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इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगी छोटे बच्चे के पेट में समस्या

इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगी छोटे बच्चे के पेट में समस्या

ब्रेस्टफीडिंग और पेट की समस्या का सीधा संबंध है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चों को ठीक से डकार न दिलाने या फिर गैस की समस्या होने पर पेट में दर्द हो सकता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। साथ ही फॉर्मुला मिल्क में पाउडर और पानी की सही मात्रा न होने पर भी बच्चे के पेट में समस्या हो सकती है।

दूध पिला देने और डायपर चेंज करने के बाद भी अगर बच्चा रो रहा है तो इसका सीधा मतलब है कि बच्चे के पेट में कोई समस्या है। बच्चे के पेट में समस्या होने का अंदाजा मां उसके रोने के तरीके से लगाती है। जब बच्चे को कोई समस्या न हो और वो फिर भी रो रहा हो तो पेट की समस्या हो सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि बच्चे के पेट में समस्या से निपटने के लिए क्या किया जाए ?

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पाचन तंत्र और बच्चे की मालिश

पाचन तंत्र और मालिश का संबंध बच्चे के पेट से है। बच्चे के पेट में समस्या है तो मालिश करके भी उसे सही किया जा सकता है। बच्चे का पेट पूर्ण रूप से परिपक्व नहीं होता। नैचुरल तरीकों को अपनाकर बच्चे के पेट की समस्या को ठीक किया जा सकता है। चेहरे, पेट, त्वचा और अंगों पर करीब 15 मिनट तक मध्यम प्रेशर वाली मालिश करना बच्चे के लिए उपयोगी साबित होगा। हो सकता है कि डॉक्टर आपको इस बारे में सजेस्ट न करें। मालिश करने से बच्चे की ग्रोथ अच्छी होती है और साथ ही पाचन तंत्र भी सही रहता है।

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चुने प्रोबायोटिक्स फॉर्मुला मिल्क

अगर आप बच्चे को ब्रेस्टफीड नहीं करा रही हैं तो उसके लिए प्रोबायोटिक्स फॉर्मुला मिल्क जरूर चुनें। फॉर्मुला मिल्क बनाते समय भी ध्यान रखने की जरूरत होती है। सही मात्रा में पाउडर और पानी को मिलाना बहुत जरूरी होती है। अगर पाउडर की मात्रा ज्यादा और पानी की मात्रा कम कर दी जाती है तो बच्चे को दस्त की समस्या भी हो सकती है। उचित रहेगा कि बच्चे के पेट में समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें और फिर फॉर्मुला मिल्क के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

फॉर्मुला मिल्क पीने वाले बच्चों में सही मात्रा में दूध न बनाए जाने के कारण बच्चे में पेट की समस्या मुख्य रूप से देखने को मिलती है।

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ज्यादा दूध से हो सकती है बच्चे के पेट में समस्या

बच्चे को ब्रेस्ट मिल्क पिलाना उसकी सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। कई बार न्यू मॉम को नहीं पता होता है कि बच्चे को कितना दूध पिलाना सही रहेगा। इसलिए मां बच्चे को अधिक मात्रा में ब्रेस्टफीड करवा देती है। ऐसा करने से बच्चे के पेट में समस्या हो सकती है। बच्चे को अधिक गैस बन सकती है जो दर्द का कारण बन जाता है। ऐसा ही बोतल से दूध देते समय भी हो सकता है। बच्चा दो घंटे के अंतराल में थोड़ा दूध पीता है, वहीं चार घंटे के अंतराल में अधिक दूध पीता है। आप चाहे तो इस बारे में लैक्टेशन कंसल्टेंट से भी राय ले सकती है।

पेट में गैस

जब बच्चे के पेट में गैस होती है तो वह रोने लगता है। अक्सर मां समझ नहीं पाती है कि बच्चे को क्या तकलीफ है? ऐसे में बच्चे के पेट पर हाथ रखकर देखें कि कहीं उसका पेट टाइट तो नहीं है। यदि ऐसा है तो बच्चे के पेट में गैस की समस्या हो सकती है। कई बार बच्चा जब तेजी से दूध पीता है तो ज्यादा मात्रा में हवा भी बच्चे के पेट के अंदर चली जाती है। इस कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।

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फीडिंग के समय रखें ध्यान

ब्रेस्टफीडिंग के समय अचानक से तेज आवाज, तेज रोशनी या फिर बच्चे को चौंकाने वाली गतिविधियों से दूर रखें। बच्चे के पेट में समस्या को कम करने के लिए ये उपाय भी अपनाकर देखें। बच्चा जब अचानक से डर जाता है तो उसे रोना आ जाता है या फिर दूध गले में भी फंस सकता है। ऐसे में खांसी के साथ ही पेट की समस्या भी हो सकती है। फीडिंग के लिए शांत वातावरण चुनें।

