आईवी इंफ्यूजन (IV infusion)
इंट्रावेनस इंजेक्शन का तीसरा प्रकार है आईवी इंफ्यूजन। इस तरीके से डोज को नियमित और संतुलित मात्रा में मरीज की नसों में पहुंचाया जाता है। इसके भी दो प्रकार है, जिसमें से एक में प्राकृतिक ग्रैविटी की मदद से डोज दिया जाना और पंप की मदद से डोज देना शामिल है।
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इंट्रावेनस इंजेक्शन के साइड इफेक्ट/दुष्प्रभाव क्या हैं?
आमतौर पर इंट्रावेनस इंजेक्शन सुरक्षित होते हैं, लेकिन कई मामलों में इसके सामान्य से लेकर गंभीर साइड इफेक्ट देखने मिल सकते हैं। जिस तरह से इंट्रावेनस इंजेक्शन नसों में जाकर तेजी से असर करते हैं, ठीक उसी तरह भी इसके दुष्प्रभाव तेजी से नजर आते हैं। इंट्रावेनस इंजेक्शन के निम्नलिखित साइड इफेक्ट हो सकते हैं:-
नसों को क्षति पहुंचना
कई बार इंट्रावेनस इंजेक्शन का प्रयोग नसों के लिए खतरनाक हो सकता है। दवा लीक होने से आसपास के टिश्यु को क्षति पहुंचने के साथ-साथ नसों में जलन, दर्द व कुछ रेंगने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर को सभी लक्षण तुरंत बताने की आवश्यक्ता होती है।
ब्लड क्लॉट होना
कई बार इसकी वजह से ब्लड क्लॉट होने की समस्या भी होती है। ब्लड क्लॉट यानी खून के थक्के जमना। यह एक बेहद गंभीर साइड इफेक्ट है क्योंकि ब्लड क्लॉट की वजह से नसों में खून जमजाता है और इससे मौत भी हो सकती है।
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एयर एम्बॉलिज्म (Air Embolism, हवा जाना)
यह भी एक गंभीर स्थिति है। अगर सिरिंज या इंट्रावेनस ट्यूब में एयर बबल या हवा चली जाए और यह नस के भीतर पहुंच जाए तो मरीज के लिए ये स्थिति जानलेवा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एयर बबल नसों और खून के जरिए दिल तक पहुंच सकता है और वहां पहुंचने पर व्यक्ति को हार्ट अटैक या स्ट्रोक आ सकता है।
संक्रमण/इंफेक्शन
इंट्रावेनस इंजेक्शन का ये बेहद सामान्य साइड इफेक्ट है। जिस जगह पर इंजेक्शन दिया गया हो वहां साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। जरा सी लापरवाही की वजह से मरीज को इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। त्वचा में जलन, खुजली और सूजन संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं।