतली और उल्टी
- भूख न लगना
- पैरों और टखनों में सूजन
- बहुत अधिक मूत्र आना या पर्याप्त मूत्र नहीं होना
- सोने में परेशानी होना
अगर आपकी किडनी एकदम काम करना बंद कर दें तो आप इन लक्षणों को महसूस कर सकते हैं:
- पेट में दर्द
- पीठ में दर्द
- डायरिया
- बुखार
- नाक से खून आना
- रेशेस
- उल्टियां
- अपच
- अनिद्रा
- छाती में दर्द
- हाई ब्लड प्रेशर
ऊपर दिए लक्षणों में से एक या एक से अधिक लक्षण गंभीर किडनी समस्या का प्रतीक है। अगर आपको इन में से कोई भी लक्षण देखने को मिले तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
कारण
क्रोनिक किडनी डिजीज के क्या कारण हैं?
- हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) और डायबिटीज किडनी से संबंधित रोगों का मुख्य कारण हैं। हाई ब्लड प्रेशर किडनी फेलियर के कुल मामलों में एक चौथाई मामलों का कारण है।
- डायबिटीज भी सभी मामलों में से एक-तिहाई मामलों का कारण है। यही नहीं, ज्यादातर डायबिटीज विकसित देशों में ESRD (End-Stage Renal Disease) का सबसे आम कारण है।
- अन्य कम सामान्य स्थितियों में सूजन (ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस) या संक्रमण (पायलोनेफ्राइटिस) भी किडनी की समस्या का कारण हैं।
क्रोनिक किडनी डिजीज के कुछ अन्य कारण इस प्रकार हैं:
- अंतरालीय नेफ्रैटिस किडनी की नलिकाओं और आसपास की संरचनाओं की सूजन
- पॉलीसिस्टिक किडनी रोग
- बढ़े हुए प्रोस्टेट, गुर्दे की पथरी और कुछ कैंसर जैसी स्थितियां।
- वेसिकोइरेरल रिफ्लक्स (Vesicoureteral reflux)
- आवर्तक गुर्दे का संक्रमण (Recurrent kidney infection), जिसे पायलोनेफ्राइटिस (Pyelonephritis) भी
कहा जाता है।
जोखिम
क्रोनिक किडनी डिजीज के जोखिम क्या हैं?
इन स्थितियों में क्रोनिक किडनी डिजीज का जोखिम बढ़ सकता है
- दिल संबंधी रोग
- हाई ब्लड प्रेशर
- कार्डियोवैस्कुलर रोग
- स्मोकिंग
- डायबिटीज
- मोटापा
- परिवार में अगर किडनी रोग का इतिहास हो
- अगर आप अफ्रीकन -अमेरिकन, एशियाई-अमेरिकन या अमेरिका के निवासी हैं
- अगर आपकी उम्र अधिक है
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उपचार
क्रोनिक किडनी डिजीज के उपचार क्या हैं?
क्रोनिक किडनी डिजीज के निदान का सबसे पहले कदम है, डॉक्टर आपसे आपकी निजी और पारिवारिक हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इस के अलावा, आपके डॉक्टर आपसे पूछ सकते हैं कि कहीं आप उच्च ब्लडप्रेशर का शिकार तो नहीं हैं? इसके साथ ही आपसे यह सवाल भी पूछे जा सकते हैं, जैसे:
- क्या आपने कोई ऐसी दवा ली है जो गुर्दे की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है?
- यदि आपने अपनी मूत्र संबंधी आदतों में बदलाव देखा है, और क्या आपके परिवार के सदस्यों को किडनी की बीमारी है?
