परिभाषा
डिस्टोनिया (Dystonia) क्या है ?
डिस्टोनिया की स्थिति में मांसपेशियां बेकाबू हो जाती हैं और उनमें बहुत अधिक खिंचाव और सिकुड़न होने लगती है। शरीर के प्रभावित अंग में अकड़न और अपने आप उसकी बनावट बदलने लगती है। डिस्टोनिया शरीर की एक नस या फिर बहुत सारी मांसपेशियों को एक साथ भी प्रभावित कर सकती है। कई मामलों में पूरा शरीर भी प्रभावित हो सकता है।
डिस्टोनिया (Dystonia) होना कितना आम है?
पूरी जनसंख्या में से लगभग 1 प्रतिशत लोग डिस्टोनिया से पीड़ित हैं। महिलाओं में इसके होने की संभावना पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा होती है। किसी भी और जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
लक्षण
डिस्टोनिया (Dystonia) के क्या लक्षण हो सकते हैं ?
शुरुआत में डिस्टोनिया के लक्षण हल्के हो सकते हैं लेकिन समय के साथ ये गंभीर हो जाएंगे। डिस्टोनिया शरीर के एक हिस्से से होते हुए शरीर के बाकी सभी अंगों को धीरे-धीरे प्रभावित करता है। डिस्टोनिया के शुरुआती लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
- पैर को घसीटकर चलना।
- पैर में मोच आना।
- गले में खिंचाव होना।
- बहुत ज्यादा पलकें झपकना।
- बोलने में परेशानी होना।
तनाव और थकान की वजह से ये लक्षण और बढ़ सकते हैं। डिस्टोनिया से पीड़ित मरीज मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से थकान और दर्द की शिकायत करते हैं।
अगर किसी को डिस्टोनिया बचपन में होता है तो लक्षण पहले हाथों और पैरों को प्रभावित करेंगें और धीरे -धीरे पूरे शरीर में नजर आने लगते हैं। अगर डिस्टोनिया युवावस्था की शुरुआत में होता है तो ये शरीर के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करेगा और इसके लक्षण पूरे शरीर को प्रभावित नहीं करेंगे। युवावस्था में ये बीमारी सेग्मेंटल (Segmental) या केंद्रित (Focal) हो जाती है, जिसका मतलब ये है कि ये शरीर के किसी एक हिस्से या किसी एक अंग को ही प्रभावित करेगी।
आपको अपने डॉक्टर से कब मिलना चाहिए ?
अगर आपको इनमें से कोई संकेत या लक्षण दिखाई देते हैं तो अपने डॉक्टर से जरूर मिलें। हर व्यक्ति का शरीर अलग स्थिति में अलग तरह से व्यवहार करता है इसलिए अपने अनुसार सही इलाज के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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कारण
डिस्टोनिया (Dystonia) के क्या कारण हो सकते हैं ?
डिस्टोनिया के सटीक कारण के बारे में बता पाना मुश्किल है। लेकिन मस्तिष्क में पाई जाने वाली नर्व सेल्स में खराबी की वजह से डिस्टोनिया होना आम है। डिस्टोनिया कई बार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में भी जा सकता है।
डिस्टोनिया किसी और बीमारी के लक्षण के रूप में भी प्रभाव डाल सकता है जैसे कि :
- पार्किंसंस डिजीज (Parkinson’s Disease)
- हंटिंग्टन डिजीज (Huntington Disease)
- विल्सन डिजीज (Wilson Disease)
- दिमागी चोट
- जन्म से होने वाली चोट।
- स्ट्रोक होना।
- पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम (Paraneoplastic Syndrome)
- कार्बन मोनोऑक्साइड की वजह से ऑक्सीजन की कमी होना।
- टीबी (Tuberculosis) या एंसेफलाइटिस (Encephalitis) का संक्रमण होना।
- हैवी मेटल की वजह से संक्रमण का बढ़ना या फिर दवाओं का गलत प्रभाव होना।
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खतरे
डिस्टोनिया के खतरे को क्या बढ़ा देता है ?
डिस्टोनिया (Dystonia) बहुत से कारणों की वजह से बढ़ सकता है जैसे कि :
- जेनेटिक प्रेडिस्पोसिशन (Genetic Predisposition)
- मस्तिष्क की नर्व सेल्स में चोट लगने की वजह से भी डिस्टोनिया हो सकता है।
- स्ट्रोक (Stroke)
- न्यूरोलेप्टिक्स (Neuroleptics) की दवाएं लेना।
- बैक्टीरियल, फंगल और वाइरल संक्रमण।
- लेड पोइसनिंग(Poisoning)
- हाथों के प्रतिबंधित होने से भी डिस्टोनिया का खतरा हो सकता है। तबलावादक, चित्रकार और इंजीनियर हाथों का प्रतिबंधित उपयोग करते हैं, जिसकी वजह से डिस्टोनिया हो सकता है।
जांच और इलाज
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है। सटीक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
डिस्टोनिया (Dystonia) की जांच कैसे की जा सकती है ?
