शिशु के जन्म के बाद उसे कितना दूध देना चाहिए, इसे बारे में पहले ही डॉक्टर से जानकारी लें। जन्म के बाद पहले हफ्ते से शिशु को उसकी जरूरत के अनुसार हर तीन से चार घंटे में दूध पिलाना चाहिए। इसके बाद इसकी मात्रा बढ़ानी चाहिए। शिशु को जरूरत ने अधिक मात्रा में दूध न दें। इसमें रूल और थंब रूल अप्लाई होता है। बच्चे को एक दिन में उनके 500 ग्राम बॉडी वेट के अनुसार 50 ग्राम फॉर्मूला या दूध देना चाहिए। अगर बच्चे का वजन चार किलोग्राम है, तो उन्हें रोजाना 500 से 600 ग्राम फॉर्मूला दिया जा सकता है। यह केवल एक रफ आइडिया है। हर शिशु अलग होता है, ऐसे में उनकी जरूरतें भी अलग हो सकती हैं। अब जानते हैं कि शिशु के लिए किस तरह की बॉटल का इस्तेमाल करना चाहिए?
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बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) – किस तरह की बॉटल चुनना चाहिए?
अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छी बॉटल और निप्पल चुनना, बाजार में उपलब्ध विकल्पों के कारण आपके लिए मुश्किल हो सकता है। आपके शिशु के लिए सही बॉटल के लिए आप अपने मित्रों से सलाह ले सकते हैं, ऑनलाइन बॉटल्स का रिव्यु जान सकते हैं, रिसर्च कर सकते हैं या डॉक्टर व एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं। बॉटल और निप्पल के सही कॉम्बिनेशन को ढूंढना आपके लिए प्राथमिकता हो सकती है और यह शिशु की पसंद पर भी निर्भर करता है। जैसे कुछ बच्चे एक सर्टेन निप्पल शेप या बॉटल की किस्म पसंद करते हैं। अब जानते हैं ब्रेस्ट से बॉटल की वीनिंग के बारे में।
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ब्रेस्ट से बॉटल की वीनिंग
क्या आप अपने शिशु के लिए वीनिंग के लिए तैयार हैं? वीनिंग यानी शिशु को ब्रेस्टफीडिंग से बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) की तरफ स्विच करना। यह प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल हो सकती है। लेकिन इसके लिए आपको कुछ प्रयास करने होंगे। क्योंकि, बच्चे एकदम बॉटल का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते हैं। इसके लिए आप कुछ चीजों का खास ध्यान रखें, जैसे:इस प्रोसेस में जल्दबाजी न करें। धीरे-धीरे शिशु को ब्रेस्ट से बॉटल की तरफ स्विच करें। अपने शिशु को इसके लिए पूरा समय दें। इससे शिशु को एडजस्ट होने में समय मिलेगा। जब बात बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) की आती है तो हर शिशु इसे लेकर अलग-अलग तरह से रियेक्ट करता है। इस बारे में अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो डॉक्टर से अवश्य जानें।