- इसके बाद आपकी शारीरिक जांच की जायेगी। आपके दिल या रक्त वाहिकाओं की समस्याओं के लक्षणों की जाँच की जायेगी, और एक न्यूरोलॉजिकल टेस्ट भी कराया जा सकता है।
- आपके कुछ ब्लड, यूरिन, इमेजिंग टेस्ट्स आदि भी कराये जा सकते हैं। कुछ रोगियों के किडनी टिश्यू के नमूने ले कर उनसे किडनी बीओप्सी भी कराई जा सकती है।
उपचार
क्रोनिक किडनी डिजीज के पूरी तरह से उपचार नहीं किया जा सकता। लेकिन कुछ थेरपीस से इसके लक्षणों और जटिलताओं आदि को दूर किया जा सकता है और रोग को बढ़ने से भी रोका जा सकता है।
क्रोनिक किडनी डिजीज के रोगियों को आमतौर पर अधिक मात्रा में दवाईयों की जरूरत पड़ती है। इस उपचार में यह सब शामिल है:
एनीमिया उपचार
हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में पाया जाने वाला वो तत्व है जो ऑक्सीजन को शरीर के अंगों तक पहुंचाता है। अगर इसका लेवल कम है तो रोगी को एनीमिया हो सकता है। किडनी की बीमारी के रोगी को आमतौर पर आयरन की खुराक लेनी होती है जिसे वो रोजाना गोलियों या कभी-कभी इंजेक्शन के रूप में ले सकता है।
फॉस्फेट संतुलन
जिन लोगों को किडनी संबंधी रोग है ,उनके शरीर से फॉस्फेट को बाहर निकालने में मुश्किल होती है। ऐसे में रोगी को फॉस्फेट को कम मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है जैसे रेड मीट, अंडे, मछली, दूध और दूध से बने उत्पाद आदि।
उच्च रक्तचाप
क्रोनिक किडनी डिजीज के रोगियों में उच्च रक्तचाप की समस्या आम है। किडनी को कोई नुकसान न हो इसके लिए रक्तचाप को कम करना आवश्यक है और इससे धीरे-धीरे रोग को कम किया जा सकता है।
त्वचा में खारिश
एंटीहिस्टामाइन, जैसे कि क्लोरफेनीरामिन (Chlorpheniramine) , खुजली के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है।
एंटी-सिकनेस दवाईयां
अगर शरीर में हानिकारक तत्वों का निर्माण अधिक हो जाता है तो किडनी अच्छे से काम नहीं करती और रोगी बीमार महसूस करता है। साइक्लीज़ीन या मेटोक्लोप्रामिड (Metoclopramide) जैसी दवाएं बीमारी से राहत दिलाने में मदद करती हैं।
NSAIDs (Non-steroidal) एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स)
NSAIDs,जैसे एस्पिरिन या आइबूप्रोफेन का सेवन न करें या तभी लें जब इसे लेने की सलाह डॉक्टर दे।
अंतिम चरण का उपचार
जब किडनी अपनी क्षमता से 10-15 प्रतिशत कम कार्य करे तो उस समय अंतिम चरण के उपचार की आवश्यकता होती है। सही आहार, दवाईयां और उपचार इसमें फायदेमंद हैं। इसके साथ ही अंतिम चरण में रोगी को जीवित रहने के लिए किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है।
किडनी डायलिसिस
किडनी डायलिसिस दो तरह के होते हैं यह इस प्रकार हैं
हेमोडायलिसिस : इसमें खून को रोगी के शरीर के बाहर पम्प्ड आउट किया आता है और यह एक डायलाइज़र के माध्यम से निकलता है। रोगी एक हफ्ते में तीन बार हेमोडायलिसिस से गुजरता है और इसका हर सेशन लगभग तीन घंटे तक रहता है।
पेरिटोनियल डायलिसिस: पेरिटोनियल डायलिसिस (पीडी) एक उपचार है जिसमे रोगी के पेट (बेली एरिया) की लाइनिंग का उपयोग किया जाता है, जिसे पेरिटोनियम कहा जाता है, और इसके साथ रोगी के खून को साफ करने के लिए डायलिसेट नामक क्लीनिंग सलूशन का भी प्रयोग किया जाता है।
किडनी ट्रांसप्लांट
किडनी ट्रांसप्लांट अंतिम चरण के किडनी फेलियर ज्यादातर रोगियों के लिए सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन इसके लिए रोगी की उम्र कम होने चाहिए, उसे कोई गंभीर हृदय का रोग नहीं होना चाहिए, न ही उसे कोई अन्य गंभीर बीमारी होनी चाहिए। हर व्यक्ति के शरीर में दो किडनी होती है और अगर एक स्वस्थ डोनर अपनी एक किडनी रोगी को दे दे तो उसका रोगी के शरीर में ट्रांसप्लांट कर के रोगी की जान बचाई जा सकती है।
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घरेलू उपचार
क्रोनिक किडनी डिजीज के घरेलू उपचार क्या हैं?
- अगर आपको क्रोनिक किडनी डिजीज है, तो आप कम नमक वाला आहार खाएं।
- अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखें, अपने डॉक्टर से जाने कि आपका ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए।
- अगर आपको डायबिटीज है तो अपनी ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखें।
- अल्कोहल और स्मोकिंग से बचे।
- ऐसा खाना खाएं जो आपके हार्ट के लिए अच्छा हो जैसे फल, सब्जियां, अनाज और लौ फैट डेयरी फ़ूड आदि।
- अगर आपका वजन अधिक है तो वजन कम करे।
- रोजाना 30 मिनटों तक व्यायाम करें।
- अपने डॉक्टर से ऐसी दवाईयों के बारे में पूछें जिनसे आपकी किडनी की सुरक्षा हो सके।