- समय से पहले जन्म होने के कारण बच्चे की स्किन में ब्राउन फैट (brown fat) डेवलप नहीं हो पाता है। इस कारण से बच्चे की स्किन बेहत पतली और नाजुक होती है इसलिए उसे खास केयर की जरूरत होती है। कुछ बच्चों की पीलिया की समस्या भी हो जाती है। बिलीरुबिन ( bilirubin) नामक कम्पाउंड के कारण त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है। ये यौगिक रेड ब्लड सेल्स को तोड़ने का काम करता है। जिन बच्चों का जन्म समय से पहले होता है, उनका अविकसित लिवर बिलीरुबिन को प्रोसेस नहीं कर पाता है। पीलिया से ग्रस्त बच्चों को ठीक करने के लिए फोटोथेरिपी ( phototherapy) का इस्तेमाल किया जाता है।
- 24 सप्ताह के दौरान शिशु के लंग यानी फेफड़े और एयरवेज डेवलप होना शुरू होते हैं। ऐसे समय में शिशु का जन्म होने से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है और उन्हें सांस लेने में मदद की जरूरत होती है। इंक्यूबेटर में उन्हें छोटी ट्यूब की मदद से बच्चे सांस ले पाते हैं।
- 24 सप्ताह के दौरान बच्चे की आंखें बंद रहती हैं और उनका विकास हो रहा होता है। इस समय आईलिड और आंखें पूरी तरह से डेवलप नहीं हो पाती है। ऐसे में बच्चे की आंखों में सॉफ्ट कॉटन या गॉज टेप लगाने की जरूरत पड़ती है ताकि उन्हें प्रकाश से बचाया जा सके।
- बच्चे के कानों का विकास गर्भ में 18 सप्ताह के दौरान हो जाता है लेकिन 24 सप्ताह के दौरान शिशु के कान बहुत नाजुक होते हैं। इनमें बहरेपन की समस्या भी हो सकती है। साथ ही कान से जुड़ी अन्य समस्याओं का खतरा भी बना रहता है।
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प्रीमैच्योर बच्चे का जन्म: 26 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य
26 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे एक्सट्रीमली प्रीटर्म (extremely preterm) कहा जाएगा। कोहार्ट यूनिवर्सिटी की मानें तो ऐसे बच्चों का सर्वाइवल रेट 89 % रहता है। ऐसे बच्चों में लंग्स और एयर सेक कम विकसित होते हैं, जिसे एल्वियोली ( alveoli) कहते हैं। 26 सप्ताह में जन्म लेने वाले प्रीमैच्योर बेबी अपने आप सांस नहीं ले पाते हैं। ऐसे बच्चों को देखने में, सुनने में, समझने में समस्या होती है। ऐसे बच्चों में हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा भी बना रहता है।
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28 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य
28 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चों का स्वास्थ्य 26 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चों की अपेक्षा अच्छा होता है लेकिन इन बच्चों का सिर बड़ा हो सकता है। यूटा स्वास्थ्य विश्वविद्यालय के अनुसार,’ 28 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चों का सर्वाइवल रेट 80% से 90 % होता है। वहीं कुछ क्लीनिकल स्टडी में सर्वाइवल रेट 94% से 98% की बात कही गई है। करीब 10 % शिशुओं को लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशंस का सामना करना पड़ सकता है। जानिए कुछ परेशानियों के बारे में
- सांस लेने में समस्या
- इन्फेक्शन
- पेट संबंधी समस्याएं
- ब्लड प्रॉब्लम
- किडनी प्रॉब्लम
- ब्रेन और नर्वस सिस्टम प्रॉब्लम
30 से 32 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य
30 से 32 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे को प्रीटर्म माना जाता है। ऐसे बच्चों का सर्वाइवल रेट 99 परसेंट होता है। ऐसे बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा या कॉम्प्लीकेशन बहुत कम होता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
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34 से 36 सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे का स्वास्थ्य
34 से 36 सप्ताह के बीच जन्म लेने वाले बच्चों का सर्वाइवल रेट सबसे अधिक होता है। ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जोखिम कम रहता है। अगर ऐसे बच्चों की तुलना 40 सप्ताह में पैदा हुए बच्चों से की जाए, तो इनका वजन कम हो सकता है। साथ ही ये छोटे दिख सकते हैं। डॉक्टर 34 से 36 सप्ताह के बीच पैदा हुए बच्चों को करीब एक हफ्ते तक इंक्यूबेटर में रखने की सलाह देते हैं। आपको घबराने की जरूरत नहीं है। एक हफ्ते बाद आप बच्चे को घर लेकर जा सकते हैं।
अगर आपका बच्चा प्रीमैच्योर पैदा हुआ है, तो कई फैक्टर उसे सर्वाइवल रेट को प्रभावित कर सकते हैं। गर्भ में यदि बच्चा एक से दो सप्ताह अधिक तक रहता है, तो उसमें बहुत से परिवर्तन देखने को मिलते हैं। मेडिकल एडवांस हो चुका है, जिसके कारण प्रीमैच्योर बेबी के सर्वाइवल रेट में ग्रोथ हुई है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।