आपकी शारीरिक जांच और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर डिस्टोनिया का पता लगाया जा सकता है। आपके लक्षणों का क्या मतलब है? या फिर आपको डिस्टोनिया है या नहीं इसका पता इन टेस्ट से लगाया जा सकता है :
खून की जांच या यूरिन टेस्ट : इस टेस्ट से शरीर में दिखने वाले लक्षणों का कारण पता लगाया जा सकता है।
MRI (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग ) या फिर CT (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) : मस्तिष्क में किसी प्रकार की असमानता, ट्यूमर या फिर स्ट्रोक की स्थिति को इन तकनीकों से देखा जा सकता है।
इलेक्ट्रोमायोग्रफी(Electromyography)(EMG): मांसपेशियों में कितनी इलेक्ट्रिकल सक्रियता है इसकी जांच इस तकनीक से की जा सकती है।
डिस्टोनिया (Dystonia) का इलाज क्या हो सकता है ?
दवाइयों, थेरेपी और सर्जरी की मदद से मांसपेशियों में खिचाव का इलाज किया जा सकता है।
दवाइयां
- मांसपेशियों में बोटॉक्स ( Botox ) का इंजेक्शन देने से खिचाव कम किया जाता है साथ ही शरीर की असामान्य संरचना का इलाज भी संभव है।
- ये इंजेक्शन आपको तीन से चार महीने के अंतराल पर लेना पड़ेगा ।
- इस इंजेक्शन के कुछ हानिकारक प्रभाव भी हो सकते हैं जैसे कि मुंह सूखना, कमजोरी होना या फिर आवाज में बदलाव आना। कुछ और भी दवाएं हैं जो कि मस्तिष्क के न्यूरोट्रांस्मिटर्स (Neurotransmitters) को प्रभावित करने वाली भी कुछ दवाएं हैं जैसे कि :
- कार्बिडोपा -लेवोडोपा (Carbidopa -Levodopa)(डुओपा (Duopa) रायटरी (Rytary)) । इन दवाओं की मदद से डोपामाइन(Dopamine) का स्तर बढ़ जाता है।
- ट्राईहेक्साफेनिडिल (Trihexyphenidyl), बेंजट्रोपीन( Benztropine ) – ये दवाएं डोपामाइन के अलावा न्यूरोट्रांसमीटर पर प्रभाव डालती हैं। इसके और भी कई हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि याद्दाश जाना , धुंधला दिखाई देना और नींद आना। इसके अलावा मुँह सूखने और अपच जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- टेट्राबेनजिन (Austedo , Xenazine) इन दवाओं से डोपामाइन के स्तर को कम किया जा सकता है। इसके और भी कई हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि नशे जैसा होना, घबराहट होना, नींद न आना, डिप्रेशन होना।
- डायजेपाम (वैलियम), क्लोनाजीपं (क्लोनोपिन) और बक्लोफिन (लिओरेसल (Lioresal), गब्लोफिन (Gablofen)) – इन दवाओं की मदद से भी डिस्टोनिया का इलाज किया जा सकता है। इसके बहुत ज्यादा हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं और आपको नींद भी आ सकती है।
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थेरेपी
डॉक्टर आपको ये सलाह भी दे सकते हैं :
- लक्षणों को कम करने के लिए और काम करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए शारीरिक थेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी से इलाज किया जा सकता है।
- अगर आपकी आवाज प्रभावित है तो स्पीच थेरेपी भी करवाई जा सकती है।
- मांसपेशियों को आराम देने के लिए और दर्द से राहत के लिए स्ट्रेचिंग और मसाज करवाई जा सकती है।
सर्जरी
अगर आपकी स्थिति गंभीर है तो आप सर्जरी भी करवा सकते हैं :
डीप ब्रेन स्टिम्यूलेशन : इलेक्ट्रोड्स को आपके दिमाग के किसी एक हिस्से में लगाया जाएगा और इन्हें सीने में लगे हुए जनरेटर से फिर एक बार जोड़ा जाएगा। जनरेटर इलेक्ट्रिकल सिग्नल दिमाग को भेजेगा जिससे कि मांसपेशियों की अकड़न को नियंत्रित किया जा सके।
सिलेक्टिव डी नर्वेशन सर्जरी : इस सर्जरी में मांसपेशियों के स्पाज्म (Muscle Spasm )को नियंत्रित किया जा सकता है। ये सर्जरी बाकी थेरेपी के मुकाबले डिस्टोनिया के इलाज का एक गुणकारी तरीका है।
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपाय
जीवनशैली में किन बदलावों और घरेलू नुस्खों की मदद से डिस्टोनिया को नियंत्रित किया जा सकता है?
- चिन या प्रभावित भाग को छूकर स्पाज्म (spasm ) को नियंत्रित किया जा सकता है।
- मांसपेशियों में दर्द रोकने के लिए गर्म या फिर ठंडी सेकाई की जा सकती है।
- तनाव को नियंत्रित रखने से , मन में अच्छे ख्याल रखने से , खुश रखने से और सामाजिक रूप से सुखी रहने पर भी आप स्वस्थ्य रह सकते हैं।
किसी भी और सवाल या जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी चिकित्सा परामर्श , जांच या इलाज की सलाह नहीं देता है।
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