प्री-स्कूल फ्रेंडशिप एक्टिविटी के बाद अब हम मिडिल स्कूल फ्रेंडशिप एक्टिविटी के बारे में बता रहे हैं। अगर बच्चे 6-7 साल की उम्र से बड़ें है, तो वे इस तरह के फ्रेंडशिप एक्टिविटी आसानी से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं।
आंख-मिचौली (Blindfolded Obstacle Game)
इस खेल को बच्चा घर, प्ले ग्राउंड या पिकनिक में आसानी से खेल सकते हैं। इस खेल में सबसे पहले टीम में शामिल किसी एक बच्चे को पारी देने के लिए चुना जाता है। फिर उस बच्चे की आंखों पर एक पट्टी बांधीं जाती है। इसके बाद उस बच्चे को थोड़ा घुमाते हुए छोड़ दें। ताकि वह दूसरे खिलाड़ियों के खड़े होने का स्थान भूल जाए। इसके बाद उसे दूसरे खिलाड़ों की आवाजों या अन्य हरकतों को सुनते हुए उन्हें पकड़ना होता है। इस गेम में पारी वाला वाला बच्चा जिस भी बच्चे को सबसे पहले छू लेगा या पकड़ लेगा, उसी बच्चे को अगली पारी देनी होती है। यह खेल खेलने से बच्चे के सनने की क्षमता मजबूत हो सकती है।
अक्कड़-बक्कड़ (Akkad Bakkad)
इस खेल में भी एक साथ कई बच्चे शामिल हो सकते हैं। इसे खेलने के लिए सबसे पहले सभी बच्चों को एक घेरा बनाते हुए बैठ जाना है। फिर उन्हें अपने दोनों हाथों को सामने जमीन पर रखना होता है। फिर एक-एक करके सभी हाथों के ऊपर से “अकड़-बक्कड़ बंबे बो, 80 90 पूरे 100, 100 में लगा धागा चोर निकलकर भागा, चोर की बीवी ऐसी थी, सज-धज कर बैठी, चाय गरम, कॉफी गरम, पीने वाला बेशर्म। अकड़-बक्कड़ बंबे बो, 80 90 पूरे 100, 100 में लगी बिल्ली, बिल्ली भागी दिल्ली, बिल्ली बड़ी अच्छी, उसने खाई मच्छी, मच्छी में था कांटा, मम्मी ने उसको डांटा।” का गाना गाया जाता है। जिस भी हाथ के ऊपर यह गाना खत्म होता है, उसे इस खेल से आउट माना जाता है। इसी तरह एक-एक करके जब सारे बच्चे आउट हो जाते हैं, तो आखिरी बच्चे को इसका विजेता माना जाता है।
टेलीफोन (Telephone)
यह काफी मजेदार फ्रेंडशिप एक्टिविटी (Friendship activities) है, जो बड़े लोगों को भी काफी पसंद आता है। इस खेले को खेलने के लिए सबसे पहले बच्चों के एक लाइन या गोलाई में बैठना होता है। फिर एक बच्चे को अपने आगे वाले बच्चे के कान में धीरे से कोई एक बात फुसफुसानी होती है। फिर दूसरे बच्चे को अपने आगे वाले बच्चे के काम में भी इसी तरह उस बात को कहनी होती है।
आखिरी वाले बच्चे को उस बात को चिल्लाकर बोलना होता है और फिर इस दौरान यह पता चलता है कि क्या उसने वही बोला जो पहले वाले बच्चे ने बोला था या नहीं। यह गेम बच्चों को सिखाता है कि उन्हें किसी भी सुनी-सुनाई बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह अक्सर गलत होती हैं।
पोशांपा (Poshampa)