बच्चा जब बहुत तेजी से भूखा होता है तो तेजी से मां के स्तन से दूध खींचता है। बच्चे को एक घंटे के अंतराल में दूध पिलाती रहे ताकि उसे अचानक से भूख न लगें। जब बच्चा तेजी से दूध पीता है तो भी उसके पेट में हवा जा सकती है जो दर्द का कारण बन सकती है। अगर बच्चा समय पर दूध नहीं पी रहा है तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

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अपने आहार पर ध्यान दें

आप जो भी खा रही हैं, बच्चा ब्रेस्टफीड के समय वही अपने पेट में दूध के माध्यम से ले रहा होता है। कुछ फल, हरी सब्जियां जैसे ब्रोकोली और ब्रसेल्स स्प्राउट्स, लहसुन आदि भी बच्चे के पेट में समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। उचित रहेगा कि इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद ही डिलिवरी के बाद अपनी डायट प्लान करें। ऐसा करने से बच्चे के पेट को राहत मिलेगी।

बच्चे के पेट में समस्या का मुख्य कारण मां के खानपान से भी संबंधित होता है। मां किसी भी प्रकार की समस्या होने पर एक बार डॉक्टर से संपर्क कर ये जरूर जान लेना चाहिए कि उसे बच्चे को दूध पिलाना चाहिए या फिर नहीं। अगर डॉक्टर दूध पिलाने के लिए मनाही करता है तो अन्य विकल्प के बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए।

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डिफरेंट पुजिशन में दिलाएं डकार

बच्चे को अगर दूध पिलाने के बाद एक बार में डकार नहीं आ रही है तो उसकी पुजिशन चेंज करनी चाहिए। बच्चे को गले लगाकर पीठ थपथपाना चाहिए। सबसे सही पुजिशन बच्चे को कंधे के सहारे रखकर डकार दिलाना है। आपको जैसे भी सुविधा लगे, वैसे उसे डकार दिला सकती है। डकार दिलाने से बच्चे के पेट में दर्द की समस्या नहीं होती है। जब बच्चे को डकार दिलाना भुला दिया जाता है तो बच्चे के पेट से दूध बाहर आ जाता है। या फिर बच्चा दूध पीने के कुछ दे बाद तक वॉमिट कर सकता है।

पेट के बल लिटाएं

बच्‍चे को अगर गैस की परेशानी होती है, तो उसे पेट के बल लिटा कर सुलाने की कोशिश करें। हालांकि, अगर आपको ऐसा लगे की पेट के बल लिटाने पर बच्चे को किसी तरह की समस्या हो रही है, तो ऐसा न करें। बच्‍चे को तकलीफ होने पर उसे वापस पीठ के बल लिटा दें।

शिशु का पैर चलाना

यह बहुत ही आसान होता है। जिसका बच्चे भी आनंद ले सकते हैं। इसके लिए शिशु को पीठ की तरफ से बिस्तर पर लिटाएं। इसके बाद दोनों हाथों से उनके पैर के पंजे पकड़े। फिर उनके पैरों के साइकिल चालने की तरह घुमाएं। यह तरीका बच्चे के पेट की गैस को खत्म करने के लिए काफी सुरक्षित और लाभकारी साबित हो सकती है। लेकिन याद रखें कि इसे प्रक्रिया को शिशु को भोजन कराने के तुरंत बाद कभी न करें।

छोटे बच्चे बोल नहीं सकते इसलिए आपको इन लक्षणों पर नजर रखनी होगी ताकि आप उनकी परेशानियों को समझ कर क्विक एक्शन ले सकें। नई मां के लिए यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन, कुछ दिनों में ही बच्चों की एक्टिविटीज समझ आने लगती हैं।

स्तनपान कराते समय बच्चे को कितना दूध पिलाना चाहिए और किस तरह से डकार दिलाना चाहिए, इस बात की जानकारी डॉक्टर से लें। बच्चे के पेट में समस्या है तो एक बार डॉक्टर से मिलकर इसका समाधान निकालें।

कब जाएं डॉक्टर के पास

अगर आपके द्वारा अपनाई गई सारी बातों के बाद के भी बच्चे के पेट में समस्या हो रही है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा, अगर आपको निम्न लक्षण दिखाई देते हैं, तो इन स्थितियों में भी आपको अपने डॉक्चर से संपर्क करना चाहिए। इनमें शामिल हैंः

  • शिशु को पेट में गैस के साथ उल्‍टी होना
  • तेज बुखार होना
  • दस्‍त लगना
  • सांस फूलना
  • बहुत ज्यादा रोना
  • दूध पीने से मना करना
  • चिड़चिड़ा होना

इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

23/12/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Bhawana Awasthi


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

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