बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) यानी शिशु को बोतल से फीड कराना। बॉटल-फीडिंग कोई राकेट साइंस नहीं है और न ही शिशु को बॉटल-फीड कराना जरूरी है। यह माता-पिता की प्राथमिकता पर निर्भर करता है कि वो शिशु को बोतल से दूध या फॉर्मूला देना चाहते हैं या नहीं। कुछ बच्चे बॉटल से दूध बहुत आसानी से पीना शुरू कर देते हैं। लेकिन, कुछ बच्चों को इसमें कुछ समय लगता है। अगर आप अपने बच्चे के लिए बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) चुनते हैं तो याद रखें आपको कई चीजों का ध्यान रखना होगा। बॉटल की मदद से आप शिशु को दूध और फॉर्मूला दोनों दे सकते हैं। लेकिन, बॉटल का इस्तेमाल करने और इसकी आदत पड़ने में बच्चे को कुछ समय लग सकता है। आज हम बात करने वाले हैं शिशु को बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) के बारे में। इस बारे में सबसे पहले जानते हैं कि आपको इसकी शुरुआत कब करनी चाहिए?
शिशु को बॉटल कब देनी शुरू करनी चाहिए?
अगर शिशु के जन्म के बाद आप अपने बच्चे को किन्हीं कारणों से ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा रही हैं, तो आपको इसकी शुरुआत शिशु के जन्म के तुरंत बाद कर देनी चाहिए। अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि शिशु को बॉटल में दूध देने के लिए कुछ इंतजार करना चाहिए। असल में बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) ,ब्रेस्टफीडिंग के एस्टेब्लिशमेंट में बाधा ड़ाल सकती है। ऐसे में आप जब तक हो सके शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराएं। लेकिन, ऐसा माना जाता है कि अगर शिशु को उसके थोड़ा बड़े होने पर बॉटल दी जाए, तो शिशु बॉटल से दूध पीना पसंद नहीं करते हैं। अब पाएं जानकारी शिशु को बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) के स्टेप-बाय-स्टेप गाइडलायंस के बारे में।
बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) के स्टेप-बाय-स्टेप गाइडलायंस
शिशु को बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) से पहले आपके लिए कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। जानिए इन चीजों के बारे में:
- सबसे पहले ऐसी पोजीशन का चुनाव करें, जो आपके और आपके शिशु के लिए आरामदायक हो।
- बॉटल को हॉरिजॉन्टल एंगल में पकड़ें, ताकि शिशु आराम से दूध को सक (Suck) कर सके।
- इस बात का ध्यान रखें कि पूरे निप्पल में दूध भर जाए ताकि शिशु हवा को न निगले। इससे उसे गैस या अन्य परेशानियां हो सकती हैं।
- आप बच्चे को धीरे से डकार दिलाने के लिए हर कुछ मिनट में ब्रेक भी ले सकती है। यदि बच्चा फीड करते हुए असहज हो, तो इसका कारण गैस हो सकती है। ऐसे में थोड़ा रुकें और धीरे से बच्चे की पीठ को रब करें या थपथपाएं।
- अपने शिशु के साथ बांड बनाने का मौका न गवाएं। शिशु को नजदीक होल्ड करें, उनकी आंखों में देखें और इस फीडिंग टाइम को हैप्पी टाइम बनाएं।
- शिशु को बॉटल को खत्म करने में कुछ समय लग सकता है। ऐसे में सब्र रखें। अगर आपका बच्चा दूध पीने को तैयार न हो, तो जबरदस्ती न करें। शिशु को बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) में इस बात का ख्याल अवश्य रखें। अब जानते हैं फीडिंग के लिए बॉटल की तैयारी के बेहतरीन तरीकों के बारे में।
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फीडिंग के लिए बॉटल्स को कैसे तैयार करें?
बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) में बॉटल को प्रिपेयर करना सबसे आसान हिस्सा है। इसके लिए आप इन चीजों को ध्यान में रखें:
अपने शिशु के लिए सही बॉटल का चुनाव करें
बाजार में शिशु के लिए बॉटल्स की लंबे-चौड़े विकल्प मौजूद हैं। हर तरह की बॉटल्स आपको बाजार में मिल जाएंगी। आप अपने अपने और शिशु की सहूलियत के अनुसार इनमें से चुन सकती हैं। यह तो थी बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) के बारे में जानकारी। अब जानते हैं और अधिक।
फॉर्मूला या ब्रेस्ट मिल्क बॉटल को प्रिपेयर करें
क्या आप अपने बच्चे को फॉर्मूला के साथ फीड करने वाले हैं? तीन तरह के फॉर्मूला बाजार में उपलब्ध होते हैं, पाउडर, कंसन्ट्रेट और रेडी- टू-पौर। रेडी- टू-पौर (Ready-to-pour) फॉर्मूला सबसे आसान ऑप्शन है। इसमें आपको कोई भी तैयारी करने की जरूरत नहीं है। आपको केवल बॉटल को खोलना है और इसके उसमे ड़ाल देना है। पाउडर की स्थिति में न आपको उसे सही पोरशन में लेकर पानी में मिक्स करना है। कंसन्ट्रेट फॉर्मूला में भी सेफ वॉटर सोर्स की जरूरत होती है। अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो आपको ब्रेस्ट पंप की मदद से मिल्क एक्सट्रेक्ट कर के इस बॉटल में ड़ाल कर शिशु को दे सकती हैं।
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बॉटल को गर्म करना
कुछ शिशुओं को ठंडा दूध पसंद होता है तो कुछ गुनगुना दूध पीते हैं। ब्रेस्ट मिल्क की बॉटल को गर्म करने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे एक कप गर्म पानी में कुछ मिनट के लिए इसे डुबोकर रखें। आप बॉटल वार्मर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने बच्चे को देने से पहले अपनी कलाई पर दूध के टेम्प्रेचर को अवश्य टेस्ट करें। कभी भी बॉटल को माइक्रोवेव न करें।
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निप्पल चेक करें
फीडिंग के दौरान इस बार पर भी ध्यान रखें कि दूध पीते हुए आपका शिशु कैसा दिख रहा है और आवाज कर रहा है। यदि आपका शिशु दूध पीते हुए निगलने और थूकने की आवाज करता है और दूध उसके मुंह के कोनों से टपकने लगता है, तो बॉटल के निप्पल से दूध का फ्लो शायद बहुत तेज होगा। अगर आपको लग रहा है कि शिशु को सक करने में समस्या हो रही है, तो हो सकता है कि दूध का फ्लो कम हो। शिशु को बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) के बारे में आगे जानें कि शिशु को कितना दूध पीना चाहिए?
शिशु को कितना दूध पीना चाहिए?
शिशु के जन्म के बाद उसे कितना दूध देना चाहिए, इसे बारे में पहले ही डॉक्टर से जानकारी लें। जन्म के बाद पहले हफ्ते से शिशु को उसकी जरूरत के अनुसार हर तीन से चार घंटे में दूध पिलाना चाहिए। इसके बाद इसकी मात्रा बढ़ानी चाहिए। शिशु को जरूरत ने अधिक मात्रा में दूध न दें। इसमें रूल और थंब रूल अप्लाई होता है। बच्चे को एक दिन में उनके 500 ग्राम बॉडी वेट के अनुसार 50 ग्राम फॉर्मूला या दूध देना चाहिए। अगर बच्चे का वजन चार किलोग्राम है, तो उन्हें रोजाना 500 से 600 ग्राम फॉर्मूला दिया जा सकता है। यह केवल एक रफ आइडिया है। हर शिशु अलग होता है, ऐसे में उनकी जरूरतें भी अलग हो सकती हैं। अब जानते हैं कि शिशु के लिए किस तरह की बॉटल का इस्तेमाल करना चाहिए?
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बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) – किस तरह की बॉटल चुनना चाहिए?
अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छी बॉटल और निप्पल चुनना, बाजार में उपलब्ध विकल्पों के कारण आपके लिए मुश्किल हो सकता है। आपके शिशु के लिए सही बॉटल के लिए आप अपने मित्रों से सलाह ले सकते हैं, ऑनलाइन बॉटल्स का रिव्यु जान सकते हैं, रिसर्च कर सकते हैं या डॉक्टर व एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं। बॉटल और निप्पल के सही कॉम्बिनेशन को ढूंढना आपके लिए प्राथमिकता हो सकती है और यह शिशु की पसंद पर भी निर्भर करता है। जैसे कुछ बच्चे एक सर्टेन निप्पल शेप या बॉटल की किस्म पसंद करते हैं। अब जानते हैं ब्रेस्ट से बॉटल की वीनिंग के बारे में।
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ब्रेस्ट से बॉटल की वीनिंग
क्या आप अपने शिशु के लिए वीनिंग के लिए तैयार हैं? वीनिंग यानी शिशु को ब्रेस्टफीडिंग से बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) की तरफ स्विच करना। यह प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल हो सकती है। लेकिन इसके लिए आपको कुछ प्रयास करने होंगे। क्योंकि, बच्चे एकदम बॉटल का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते हैं। इसके लिए आप कुछ चीजों का खास ध्यान रखें, जैसे:इस प्रोसेस में जल्दबाजी न करें। धीरे-धीरे शिशु को ब्रेस्ट से बॉटल की तरफ स्विच करें। अपने शिशु को इसके लिए पूरा समय दें। इससे शिशु को एडजस्ट होने में समय मिलेगा। जब बात बॉटल-फीडिंग (Bottle-feeding) की आती है तो हर शिशु इसे लेकर अलग-अलग तरह से रियेक्ट करता है। इस बारे में अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो डॉक्टर से अवश्य जानें।
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