बच्चों में उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं। यहां हम खासकर बढ़ते बच्चों के एंटी सोशल बिहेवियर एवं सोशल बिहेवियर की बात कर रहें हैं। कुछ बच्चे हमउम्र या बड़े लोगों के बीच आसानी से घुलमिल जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो एंटी सोशल यानी लोगों से घुलना-मिलना पसंद नहीं करते हैं। बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर (Antisocial behavior in children) के कई कारण हो सकते हैं। आज इस आर्टिकल में बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर करने जा रहें हैं।
बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर क्या है?
बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर के रिस्क फेक्टर क्या हैं?
पेरेंट्स बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर को कैसे समझें?
बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव से कैसे बचाव करें?
बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव का इलाज क्या क्या है?
बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर (Antisocial behavior in children) से जुड़े इन सवालों का जवाब क्या है, यह आगे समझते हैं।
बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर (Antisocial behavior in children) क्या है?
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉटरलो, ओंटारयो, कैनेडा एंड रिसर्च डायरेक्टर ऑफ दि मेलिसा इंस्टिट्यूट ऑफ वायोलेंस प्रिवेंशन एंड ट्रीटमेंट मिआमि, फ्लोरिडा (University of Waterloo, Ontario, Canada and Research Director of The Melissa Institute for Violence Prevention and Treatment Miami, Florida) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार अगर बच्चे ज्यादा अग्रेशन में रहते हों या परिवार के सदस्यों का अनादर करते हों या फिर किसी से बातचीत करना नहीं चाहते हों तो ऐसी स्थिति बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव की ओर इशारा करते हैं। ऐसे कम उम्र या यंग एज के बच्चों में देखी जा सकती है। बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर होने से रिस्क फेक्टर को समझना जरूरी है, जिससे बच्चों के एंटी सोशल बिहेवियर को सोशल बिहेवियर के लिए मददगार हो सकती है।
बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर के रिस्क फेक्टर क्या हैं? (Risk factor of Antisocial behavior in children)
बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर के रिस्क फेक्टर निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
स्कूल या आसपास का वातावरण
जेनेटिक एवं फेमली हिस्ट्री
नेगेटिव पेरेंटिंग
हिंसक, अस्थिर या अशांत जीवनशैली
ऊपर बताये कारण बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर को बढ़ाने का काम कर सकती है। इसके अलावा हायपरएक्टिविटी एवं न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम भी बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर का कारण बन सकती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेककनोलॉजी इन्फॉर्मेशन में पब्लिश्ड (National Center for Biotechnology Informeshan) रिपोर्ट के अनुसार युवाओं में अटेंशन डिफिसिट हायपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) का कारण सोशल बिहेवियर को माना गया है।
इन लक्षणों के अलावा बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव के निम्नलिखित लक्षण भी हो सकते हैं। जैसे;
कॉन्फिडेंस ना होना।
किसी से सहानुभूति नहीं होना।
अत्यधिक अभिमान होना।
मेनूपुलेट करना।
पछतावा ना होना।
ऐसे लक्षण बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर को दर्शाते हैं। इसलिए पेरेंट्स अगर बच्चों में ऐसे लक्षण देखते हैं, तो उन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिए। वहीं अगर बच्चों में ऐसे लक्षणों को 9 वर्ष की आयु तक इग्नोर किया जाए तो समस्या बढ़ सकती है। क्योंकि इस बात की कई रिसर्च रिपोर्ट्स में चर्चा की गई है कि बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर उम्र बढ़ने के साथ एल्कोहॉल (Alcohol) एवं ड्रग्स (Drugs) जैसे अन्य हानिकारक लातों की ओर आकर्षित करते हैं। वैसे इसके पीछे जेनेटिक या आसपास के वातावरण के कारण भी हो सकते हैं।
बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव का इलाज क्या क्या है? (Treatment for Antisocial behavior in children)
अगर बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव कम उम्र से ही नजर आने लगे, तो ऐसे में डॉक्टर निम्नलिखित तरह से बच्चों के एंटी सोशल स्वभाव को दूर करने के लिए इलाज शुरू कर सकते हैं। जैसे:
बिहेवियरल फेमली इंटरवेंशन (Behavioral Family Intervention)
फेमिली थेरिपी (Family therapy)
एडोलेसेंट थेरिपी (Adolescent therapy)
इन ऊपर बताये तरीकों के अलावा पेरेंट्स को भी पेरेंट मैनेजमेंट ट्रेनिंग (Parent management training) लेने की सलाह दी जाती है। पेरेंट मैनेजमेंट ट्रेनिंग की सलाह इसलिए दी जाती है कि कहें अनजाने में माता-पिता नेगेटिव पेरेंटिंग तो नहीं कर रहें हैं। दरअसल नेगेटिव पेरेंटिंग या बैड पेरेंटिंग के कारण भी बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर नजर आ सकते हैं। ऐसी स्थिति बच्चों में सहानिभूति की कमी आने लगती है।
नोट: बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव होना सामान्य भी हो सकता है, लेकिन अगर बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव ज्यादा हो तो ऐसे में डॉक्टर से कंसल्टेशन आवश्यक हो जाता है।
ये तो हुई डॉक्टरी सलाह से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी, लेकिन पेरेंट्स को भी कम उम्र से ही बच्चों को लोगों से घुलना-मिलना और मैनर्स को बताना या मैनर्स के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
स्टेप 1. प्राइमरी प्रिवेंशन (Primary prevention): बच्चों में एंटी सोशल स्वभाव को दूर करने के लिए सबसे पहले स्टेप प्राइमरी प्रिवेंशन से शुरुआत करना चाहिए। जैसे:
बच्चों को किसी के झगड़ा नहीं करने के लिए समझाना।
गुस्सा नहीं करने के लिए समझाना।
भावनात्मक स्वभाव रखने के लिए समझाना।
स्टेप 2. सेकेंडरी प्रिवेंशन (Secondary prevention): बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर को दूर करने के लिए दूसरे स्टेप जैसे सेकेंडरी प्रिवेंशन को दिया गया है। इसमें बच्चों को निम्नलिखित तरह से समझाया जाता है। जैसे:
स्पेशल क्लास (Special class)।
छोटे ग्रुप में सोशल स्किल ट्रेनिंग (Social skills lessons) की शिक्षा।
स्टेप 3. टर्शियरी प्रिवेंशन (Tertiary prevention): बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर को दूर करने के लिए डॉक्टर, फेमली और टीचर्स की मदद से एंटी सोशल बिहेवियर को दूर करने के लिए शिक्षा दी जाती है।
इन अलग-अलग स्टेप को फॉलो कर और डॉक्टर द्वारा दिए गए सलाह का पालन कर बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर को दूर किया जा सकता है। अगर आपके या किसी भी करीबी के बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर (Antisocial behavior in children) होने पर इस स्थिति को संभालना चाहिए और पैनिक नहीं करना चाहिए। वहीं अगर आप बच्चों में एंटी सोशल बिहेवियर (Antisocial behavior in children) से जुड़े किसी भिओ सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्सपर्ट जल्द से जल्द आपके सवालों का जवाब देनी की कोशिश करेंगे।
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